(गीता-7) अर्जुन के तल पर उतर रहे कृष्ण || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2022)
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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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वीडियो जानकारी: 01.05.2022, वेदंर महोत्सव, ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
~ क्या स्वर्ग-नरक सच में होते हैं?
~ क्षत्रिय धर्म क्या है?
~ क्या श्री कृष्णा भगवान हैं?
~ दूसरे निंदा करते हों तो क्या करें?
संगीत: मिलिंद दाते
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Пікірлер: 364
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@lakshitsharma5533
Жыл бұрын
Please add this and all gita 2, gita 3 in Bhagwan Geeta playlist in KZread channel.. Also please publish next gita 8, gita 9 videos on KZread ASAP 🙏🙏🙏🙏
15 साल पहले गीता ले आया था पढने के लिए...भाषा मे ही फस के रह गया इतनी जमीनी स्तर पर लाकर बात को किसी ने नही बताया है भ्रम टूट रहा है अब जेसे कृष्ण अर्जुन के तल पर आकर समजा रहे है आचार्य जी भी हमारे तल पर आकर समजा रहे है 😘😘🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी के सब्सक्राइबर में से केवल दस परसेंट लोग भी अगर इस देश के सर्वोत्तम स्थान पर पहोच जाए तो भी देश में राम राज्य आ जाएगा और फिर से इसे सोने की चिड़िया कहा जाने लगेगा लेकिन अब इसको कोई लूट नहीं पाएगा क्योंकि ये सब आचार्य जी के शिष्य है. ओर आचार्य जी को भी शांति मिलेगी. नमस्कार आचार्य जी भगवान आपको लंबी उम्र के साथ स्वास्थय पूर्ण जीवन रहे.
@HK-ob9ct
8 ай бұрын
हम क्या कर रहे हैं, ये देखो
@akshaychaudhari6801
7 ай бұрын
इतने लोग आर्थिक योगदान भी करदे तो बहुत है
अर्जुन होने की यही निशानी है कि जब कृष्ण उपलब्ध हों तो उन्हें पहचानो और उन्हें सुनो। 🙏🙏
जो अज्ञानी हैं उनके लिए कर्तव्य ही ठीक हैं; जो ज्ञानी हैं उनके लिए कर्तव्यों से मुक्ति होती है। -आचार्य प्रशांत
1. दो तरीके : आत्मा, अहं वृत्ति तीसरा चिज़ : व्यक्तिगत अहंकार 2. 18 अध्याय में से जो सबसे उच्चतम , श्रेष्ठतम वो सबसे पहले आ गया : सांख्य योग 3. *उच्चतम तर्क से सहमत होने के लिए उच्चतम चेतना भी चाहिए।* 4. *गुरु शिष्य के बीच की प्रक्रिया कुछ ऐसे ही चलती है, गुरु की कौशिश रहती है कि आप आसानी से और जो श्रेष्ठतम है, उसको समझ जाएं। बात बहुत जल्दी भी खत्म हो सकती है, काम आसानी से हो सकता है। पर ऐसा हो नहीं पाता, तो फिर ओर नीचे नीचे ला कर के, जितनी भी नीचाई पर शिष्य होता है, गुरु उसका हाथ थामता है।* 5. आत्मा, अहं वृत्ति और क्षेत्रीय धर्म यानी व्यक्तिगत अहंकार; ये अलग अलग है, इनमें कोई गुत्थम गुत्थी नहीं : इन तीनों में अगर कुछ साझा है तो बस यह है कि तीनों के माध्यम से अर्जुन को प्रेरित किया जा रहा है शस्त्र उठाने को । 6. खुला हुआ स्वर्ग द्वार: ललचाया जा रहा है। लढ जाओ, स्वर्ग मिलेगा। दो चीजें साथ साथ चलते हैं, लालच और डर ; लालच को आज़मा लिया तो डर पीछे कैसे हो सकता है। 