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ShriVidya Ratnakar

This video is part of a short video series. Shrividya Granthas is the subject of this video. In this video, I describe the most fundamental and essential Grantha for all Shrividyopasakas. Swami Karpatriji Maharaj wrote the Grantha, Shrividya Ratnakar.
I hope Shrividyopasakas will buy this important Grantha and be benefitted.
I am also providing the link for purchasing this Grantha in the Comments Section.
यह वीडियो एक शॉर्ट वीडियो सीरीज का भाग है। इस वीडियो का विषय "श्रीविद्या ग्रंथ" है। इस वीडियो में, मैं सभी श्रीविद्योपासकों के लिए सबसे मौलिक और आवश्यक ग्रंथ का वर्णन कर रहा हूँ । स्वामी करपात्रीजी महाराज ने "श्रीविद्या रत्नाकर" की रचना की है।
मुझे आशा है कि श्रीविद्योपासक इस ग्रंथ को क्रय कर लाभान्वित होंगे।
मैं ग्रंथ क्रय करने के लिए भी लिंक टिप्पणियाँ अनुभाग में प्रदान कर रहा हूं।

Пікірлер: 17

  • @Radharaniji-Amitsharma
    @Radharaniji-Amitsharma Жыл бұрын

    परम पुज्य श्री गुरू जी चरणो मे प्रणाम

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    जय जगदम्बा

  • @bagimaansingh
    @bagimaansingh Жыл бұрын

    Very authentic and best book for all shree vidhya sadhaks

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    जय जगदम्बा

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad
    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad Жыл бұрын

    @Arvind Chitalke amzn.to/3z9Mgtr

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad
    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad Жыл бұрын

    Shrividyopasakas willing to Buy this Valuable Granth please open the link given below : amzn.to/400ryI2

  • @adc12345100
    @adc12345100 Жыл бұрын

    ग्रंथ अमेझॉन पर उपलब्ध है. मगर वह केवळ संस्कृत मे ही है. समझने मे दिक्कत आती है. श्लोक ऑर उसका हिंदी अनुवाद इस तरह कोई ग्रंथ है तो बताईये

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    जय मातेश्वरी, श्रीविद्यारत्नाकर पद्धति ग्रन्थ है। श्रीविद्योपासना के अन्तर्गत आनेवाली विभिन्न क्रियाओं का इसमें वर्णन उपलब्ध है। ये क्रियायें एवं मन्त्र तो समस्त भाषाभाषी संस्कृत में ही संपन्न करते हैं। क्रिया से पूर्व एक वाक्य में सरल संस्कृत में उसे करने का निर्देश लिखा गया है। भारत की लगभग समस्त भाषाओं में संस्कृत शब्दों का यथारुप प्रयोग मिलता है। अस्तु हमने "संस्कृत और उपासना" नामक एक वीडियो इस चैनल में प्रस्तुत किया है। उसे आपको देखना चाहिए। आप सभी को यह ग्रन्थ हार्ड कापी में श्रीविद्योपासना हेतु अवश्य अपने पास रखना चाहिए। ग्रन्थ PDF में साधना की दृष्टि से उपयोग नहीं करने चाहिए। साक्षात ग्रन्थ का पूजन कर ही उपासना प्रारंभ की जाती है। जैसा कि आप सभी अब तक जान चुके होंगे श्रीविद्या को हम व्यवसाय के रूप में प्रयोग न कर केवल साधकों की जिज्ञासाओं के समाधान हेतु नि:शुल्क प्रस्तुत करते हैं। अधिकांश चैनल अथवा वेबसाइट सशुल्क सामग्री प्रदान करते हैं। इस सामग्री को प्रामाणिक रूप में प्रस्तुत करने के लिए हमें बहुत से ग्रन्थ क्रय करने पड़ते हैं। आप समस्त साधकों से केवल यह अपेक्षा है कि हम जो मार्गदर्शन करते हैं उसका अपनी आवश्यकतानुसार प्रयोग कर साधना के उच्चतम स्तर तक पहुंच कर आत्मकल्याण और लोककल्याण करें। कुछ सज्जनों ने हमें संदेश भेजे कि आप इस गूढ़तम गोपनीय विषय को क्यों सार्वजनिक कर रहे हैं। क्या यह सब धनार्जन हेतु कर रहे हैं। हमने अभी तक उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। हो सकता है भगवती उन्हें वास्तविकता का स्वयं भान करा दें। क्या कोई भी एक व्यक्ति ऐसे सज्जन प्रस्तुत कर सकते हैं जिनसे हमने एक रुपये का भी लाभ लिया हो? चैनल से भी कोई आय नहीं होती है अपितु बहुत बड़ी राशि ही इस उपक्रम में व्यय हो रही है। इस सर्वोच्च परम कल्याणकारी साधना पद्धति के प्रसार में इतना सहयोग तो आप कर ही सकते हैं कि हमारे द्वारा प्रस्तावित ग्रन्थों को संदर्भित लिंक से क्रय करें। अभी तक हमने केवल "श्रीविद्यारत्नाकर"का लिंक प्रेषित किया है। आपने किसी और ग्रन्थ के विषय में जानना चाहा है। श्रीविद्याविषयक अन्य ग्रन्थों का लिंक प्रेषित करने का हम विचार कर रहे हैं। दूसरा ग्रन्थ "षोडशी रामायण के रहस्य" है ,इसे साधकों को सममूल्य पर (बिना किसी लाभ के) लेखक के परिवार की सहायता की दृष्टि से उपलब्ध कराने का प्रयास हम कर रहे हैं। जैसे जैसे आप साधनामार्ग में अग्रसर होंगे आपको इनकी आवश्यकता एवं उपयोगिता का अनुभव होगा। श्रीविद्यारत्नाकर का लिंक हम पुन: प्रदान कर रहे हैं।

