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"TASBIH VA GIRYAZARI KI FAZILAT" ||

मुझे जिन्होंने वाइज करना सिखाया वे मेरे उस्ताद मुजसे कहा करते थे की, तस्बी व दुआ में जिसने लिज्जत पाई,दोनो जहा की उसने न्यामत पाईं तो मुझे खयाल आया की कुछ बाते इस तस्बीह और गिरया जारी के संबंध में भिं करनी चाहिए जो रुमी की मसनवी से और गिनान से और पवित्र किताब से हमे मिलती हो,जिसे सुनकर हमारे जलते हुए दिल को एक गहरा सुकून मिले,क्योंकि हम अपनी मुश्केलियो के समय में अपने मौला को,ही याद करते है,तो जब उस तशबी के साथ जुड़े तत्व को समझ लेते है तब दिल एक गहरे सुकून को महेसुस करने लगता है।इसे मिस ना करे।

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  • @sonawalababu3003
    @sonawalababu3003 Жыл бұрын

    786 to 110 Ya Ali Madat Ji SuRa 4 : - 64 to 75 oaR aA 174 to 175 SuRa 5 :- Aa, 111 to 115 Ya Ali Madat Ji

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