7. *अर्जुन का हठ और कृष्ण की व्याकुलता* यहां हम देख रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति को जो अधर्म को जीतता हुआ नहीं देख सकता । अपना उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ तो है नहीं , लेकिन धर्म के प्रति निष्ठा है, अर्जुन पीछे हटकर के बहुत ग़लत कर रहा है, में इसे ऐसा करने नहीं दुंगा। जितने उपाय हो सकते हैं, सब आजमाऊंगा। 8. निंदा का भी भय दिखाना पड रहा है - *कृष्ण की कठिनाई* 9. *आध्यात्म मूर्खता का अतिक्रमण करता है, मूर्खता को काटता है , मूर्खता का ही इस्तेमाल करके।* आध्यात्म संसार को छोड़ने को नहीं कह सकता; आध्यात्म कहता है: *संसार का सही इस्तेमाल करो, संसार को ही तोड़ने के लिए।* 10. *सही उद्देश्य के लिए जो कुछ भी कर रहे हो, वो अनिवार्यतः सही ही होगा* ; धर्म के खातिर किसी को डरा रहे हो, ललचा रहे हो, तो अच्छी बात है। 11. साधारण मध्यम वर्गीय नैतिकता कामों को दो हिस्सों में बांट देता है : अच्छा कर्म और बुरा कर्म। लेकिन *आध्यात्म कहता है सही लक्ष्य के लिए जो कुछ भी करा, सब अच्छा है।* 12. a. अल्प बुद्धि वाले b. वेदोक्त काम्य कर्मों की प्रशंसा करने वाले ( कर्मकांड पर विश्वास करके कामनाओं की पूर्ति करने वाले ) c. स्वर्गप्रद कर्मों के अतिरिक्त और कुछ नहीं है ऐसे मन का पोषण करने वाले d. कामनायुक्त e. स्वर्ग लाभ को ही परम पुरुषार्थ मानने वाले f. जन्म रूप, कर्म-फल तथा सुखभोग और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली अनेक प्रकार क्रियाओं के प्रति आसक्त लोग ~*इन लोगों 👆🏻 के अंतःकरण में आत्मा-संबंधी निश्चयात्मक ज्ञान टिक नहीं पाता।* 13. *गीता ज्ञान उनके लिए है जिनके लिए सत्य, सुख से बहुत ऊपर हो।* जिनको अपनी मत की पुष्टि में रूचि न हो, सच्चाई जानने में रूचि हो। 14. जो कृष्ण की संगति पकड़ ले, कितना भी कष्ट मिल रहा हो, भले ही वो यह बोल रहे हैं कि जिस चीज से तुम सबसे ज्यादा मोहित हो उसी को काट दो, बस संगति छोड़े नहीं ~ *यही अर्जुन होने का अर्थ है।* 15. जो कुछ भी अनुभव होता है, उसके प्रति एक हल्कापन रखना है, जैसे काम चला हुआ है, व्यवहारिक है। 16. अगर कोई व्यक्ति आध्यात्मिक है और कोई नहीं है, दोनों में मूल अंतर प्रेम का होता है, *हम अज्ञानी नहीं प्रेमहीन होते हैं।* ताकत और साहस दोनों प्रेम से आते है। हमारे पास बस रूखी गणनाएं होती है। 17. *प्रेम हमारे लिए एक लगातार जलने वाली आग होनी चाहिए।* वो आग जल रही है, वही आपको ऊर्जा दे रही है और वही आपको खाए जा रही है। 18. *माया ही मुक्तिदायिनी होती है ।* शक्ति के एक नाम भी है: *महामाया* 19. खेल याद रखने का नहीं है, खेल याद ना रखने का भी नहीं है, असली चीज है : निष्ठा होनी चाहिए जीवन में उतारना। 20. *आप चुनाव कर सकते हो कि गीता ज्ञान को टिकाना है और पूरानी ज्ञान को हटाना है।* आप गीता के साथ नहीं हो सकते, अपने साथ हुए हुए। 21. *गीता*, ज्ञान की चीज नहीं है, गीता जीवन की चीज है। *या तो वो जीवन में उतरेगी नहीं तो फिर वो ज्ञान की तरह मन में भी नहीं बैठेगी।* या तो आप में आयेगी तो आप पर पूरा नियंत्रण कर लेगी, नहीं तो वो अपमान मान कर पूरी ही वापिस चली जायेगी। 22. अगर हम मान लेते हैं कि सबकुछ अपने आप हो जाता है, तो फिर उम्मीद क्या बची, बदलाव की, सुधार की, प्रगति की, *पहले मानना पड़ेगा कि हमारे चाहने से होता है, हमारे द्वारा अनुमत होता है, छुपी सहमति है उसमें* 23. लेकिन शब्द जहां पर है जान लेना बेईमानी है , *प्रार्थना की नहीं पुरूषार्थ की जरूरत है। बल कमाना नहीं है, जगाना है।* 24. *कुछ भी अगर आपको कठिन, बडा, खोफनाक, डरावना लग रहा हो, वो सिर्फ इसलिए है क्योंकि आप अपने आपको छोटा बनाए हुए हैं उसकी तुलना में और छोटे रहना चूनाव की बात है।* *दर्द सहने की आदत डालिए, चोट खाए बिना प्रगति नहीं होगी, भीड़ जाइए।*
