कामना है आत्मा के सौंदर्य का यह काव्य रूप मानसरोवर गंगोत्री के पावन पथ पर अग्रसर होता ,, कल कल निनाद करता अपने सरल , सहज और सतत प्रवाह में जीवंतता , जीवट , जिजीविषा समेटे और लपेटे हुए काल के कपाल पर nit नवल हस्ताक्षर करता हुआ निरंतर अविचल आगे बढ़ता हुआ , सभी आयामों और पड़ावों को पार करता हुआ शेष सुधा रस को अंजुरी में भरेगा । शुभारंभ आश्वस्तिदायक है । निरंतर स्वयं से आगे बढ़ने की यात्रा है , ख़ुद से युद्ध जारी रखें और खुद को परस्त करते हुए इस खुदी को सर बलंद रखने के प्रयासों का अलख जगाए रखें ।
@reetuverma54862 жыл бұрын
Wah wah kya gaye h aap 👍👍👍
@yogeshchaurasia9189 Жыл бұрын
sudhanshu ji sunder kavya maa sharda aise hi aap ke swar me hamesha rahe
@vibhorsharma9705 Жыл бұрын
Gjbb performance bhaiya
@sushilmishra61312 жыл бұрын
शानदार प्रदर्शन
@vibhorsharma9705 Жыл бұрын
लडको का ये शोर बता रहा की कविता कैसे सुनी जाती है,, शानदार भईया
@Raghav.30382 жыл бұрын
गजब भय्या
@rahulsomvanshsingh1118 Жыл бұрын
True naval bhaiya
@buddystars84709 ай бұрын
Chaudhary ka yaha aaoga 🎉
@maheshprasad8464 Жыл бұрын
Very Good
@shrikrishansharma40502 жыл бұрын
आप में कविता के लिए दमतो है पर इन सीमाओं से आगे निकल जाएं तब तो
Пікірлер: 15
वाह वाह वाह वाह सुधांशु भैया👍👍👍👍
बहुत शानदार काव्यपाठ
@subhashsamriya301
Жыл бұрын
🙏👍🙏
कामना है आत्मा के सौंदर्य का यह काव्य रूप मानसरोवर गंगोत्री के पावन पथ पर अग्रसर होता ,, कल कल निनाद करता अपने सरल , सहज और सतत प्रवाह में जीवंतता , जीवट , जिजीविषा समेटे और लपेटे हुए काल के कपाल पर nit नवल हस्ताक्षर करता हुआ निरंतर अविचल आगे बढ़ता हुआ , सभी आयामों और पड़ावों को पार करता हुआ शेष सुधा रस को अंजुरी में भरेगा । शुभारंभ आश्वस्तिदायक है । निरंतर स्वयं से आगे बढ़ने की यात्रा है , ख़ुद से युद्ध जारी रखें और खुद को परस्त करते हुए इस खुदी को सर बलंद रखने के प्रयासों का अलख जगाए रखें ।
Wah wah kya gaye h aap 👍👍👍
sudhanshu ji sunder kavya maa sharda aise hi aap ke swar me hamesha rahe
Gjbb performance bhaiya
शानदार प्रदर्शन
लडको का ये शोर बता रहा की कविता कैसे सुनी जाती है,, शानदार भईया
गजब भय्या
True naval bhaiya
Chaudhary ka yaha aaoga 🎉
Very Good
आप में कविता के लिए दमतो है पर इन सीमाओं से आगे निकल जाएं तब तो
क्या कविता इस हल्के पन से आगे नहीं है