भारतीय वैदिक शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना ही हमारा उद्देश्य है। वेद, उपनिषद्, दर्शन, रामायण, महाभारत, आयुर्वेद आदि ग्रन्थों में अनमोल ज्ञान भरा पड़ा है। पाश्चात्य शिक्षा पद्धति के लागु होने से वह ज्ञान धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है। उसे पुनः लोगों तक पहुँचाने के लिए यह चैनल बनाया गया है। कृपया इस कार्य में आप सभी सहयोग करें। 🙏
Пікірлер
Ha me ha tike nhi
Ivf technology bhi to niyog hi hai. Shahrukh khan aur gauri khan ne bhi niyog ka sahara liya.
Dhanyawad ji
Bahut sundar Maharaj Ji
🙏🏻🙏🏻
Hjaron 2 salon se chali aa rehi prathaen ab buri kyon lgne lgi? saf hai ki Bharat apni sanskriti se bhagta nejer aa reha hai jo janta k lie ek teasdi se km nhi hoga, Hindu gehrai se chintan keren ki kyon we paschaty/ yavano k chakker me fenste chale ja rehe hain ? t jbab hai:- Lobh / lalach, ant kya hoga ?
यह कैसे सिद्ध होता है कि उच्च वर्ण का शुक्राणु ही उत्तम होता है। किसी भी स्वस्थ पुरुष का शुक्राणु उत्तम हो सकता है।
क्या दुनिया एक व्यक्ति के बच्चे न पैदा करने से दुनिया नहीं चलेगी। नियोग व्यवस्था प्राचीन काल की कलंक व्यवस्था थी।
Ankit ji , mai aap ki vidvataa ko maanata hoon . Aaj hi aap k ek vedio par bht badaayi kiya hai . Par yahaan aap aur Dayanand ji , Christians & Islamists bilkul galat aur ekaangi mat k ho . Likhoon aur tark doon to aadha ghanta lag jayega sur tarkon se space bhi bht lagega . Ant me itana hi kahoonga ki isame diye hue tark kamajor hi nhi bilkul galat hain . Kya Bramh , God aur Allah k niraakaar roop ko poojkar kisi ko usake darshan mile hain . Kya space ki pooja karoge ya Neele aakaash ya taaron k pare ananta aadi ki aur concentrate karake kisi ko kuchh mila hai , baatcheet ya darshan hua hai ? Bilkul nhi . Ved bhi Bramh ko nhi jaanata , na Bible aur na Quran or any other book . Ved Neti Neti hi kahata hai . Chhodata hoon . Samaya nhi hai .
Arany kand ke34dohe ki 1st chaupai me bhi tadat shabd Aya hai
Os time me yeh duha sahi tha por aj ki time me sahi nahi hay samay samay ki bat hai
नमस्ते आचार्य जी
Yah kalpnik hai.
Aap vaastava me ek vidvatjan hai . Aap ka gyaan agaadha hai . Avishvasneeya lagata hai . Bht tej medhaashakti hai . Yah garva ki baat hai ki hamaare samaaj me sise bhi vidvaan hain . Aap ko sunane k liye dhairya , samaya khula mastishka aur aavashyaka gyaan ki zaroorat hai .
आप बहुत जानकार है जो पहले किए हो उससे तुलना कर लिजिए जो तुलसी दास के लेखनी पुरे रामायण मे कितनी सही समद्र बड़ा था या राम
सत्य सनातन वैदिक धर्म संस्कृति और सभ्यता की जय
Aaj ke parivesh me NIYOG pratha kahin bhi prachalit nahin hai. Yah tatyugin samaaj ki kuch vishesh paristhitiyon mein hua karta tha.