कोई आदमी आध्यात्मिक है और कोई नहीं है उनमें मूल अंतर प्रेम जा होता है। हम अज्ञानी नहीं होते हम अप्रेमी होते हैं। डरे हुए और प्रेमहीन। हमारे पास बस हमारी रूखी गणनाएँ होती हैं। और ज्ञान एकदम काम नहीं आता अगर आदमी रूखा है एकदम। हमारे लिए प्रेम एक लगातार जलने वाली आग होनी चाहिए। -आचार्य प्रशांत
प्रणाम आचार्य जी 🙏। आप इस नए युग के कृष्ण ही है पर मैं अर्जुन तो नही हूँ पर मैंने भी आपको एक बार में ही चुन लिया है ।। आप मेरे लिए तो सर्वज्ञ है ।।
हम छोटी छोटी चीजों से लगाव तो कर लेते हैं लेकिन बड़ी चीज़ से प्यार नहीं कर पाते, हम डर जाते हैं। -आचार्य प्रशांत
🌹🥺🌹🥺🌹🥺 लग रहा है श्री कृष्ण ही गीता लाखों अर्जुनो को दे रहें हैं 🥺🙏🙏
मुझे नहीं लगता आज के समय में कोई भी आचार्य प्रशांत जैसे गीता समझा सकता है और ना ही कोई बिना आचार्य जैसे गुरु के गीता समझ सकता है
बल कमाना नहीं है जगाना है 🙏❣️ धन्यवाद आचार्य जी ।
नैतिकता वादी व्यक्ति यदि सत्य निष्ठ है तो उसका कर्म धार्मिक होगा अन्यथा वही पुरानी खोखली मानसिकता के ऊपर चलेगा। धन्यवाद आचार्य जी
आचार्य जी के सानिध्य में गीता पढ़े बिना जीवन में कोई भी सुमधुर गीत का उतरना बेहद दुष्कर है। शत - शत नमन 🙏
उच्चतम तर्क से सहमत होने के लिए उच्चतम चेतना चाहिए।
गीता का सच्चा ज्ञान आचार्य जी ही दे सकते हैं। आचार्य जी को कोटि कोटि प्रणाम
आचार्य जी के श्री चरणों में कोटि कोटि वंदन🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼❤❤❤❤❤
माया को समझ कर उससे मुक्त होना आपने ही सिखाया, इसका आभार मैं कैसे व्यक्त करूं✨❤️
भगवान के आशीर्वाद से आज गीता वैक्सीन की सतवी डोज सफलता पूर्वक लगवा ली । उम्मीद है आगली डोज जल्द ही बाजार मे उपलब्ध होगी । धन्यवाद आचार्य जी
@naveenbharmoria898
Жыл бұрын
😂😂
@yudhveersingh3491
Жыл бұрын
Thank you sir
आज ही मैने आचार्य जी के द्वारा विश्लेषित गीता का पहला भाग खरीदा । पहले अध्याय के साथ ही अबतक का सबसे स्पष्ट अनुभव हुआ है क्योंकि इससे पहले भी मैने गीता पर अन्य लोगों द्वारा टिप्पणी पढ़ी है,परंतु आचार्य प्रशांत द्वारा समझाए गए तर्क एक अलग ही आयाम के लगाते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद! बाकी लोगों से भी सविनय आग्रह है आचार्य जी के द्वारा टिप्पणी की गई गीता को अवश्य पढ़ें।
आचार्य जि मेरा नाम प्रताप ओडिशा से बोल रहा हूँ आपको सत सत नमन 🙏🙏🙏 गुरु जि मे आपका पवित्र बानी को सुन रहा हुँ , प्रभु जी एक लघु शंका है . जहाँ श्री मद गीता कहते है की आत्मा को या चेतना को कोई दुःख, कष्ट, नहीं होता है। और जिब के मरने के बाद आत्मा परंब्रम मे लीन हो जाता है और ये प्रकृति के शरीर मे लिन हो जाता हैं । लेकिन गरुड पुराण के अनुसार ये दशाह क्रिया, पिंड दान और स्वर्ग नर्क क्यों, ओर किसी केलिए . नर्क मे ये सब कुछ सजा कौन भोगता हे. कृपा करके थोड़ा मार्ग दर्शन की जिए 🙏
