37. कठोपनिषद् 5/2 शरीर में रहने वाले हम आत्मा कैसा है?
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Пікірлер: 12
सादर नमस्ते सभिको।
बोहोत उत्तम व्याख्या हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति... । जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩
आचार्य जी सादर नमस्ते 🙏🙏🚩🕉️🌅🙏🙏🌼🍀☘️🍁🥀🍂🌧️
Acharya ji bahut sundar vyakhya karte h aap , apne karya me safal ho , dhanyavad
ओम् , सादर प्रणाम आचार्य जी।
🙏🏻🙏🏻
Ram
आचार्य जी सादर नमस्कार
ओ३म । आचार्य जी, सादर प्रणाम। ब्रम्ह सूत्र की व्याख्या मैं आचार्य उदयवीर जो ने हृदय आकाश का मस्तिष्क गत अंगुष्ठ मात्र बताया है।
Trikaal sandhya k baare me bataye...importance of sandhya and how to do it?
Lakin aatma ka nivaash bhrukti me Madhya bataya hai aur vedo mein tau aatma ke viahay mein ye khaa gyaa hai ki yadi hum baal ki nauk ko 100baraabar bhaago mein baat de aur partyek eak khand ko 100 baar aur kaatein phi kate hue khand ko aur 100 baar kaate tau kte hue pratyek bhaag ke brabar humaari aatma ka akaar hota jai.
🙏🏻🙏🏻