आचार्य जी मुसलमानों में निकाह होता है विवाह जैसे पवित्र शब्द का प्रयोग बिल्कुल शोभा नहीं देता। नूपुर शर्मा ने बिल्कुल सत्य वचन बोला था उनकी ही पुस्तकों में अनेक जगह उल्लेख है। कृपया आर्य समाज के प्रमुख सदस्य तुफैल चतुर्वेदी का यू तुबेचैनल देखे
हिंदू जहां फंसते हैं वहां इनकार कर देते हैं मिलावट का रोना रोते हैं किसने किया मुसलमानों ने किया है जिसका ना सर है ना पैर तुम्हारा धर्म क्या है जिसमें मिलावट दूसरे लोगों ने कर दिया है और दावा है कि ये भगवान ने खुद पृथ्वी पर अवतरित हुए और धर्म स्थापना किए हैं यहूदी ईसाई जो मुसलमानों के ज्यादा दुश्मन हैं वह कभी आरोप नहीं लगाते हैं कि हमारी पुस्तक में मुसलमानों ने मिलावट किया है बुद्ध धर्म जैन धर्म सिख धर्म कोई नहीं कहता है कि हमारी पुस्तकों में मुसलमानों ने मिलावट किया है ये पगला हिंदू गोबर वाले हैं जो मिलावट का रोना रोते हैं पता चला कि हिंदू कोई धर्म नही अधर्म है क्योंकि मिलावटी धर्म है मुसलमान का हजारों साल से दावा है कि कुरान में कोई भी मिलावट नहीं कर सकता अगर करे भी तो सफल नहीं होगा पकड़ा जाएगा, इसका वजह है कि अल्लाह ने खुद कुरान के हिफाजत की जिम्मादारी कयामत तक के लिए ले लिया है ये है हमारा इस्लाम, और सत्य है कि विवाह के समय सीता 6 साल और राम 25 साल के थे तुम सबको मूर्ख बना रहे हो
आपने एक अति महत्वपूर्ण प्रमाण छोड़ दिया जिसमें सीता जी अपने विवाह की आयु के बारे में अनुसूया जी को बता रही हैं। पति सम्योग सुलभम् वयो दृष्ट्वा तु मे पिता | चिन्ताम् अभ्यगमद् दीनो वित्त नाशाद् इव अधनः || अयोध्या काण्ड, सर्ग - ११८, श्लोक-३४
वाल्मीकि रामायण के अनुसार देवी अहल्या पत्थर नहीं बनी थीं।
अरण्य काण्ड में सीता जी ने राम जी की आयु सत्ताइस वर्ष नहीं, पच्चीस वर्ष कही थी। भूलवश दो तीन बार आपने इसे सत्ताइस वर्ष कहा है।कृपया इसे सुधार लें। मेरा भी विचार आपके विचार से मिलता जुलता है।
Bhagwan ye kabse sochne lag gaye ki ager mene ya kam ker diya to me chota ho jauga ager koi apne app ko ye samjhta he ki ue kary karne se me chota ya bada ho jauga to us vyakti se dhurth insan is pure duniya me nahi hoga Or app baat bhagwan ki ker rahe hae ager ko bhagwan ye sochta hae ki wo avtar ya ye kary ker lene se chota ho jayega to wo bhagwan hi nahi hae
Pradhan mantri wala tark diya appne Pradhan mantri ko ko avshykta nahi he ki wo jaker ke pradhan banne tab jaker ke kam hoga wo adesh dega or pradhan ko kam kerna hoga To fir ishwer bhi adesh dege kyoki esa to nahi ho sakta ki ravan ko ak hi shan me mar diya nahi ho sakta uske leye ishwer ne bhi adesh diya hoga or use wo kary kerna hoga ishwer kis adesh ka palan kerna hhoga kyo ki wo sarvshakti man hae Or ishwer ko waha anne ki avshyakta hi nahi hae or na hu. Shre ram ki ishwer keh rahe hae app bhagwan or ishwer ko ak samjh eahe hae isme app ki galti hae
Bahu achha bataya aacharyaji
ARE MAHA JHUTA KAHA LIKHA RE JATIBADI AJ TO ATENE JHUT KYU BOLTA HE AGAR MILABATI HE TO TU HATAKE BATA TU DUSRO KI BAT MOT BOL ARE ATENE TO TU SOMAJTA HE TO TU BOL KI MONU KI BIDHAN HE BOHUT KUC JOBAB DE
