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Sangha Kiran Ghar Ghar Dene Ko -Lyrics संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले
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Sangha Kiran Ghar Ghar Dene Ko-Lyrics
संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले
मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले ॥धृ॥
नई चेतना का स्वर दे कर जनमानस को नया मोड दे
साहस शौर्य हृदय मे भर कर नयी शक्ति का नया छोर दे
संघशक्ति के महा घोष से असुरो का संसार दले ॥१॥
परहित का आदर्श धार कर परपीडा को ह्रिदय हार दे
निश्चल निर्मल मन से सब को ममता का अक्षय दुलार दे
निशा निराशा के सागर मे बन आशा के कमल खिले ॥२॥
जन मन भावुक भाव भक्ति है परंपरा का मान यहा
विश्व धर्म की स्वर वीणा पर गाते गौरव गान यहा
सब के सुख दुख मे समरस हो संघ मन्त्र के भाव पले ॥३॥
Пікірлер: 5
1996 मे ये गीत हमे शाखा मे शिकाया था
जय हिंद जय भारत ❤❤
संचलन शिभिर
😂
@kishantiwari9517
4 ай бұрын
इसमे दांत दिखाने वाली क्या बात है