प्रणाम आचार्य जी मन जब बहुत परेशान होता है तो परमात्मा की शरण में जाना ही पड़ता है वही शांति मिलती है
🙏🙏 कोटि कोटि नमन आचार्य जी। आप तो स्वर्ग के देवता हो।
शत शत नमन आचार्य जी । ❤🙏🙏
बचपन से ही मुझे श्रीमत भागवत गीता पढ़ने सुनने में बहुत रूचि रहा हैं, 7-8 वर्ष की उम्र से ही मै भगवत गीता पढ़ रहा हूं लेकिन वही बात है की बस पढ़ रहे थे अपने हिसाब से जैसा अर्ध समझ आए समझ लेते थे, आचार्य जी को सुनने के बाद अब लगता हैं की अब सही मतलब समझ आ रहा है आचार्य जी आप को कोटी कोटी नमन है... 🙏🙏
Love this series
ऐसे महान आचार्य जी के लिए ईश्वर से प्रार्थना करतीं रहूं शत् शत् नमन 🙏🙏
गीता आपके सरल ढंग से समझाने से ही मेरे मन में कुछ कुछ बैंठी है नहीं तो गहराई में उतारती ही नही थी आचार्य जी को कोटि कोटि नमन धन्यवाद मेरा ❤️🙏🙏 स्वीकार करें
ज्ञानी बहुत बड़ा खतरा होता है आम समाज के लिए।।
Jai Hanuman🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Jai Shree Ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Jai Shree Radhe Krishna🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
मै बड़ा नासमझ हू आचार्यजी मै अपनी जिदगी के ढर्रों मे फ़स गया हु निकाल नहीं पा रहा हु लेकिन बड़ी जरूरी है मुक्ति जीने नहीं देती प्रयास प्रयास और प्रयास
Kitna Sahi or Satik arth samjhaya aapne Shreemad Bhagwat Geeta ka acharya ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
इस अनमोल विधि से गीता के अदभुत झान को सहजता से प्रचारित करने के लिए आपका श्रम कभी व्यर्थ नहीं होगा। शत शत नमन आचार्य जी 🙏🙏
शुभ प्रभात सत सत नमन आप मेरे विचारो पर खरे उतरते जा रहे हैं
When you smile Acharya ji (1:11:00) a deep happy molecule lights up 🙏🏻
बहुत खूब आचार्य जी😊😊 आपकी इस गीता जैसा मैंने कभी अर्थ सुना ही नही, लोगो ने गीता को भी अपने उपयोग की तरह इस्तेमाल किया है।
नमन गुरु देव आपके मुख से एक एक शब्द अंदर समा जाता है और कुछ गलत करने से पहले आपके द्वारा बताया ज्ञान बहुत कुछ बदलाव लाया है
मै अजिनाथ, महाराष्ट्र जि. पुणे से आपको नमन करता हू. जिवन मे यात्रा करते करते हर कदम पर आपके माध्यम से आत्मा की पुकार सूनाई देती है. शत शत नमन आचार्य जी. हर दिन हर पल आत्मा/सत्य के उपर के गलात मान्यता, शिक्षा, प्रभाव, संगती आदी के अवरान तुटते हैं. मन पहिले से अधिक साफ होणे का भाव जैसे चित्त के कुडाकचरा जैसे जमीन पर आपके विचारोने सफाई करणे जो बीज बोये हैं उसके लिये मैं अपका मेरे मन से ऋणी हु.... मैं अपने हृदय कि भावना शब्द मैं नहीं व्यक्त कर सकता उसके लिये मेरा मौन स्वीकार करे....🙏🏻
*“गीता” बहुत ही “सुंदर ज्ञान है”, साथ ही* *“गीता एक नया और सुंदर जीवन” जीने का* *“आरंभ” भी है।* ❤🔥🔥🔥🔥🙏🙏
कितने बड़े, उच्च तुम कितने, कितने दुर्लभ, दिव्य महान। गले लगाया मुझ नगण्य को, सब भगवत्ता भूल सुजान। जय श्री कृष्ण।आज के कृष्ण को मेरा प्रणाम।
गुरू जी आप की चरणो मे कोटी कोटी नमन 🙏🚩🕉️💓🌹
Har Har Mahadev🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
चरण स्पर्श, आचार्य जी...🙏🏻🙇🏻
!! नमन आचार्य जी !!