Mane Rs501 sahyog diya
Ravan ki tulna adhunik samy se ki ja rahi hae kaha ja raha he ki parmanu bum fek dete to kya ravan bhi shant rehta lanka ke pass appne astr shashtr nahi hote tark ke nam per bakwas kiye ja rahe ho app
Bhi please use ur common sense and watch full video then talkkkkkk
@@d.slifestyle3737 Bhai unhone kaha ki parmanu bum fekh dege jis prakar se ravan ka vyaktitva tha kya uske pass parmanu bam nahi hoga wo khud common sense wali batt nahi ker rahe hae
@@KIM_JONG_UN_MOTA_BHAI1008 Hindi mein type kar do Tumhara comment samajh Nahin a Raha
@@d.slifestyle3737thodi typing mistake ho jati hae sahi ker liya hae mene
App bhagwan or ishwer me anter hi nahi malum hae or app baat avtaro ki ker rahe hae bhagwan vishnu ager ishwer hote to unhe ishwer Hari kehte na ki bhagwan Hari
Are mere bhi bhagvan alga to bhi unke avatar thodi na hote he common Sense ki bat he
@@d.slifestyle3737 kyo nahi ho sakte bhagwan ke avtar Gita me bhagwan swayam kehte hae ki jab jab prithvi per paap or atyachar bhadta hae tab me avtar leta hu uske ant ke leye abb bhagwat gita ko bhi app jutha mante he to fir wo app ki marzi Gita ka gyan shre krishn dwara diya gaya wo koi amm admi to nahi de sakta tha Krishna bhagwan avtar the app unhe mahapurush mano hum unhe bhagwan ka avtar mante hae ye apni apni soch hae
@@KIM_JONG_UN_MOTA_BHAI1008 ek or video me Iske bare mein details se likha hua hai aur bataya bhi hai main abhi Jara batata Hun Uska Isi Ka yah Prahari ka pahle pure padho per jakar baat karna bhai
Bhi sach gadbad he tumare sath koya bat nahi ye sab agyanta ka karn he simple Sa Funda hai use video ko pura Dekho aur video ka title hai ki kya Shri Krishna Bhagwan ka avtar Hai by prahari
@@d.slifestyle3737 inki yahi video dekhker me samajh gaya ki guruji kitne bade vidvan hae ye khud bahut se topics ko leker ke confused hae shre krishna ka jikr bhi purano ke hi through milega or jin purano ke through unaka gyan unke bare me jankari mil rahi hae use app log nakkar dete ho or baad me shre krishn or shree ram ko mahapurush ghosit ker dete ho wah kya baat hae sahi hae
Gautam budh or bhagwan budh dono alag alag hae bhagwan budh ka janm bodh gaya me hua tha
तो तुमने वीडियो देख ली है ओके then why u asking me every thing
@@d.slifestyle3737 app ne refrence diya tha wo chek ker raha tha kitna sahi hae
@@d.slifestyle3737appne refrence jo diya tha wo galat tha per sahi refrence abhi bhi nahi diya app ne
Gotama cursed Ahalya for the lie bcoz wen he asked who was he, she told Majara( my lover) but Gottama thought she said, Maghhar( cat) so he cursed her coz of telling lie. Ahalya means jispe hall na chala ho.
