शिक्षा परम्परा व राष्ट्र निर्माण | मुकुल कानिटकर |
विषय परिचय:
श्री मुकुल कानिटकर भारतीय शिक्षा परंपरा में प्राचीन शिक्षाओं जैसे धनुर्विद्या, मल्ल युद्ध आदि को गुरुत्वपूर्ण मानते हैं। । वे ज्ञान को भीतर से बाहर आने की प्रक्रिया पर ज़ोर डालते हुए कहते हैं की गुरुकुल परंपरा आज भी भारत में हैं और इसका और विकास आवश्यक है। हमारी अद्वैत परंपरा जीवन शैली का भाग है इसीलिए राजनैतिक परतंत्रता के बावजूद आज भी प्रचलित है।
वक्ता परिचय:
श्री मुकुल कानिटकर एक बौद्धिक चिंतक, विचारक व प्रेरक है। वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था को भारत केंद्रित बनाने के लिए अनुसन्धान, प्रकाशन व प्रशिक्षण में कार्यरत संगठन भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री हैं।
Inaugural ceremony link: • Inaugural Ceremony: Th...
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Пікірлер: 15
ॐ 🙏🙏🙏👍👍👍
अत्यंत सुंदर। 🙏
Knowkedg। ।।अंतर्निहित ज्ञान
अति उत्तम
Knowledgeable lecture
Superb, serene and sublime
मुकुल जी को सुनना एक ऐसा कहानी सुनने जैसा है जैसे कोई अपनी जीवन अनुभव बता रहा हो।
मुकुलजी जो विषय रखते है वो गंभीर तो है ही विचारणिय भी है.... आभार मुकुलजी ऐसें पाथेय के लिये
वाह ,,,मुकुल भैया
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Atiyant pirerana dayak naman
प्रणाम
प्रत्येक को यह सुनना चाहिए।
🕉️🙏 जय श्रीराम !
अति उत्तम