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    यदि आप श्रीविद्योपासक हैं तो आप अपना परिचय मोबाइल नंबर देकर केवल ईमेल से संपर्क करें तथा समझने में क्या समस्या आ रही है लिखें। हम यथासंभव समाधान प्रस्तुत करेंगे।

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    Purchase this Book through the following Link : amzn.to/3TN2aU3

  • @MrRada111
    @MrRada111 Жыл бұрын

    Clearly not visible

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    Since the text is Dim, hence the scanned version is also light. If you like to read the book please have its hard copy. from this link : amzn.to/42hpXiL

  • @lakshyadave4
    @lakshyadave4 Жыл бұрын

    Maharaj aapse sampark kese ho sakta h ? Diksha adi vaishya pe baat karni ho toh ?

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    जय जगदम्बा, हमारे ईमेल पर अपना पूर्ण परिचय, अब तक यदि कोई दीक्षा हुई हो तो उसका विवरण तथा संपर्क सूत्र भेजें। हम संपर्क कर लेंगे। shri.siddhvidya@gmail.com

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    जय जगदम्बा, हमारे ईमेल पर अपना पूर्ण परिचय, यदि कोई दीक्षा प्राप्त हुई है तो उसका विवरण मोबाइल क्रमांक सहित भेजें। हमारा व्हाट्सऐप ग्रुप हमसे दीक्षित साधकों हेतु ही है। shri.siddhvidya@gmail.com

  • @the-Aaditya
    @the-Aaditya Жыл бұрын

    श्री मात्रे नम: साधक यदि पंचदशी तक दीक्षित हो लेकिन वह अनुष्ठान 5 साल के पश्चात् प्रारंभ करे तब तक केवल महा गणपति की ही साधना करे तो यह चलेगा?

  • @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    @श्रीविद्यासंवादShrividyaSamvad

    Жыл бұрын

    जय जगदम्बा, मन्त्रोपदेश हो जाने के उपरान्त 05 वर्ष पश्चात अनुष्ठान क्यों ? दीक्षा बीज वपन के सदृश है। क्या बीज वपन के उपरान्त खेत को 05 वर्ष तक यूं ही छोड़ देना चाहिए ? महागणपति साधना श्रीविद्योपासना का अभिन्न अंग है किन्तु सम्पूर्ण क्रम नहीं । इसके करने से लाभ तो होगा ही । चलेगा से आपका मन्तव्य ? जिनसे मन्त्र का उपदेश प्राप्त हुआ है,पुनः उनकी शरण में जाकर उनका आदेश प्राप्त करें अथवा पुनः म्नत्रोपदेश हेतु निवेदन करें अनन्तर उसी दिन से विधिवत उपासना प्रारंभ कर देना चाहिए। अतः

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