हिंदू संस्कृति के 18 ही पुराने में मिलावट की गई है जिसमें सबसे ज्यादा ब्रह्म व्यवव्रत पुराण में की गई है जो की मुगल काल में लिखा गया है जिसे तो बिल्कुल गंदे और गलत तरीके से लिखा गया जिसमें कृष्ण के चरित्र को बिल्कुल हनन किया गया है यह सब पाखंडी लोगों का काम है यह मुगल काल में मुगलों के द्वारा हमारे हिंदुओं के धर्मगुरु को खरीद कर गलत तरीके से लिखा गया है और हमारे धर्म संस्कृति को नष्ट करने का कार्य किया गया है
हमारे चार वेद और 18 पुराण है वेद तो सही है लेकिन 18 ही पुराने में मिलावट की गई है जिसमें जो सबसे लास्ट में लिखा हुआ ब्रह्मावर्त पुराण मैं तो पूर्ण रूप से मिलावट की गई है क्योंकि ब्रह्म व्यव्रत पुरान मुगल काल में लिखा गया जोकि मुगलों के द्वारा गलत तरीके से लिखवाया गया है हिंदू धर्म गुरु को प्रलोभन देखकर था जिसमें कि हमारी संस्कृति को हमारे कृष्ण भगवान को गंदे तरीके से बताया गया है और 800 साल के पहले जितने भी कृष्ण भगवान के मंदिर है उन मंदिरों में सिर्फ कृष्ण भगवान की ही मूर्ति है राधा का कहीं कोई जिक्र नहीं है यह मुगल काल में ब्रह्म व्यवस्था पुराण में राधा को जबरदस्ती लाया गया है और कृष्ण भगवान के चरित्र को खराब किया गया है जबकि कृष्ण भगवान की पत्नी का नाम तो रुक्मणी है ब्रह्म व्यव्रत पुराण में राधा को मामी बताया गया है
Dhanyawad
हिंदू धर्म (सही नाम-ब्राह्मणवाद ) में प्रोपेगंडा तो बहुत ही सुन्दर आकर्षक और लावण्यपूर्ण होता है लेकिन जमीनी हकीकत सिर्फ उल्टी ही नहीं होती, बहुत वीभत्स भी होती है। मिसाल के लिए नारी के सम्मान में कसीदे तो बहुत पढ़ें जाते हैं, उसे देवी भी कहा जाता है,लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भारत में नारी हत्या, दहेज-हत्या, बालात्कार सामुहिक बालात्कार दहेज प्रताड़ना, कन्या -भ्रूण हत्या, कन्याओं की खरीद -फरोख्त,देह व्यापार में ढकेला जने के आंकड़े बहुत बहुत अधिक है।
विदेशी आर्यो चतुर्वर्णियों मनुवादियों के पास सदा से ही यह "Advantage" रहा है कि वे सारी सामाजिक मान्यता प्रणाली का निर्माण अपने हितों में तथ आम जनता को मूर्ख बनाने में करते हैं, शब्दों को गढ़ने का काम करते हैं, उनकी परिभाषा अपने हितों में निर्धारित करते हैं, व्याख्या एवं अर्थान्वयन भी अपने हितों में करते हैं। उन्होंने सारे बौद्धिक कार्य तथा पठन-पाठन के कार्यों पर भी एकाधिकार जमा कर रखा हुआ है। दूसरी ओर मूल निवासी द्रविड़ कौल शाक्य नागवंशी नस्ल के लोग अति अति अति भोले हैं और उन्हें पूरी तरह से विद्या अध्ययन से दूर रखा, उन्हें मूल भूत मानवाधिकार से संचित रखा। इस अमानवीय अवस्था के कारण, विदेशी आर्य ब्राह्मणों ने जो मन चाहा लिखा, जो मन चाही सामाजिक मान्यताएं बनायीं, उन्हें आम जनता से मानव दीं गयीं। कभी कभार,जब भी उन्हें चुनौती दी गई,फट से गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए कहने लगे कि, नहीं! नहीं!! ऐसा नहीं है! वैसा नहीं है! और फिर ऊपर वर्णित Advantages/Monopoly का धूर्तता पूर्व तरीके से प्रयोग करते हुए, बबूल में भटे लगाने बाली बातों का सहारा लेकर, तोता मैना की सी कहानियों का सहारा लेकर अपनी बातों को उचित ठहराने में सफल हो गए। लेकिन इस वैज्ञानिक तार्किक हेतुवादी तकनीकी युग में ब्राह्मण वाद मनुवाद की झूठी कागज की नाव चलाने वाली नहीं है। मूल निवासियों में भी बौद्धिक रूप से ईंट का जवाब पत्थर से देने वाले बुद्धिजीवी तैयार हो गये हैं।
