Hai Vahi Purusharthi Jo -Lyrics है वही पुरुषार्थी जो संघ पथ चलता रहे
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Hai Vahi Purusharthi Jo Sangh Path Chalta Rahe
(है वही पुरुषार्थ जो संघ पथ चलता रहा) x 2
शील धीरज स्नेह के रथ बैठ कर बढ़ता रहा
है वही पुरुषार्थ जो संघ पथ चलता रहा
सौख्य में फुले नहीं विपदा पड़े रोवे नहीं
कंटकों के मार्ग में भी धैर्य बाल खोवे नहीं
शत्रु जिसका देख साहस (हाथ बस मलता रहे) x 2 … है वही
छूमती हैं सफलताएं चरण ऐसे वीर की
भाय कभी खाते ना जो चमकाते शमसेरा की
संघ के उत्थान हिट नित (नव चयन करता रहे) x 2 … है वही
मान-औ-अपमान सब कुछ हिंदू हिट स्वीकृति हो
हिंदू का हिट हो जहान तो मौत भी स्वीकार हो
है यह वट वृक्ष अपना (फूलता फलता रहे) x 2 … है वही
जागरण के गीत गाना ही सदा भाता जिसे
काल का दुष्चक्र छू चू नहीं पाता जिसे
तिमिर को फटता (दीपक जला हरता रहे) x 2 …है वही
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अंतिम चरण - - जो तिमिर को फाडता,दीपक जला हरता रहे l मेरे विचार से 'हरता' की जगह 'जलता' या 'रहता' शब्द ठीक होगा l आपकी राय क्या है ?