5 sal ke the tab gurukul gaye aur 12 waras wahan rahe phir sita ki umra 6 varsa ka ho hi nahin shakta
Pagala gaya ho Jab ram gurukul se ane ke bad janakpuri gaye the to sita six years ki kaise ho shakti hai Ramayan kal teeta yug ka hai kalyug ka nahin. Ram jaise aur suta jaise adarsh charitra rakho tab u
आचार्य जी जब सब मिलावटी है तो फिर सही ही क्या है
गीता प्रेस चौखम्बा प्रेसो को कम से कम उत्तरकाण्ड तो हटा देना चाहिए रामायण से। विधर्मियो को मिलावटी उत्तरकांड से मौका मिलता है वैदिक धर्म को बदनाम करने का।
मनुवाद शब्द पर ढोल पीटने वाले विद्वानो दिमाग सदुपयोग कर इस पोस्ट में महर्षि मनु महाराज की धर्मशास्त्र किताब के एक ओरिजिनल श्लोक के अनुसार धर्म का मतलब कर्तव्य नियम समझ कर ज्ञानवर्धन करें। 1. हिंसा नही करना , 2. सत्य बोलना , 3. चोरी नही करना , 4. स्वच्छता रखना , 5. दस इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना , 6. श्राद्धकर्म करना (पूर्वज सम्मान करना ), 7.अतिथि सत्कार करना , 8. दान / कर देना , 9. न्याय कर्म से धन लेना , 10. विनम्र भाव रखना , 11.पत्नी से ही सम्बंध संतान प्राप्त करना , 12. दूसरे के शुभ कर्म से द्वेष नही करना l संक्षेप में चारो वर्ण (वर्ग विभाग) जैसे कि - 1- ब्रह्म वर्ण ( ज्ञानसे शिक्षण वैद्यन पुरोहित संगीत वर्ग ) + 2- क्षत्रम वर्ण (ध्यानसे सुरक्षण न्याय बल वर्ग) + 3- शूद्रम वर्ण ( तपसे उत्पादण निर्माण उद्योग वर्ग ) + 4- वैशम वर्ण ( तमसे वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट वर्ग ) । इन्ही चारो वर्णो/वर्गों/विभागों में स्वमं के कार्य करने वाले मालिक कर्मीक जन एवं चारो वर्णों (विभागों) में वेतन पर कार्यरत जनसेवक दासजन ( सेवकजन/नौकरजन ) को इन सनातन दक्ष धर्म लक्षण नियमों को प्रतिदिन स्मरण कर पालन कर अपना अपराध मुक्त जीवन प्रबंधन कर निर्वाह करना चाहिए l महर्षि मनु महाराज का ओरिजिनल संस्कृत श्लोक - ॐ अंहिसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह: l श्राद्धकर्मातिथेयं च दानमस्तेयमार्जवम् l प्रजनं स्वेषु दारेषु तथा चैवानसृयता l एतं सामासिकं धर्मं चर्तुवण्र्येब्रवीन्मनु: ll वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र ।। जय विश्व राष्ट्र सनातन दक्ष प्रजापत्य धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम।। ॐ ।।
सवर्ण और असवर्ण का मतलब यह है कि चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। इसको समझने के लिए यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करना चाहिए कि शूद्रण शूद्रण से मिलते हैं तो दोनो सवर्ण होते हैं और शूद्रण ब्रह्मण मिलते हैं तो दोनो असवर्ण होते है। इसलिए व्यर्थ उम्मीद कर व्यर्थ अन्धविरोध ईर्ष्याग्रस्त सोच रखकर व्यर्थ अनर्गल अर्थ निकाल कर अनर्गल प्रलाप नहीं करना चाहिए। यह पोस्ट बौद्धु अंधभक्तो को पढवाकर समझकर ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाओ।
वर्णजाति और वंशज्ञाति - दोनो का मतलब समझना चाहिए। विभाग/ पदवी ( वर्ण/जाति ) वाले शब्दों का प्रयोग जीविका पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है। जिविका विभाग पदवि वर्ग में कार्यरत जनों की सुरक्षा प्रबंधन के लिए विधि वर्णाश्रम संस्कार व्यवस्था प्रबंधन किया गया है । वैदिक सनातन ऋषि राजर्षि संसद जनों द्वारा निर्मित वर्णाश्रम प्रबन्धन संस्कार विधि-विधान नियम ज्ञान सबजन को प्राप्त करना चाहिए। वंशज्ञाति गोत्र कुल शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए चार आश्रम व्यवस्था के लिए नीति विधि को निर्मित किया गया है चार आश्रम परिवार कल्याण विधि-विधान नियम वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा किया गया है। चारवर्ण शब्द और चार आश्रम शब्द को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण किया गया है । मानव समाज को बेहतर बनाने के लिए वर्णाश्रम संस्कार विधान की की गई है चार वर्ण कर्म विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत ऋषिजन जनसेवक ( दासजन ) नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण में कार्यरत हैं । चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा चिकित्सा विभाग 2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान सुरक्षा न्याय विभाग 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन निर्माण उद्योग विभाग 4 - वैशम वार्न = वितरण वाणिज्य व्यापार विभाग l पांचवे वेतन भोगी दासज़न जनसेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचजन सनातन वेद दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान व्यवस्था है l हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण क्रय विक्रय वाणिज्य वैशम वर्ण कर्म होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र आयु के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य को बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन शाश्वत दक्ष धर्म संस्कार ज्ञान विज्ञान विधान है l जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो वे बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई प्रोडक्ट समान एक स्थान से उठाकर क्रय कर दूसरे स्थान पर ट्रांसपोर्ट कर विक्रय वितरण कैसे होगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण वाणिज्य क्रय विक्रय वित्त आढ़त कैसे होगा ? पोस्ट निर्मिता बुद्ध प्रकाश प्रजापत। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम। ॐ। हे मानव जनो इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को उनकी सोच सुधार के लिए भेजते रहें । जय विश्व राष्ट्र दक्षराज वर्णाश्रम सनातन संस्कार।
ऊचा नीचा पद विभाग पाने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। विश्व विद्वान मित्रो! हे मनुष्यो ! जन्म से सब जन दस इन्द्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से जन होते हैं और संस्कार से द्विज /द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) होते हैं । जन्म से सबजन दस इंद्रिय के साथ-साथ शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण समान लेकर जन्म लेते हैं। समाज के चार वर्ण कर्म विभाग ब्रह्म वर्ण, क्षत्रम वर्ण, शूद्रम वर्ण और वैशम वर्ण विभाग को शरीर के चार अंग मुख, बांह, पेट और चरण को समान माना गया है । जब एक जन है तो वह मुख समान ब्रह्म वर्ण कर्मी है, बांह समान क्षत्रम वर्ण कर्मी है, पेटऊरू समान शूद्रम वर्ण कर्मी है और चरण समान वैशम वर्ण कर्मी है। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वाणिज्य क्रय विक्रय वितरण वैशम वर्ण कर्म होता है। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण होता है। यह सिद्धांत महर्षि नारायण और महर्षि ब्रह्मा के अनुसार है कि हरएक मानव जन किसी भी वर्ण को मानकर बताकर नामधारी वर्ण वाला बनकर जी सकते हैं । यह समान अवसर सबजन को समान रूप से उपलब्ध है। खुद को ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्रण और वैश्य कुछ भी मानकर बताकर जी सकते हैं। लेकिन जब पांचजन कर्मी हैं तो एक जन अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन (ब्राह्मण) है , दूसरा जन सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश (क्षत्रिय) है, तीसरा जन उत्पादक निर्माता उद्योगण (शूद्राण) है और चौथा जन वितरक वाणिक व्यापारी ट्रांसपोर्टर आढती (वैश्य) है तथा पांचवा जन इन्ही चारो वर्ण कर्म विभाग में वेतनमान पर ऋषिजन दासजन जनसेवक नौकरजन सेवकजन के रूप में कार्यरत है। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करने का सबजन को समान अवसर उपलब्ध है। कोई भी जन वर्ण कर्म किए बिना भी किसी वर्ण को मानकर बताकर मात्र नामधारी वर्ण वाला बन कर रह सकते हैं यह भी समान अवसर सबजन को उपलब्ध है अर्थात हरएक मानव जन खुद स्वयं को ब्रह्मण, क्षत्रिय, शूद्राण और वैश्य कोई भी वर्ण वाला मानकर बताकर जीवन निर्वाह कर सकते हैं। यह जानना चाहिए कि दो विषय अलग अलग हैं जैसे कि एक विषय वर्ण जाति है और दूसरा वंश ज्ञाति है इनको को समझना चाहिए । स्मरण रखना चाहिए कि वर्ण जाति शब्दावली का निर्माण कार्य करने वालो को पुकारने के लिए किया गया है इनको विभाग पदवि कहा जाता है । जबकि वंश ज्ञाति गोत्र शब्दावली का निर्माण विवाह सम्बंध संस्कार करने के लिए किया गया है , ताकि श्रेष्ठ संतान उत्पन्न करने के लिए सपिण्ड गोत्र वंश कुल बचाव कर विवाह सम्बंध संस्कार किये जाते रहें । यह पौराणिक वैदिक सतयुग राजर्षि ऋषि मुनियो की संसद ने शब्द निर्माण किया है। चार आश्रम परिवार कल्याण विभाग प्रबंधन राजर्षि दक्ष ने निर्मित किया था। चार वर्ण कर्म ( शिक्षण+ सुरक्षण+ उत्पादन+ वितरण ) = चार वर्ण ( ब्रह्म + क्षत्रम+ शूद्रम+ वैशम ) । इन्ही चतुरवर्ण में पांचवेजन वेतनमान पर कार्यरत होते हैं। चार आश्रम ( ब्रह्मचर्य + ग्रहस्थ+ वानप्रस्थ+ यति आश्रम ) । आयु आश्रम अनुसार जीवन प्रबंधन किया जाता है। यह अकाट्य सत्य सनातन दक्ष धर्म संस्कार शाश्वत ज्ञान की पोस्ट पढ़कर समझकर सोच सुधार करें और प्रिंट सुधार करें। बुद्ध प्रकाश प्रजापति की इस पोस्ट को कापी कर सबजन को भेजकर सबजन का ज्ञानवर्धन करवाएं ।
Parade ke pichhe sab sahi hai. Agar niyog se koi khud yaachana kare to wah aparaadh hai. Kiraya ka kokh, Sorogate mother aaj niyog hi to jaisa hai.
गुरु जी आपकी। राय में विवाह के समय सीता की आयु क्या रही होगी
Naman hai aapko
क्या नियोग प्रथा स्वामी दयानंद सरस्वती ने बनाई है ?
Vam panthoyon ki sunne ki jaroorat nahi hai..... Wo to har ek par sawal uthate hain.
ययाेरात्मसमं वित्तं जन्मैश्यर्याकृतिर्भवः तयाेर्विवाहाे मैत्री च नाेत्तमाधमयाेः क्वचित।श्रीमद्भागवत । क्षत्रिय कुल में ताे स्वयंवर की व्यवस्था है।वह व्यवस्था तभी सम्भव होती है-जब कन्या विवेकपूर्ण रूप से वर का चयन कर सके।अतः बाल विवाह वाद में मिलावट की गई है।
Past time ke anusar thik hai
🙏🏻🙏🏻