बोध ग्रंथो की पूर्ण स्पष्टता आपसे मिलती है आचार्य जी।।🙏🙏
Shree Krishna Sharnamh🙏🌻
Hare krishna hare hare
Jai ho Satye Sanatan Vedic Dharm ki 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
गीता ज्ञान की चीज़ नहीं है, गीता जीवन की चीज़ है। या तो वो जीवन में उतरेगी, नहीं तो वो फिर ज्ञान की तरह मन में भी नहीं बैठेगी। श्रीमद्भागवत गीता आपको पूरी तरह वशीभूत कर लेंगी। या तो पूरा कब्ज़ा होगा उनका या तो अपमान मान कर पूरी ही वापिस चली जाएंगी। आप ये नहीं कर सकते कि जिंदगी मेरी तो पहले की तरह ही साधारण औसत मध्यमवर्गीय ज़िन्दगी चलती ही रहेगी और साथ ही साथ मैं गीता भी रख लूँगा मन में। ये दो साथ-साथ नहीं चल सकते। या तो गीता को आप पूरा अधिकार, पूरा नियंत्रण दीजिए। नहीं तो वो पलट के वापस चली जाएगी। -आचार्य प्रशांत
Intezaar rhta h Acharya ji ki Geeta explanation ka 😭❤🙏🙏🙏
गीता को बिल्कुल ही अलग और अद्भूत नजरिए से समझा। नमन 🙏🙏
आचार्य जी कोटि कोटि नमन आपको
गीता जी का सही अर्थ आचार्य जी ने बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया है।
बहुत रस मिलने लगा है आपको सुनने में आचार्य जी!!! ❤️ 🙏
अध्यात्म मूर्खता को काटता है।बहुत सही सही बात।👍🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आचार्य जी आपसे जुडकर और आपके द्वारा गीता के श्लोकों के अर्थ सुनकर जीवन को सही तरीके से जानने का अवसर मिला है उसके लिए आपको मेरा कोटि कोटि नमन प्रश्न कर्ताओं का बहुत बहुत धन्यवाद आपके प्रश्नों से मुझे भी अपने प्रश्नों के जबाब मिले आचार्य जी को मेरा कोटि कोटि नमन 🙏🏼
यदि आप जानते हैं कि आप सही कर रहे हैं तो नियमों को तोड़ना कहीं से गलत नहीं हो गया। लेकिन गहरी आश्वस्ति होनी चाहिए कि आप सही कर रहे हैं।🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य, जी को शत शत नमन, सत्य को प्रकाशित करने के लिए आपका हृदय से आभार।
Acharyaji se geeta sunke-pdhke bahut acha lagta h 🙏🏻🙏🏻🥰🥰 Aapka bahut bahut dhanyawad 🙏🏻🙏🏻🥰🥰🥰
बल कमाना नहीं है, जगाना है। तुम्हारे चुनाव पर निर्भर करता है। किस पच में खड़े हो , मतलब तुम उसको रखना चाहते हो । चुनाव है तुम्हारे पास , बल का। दर्द सहना सीखो क्योंकि गंदकी हटेगी तो वार जरूर करेगी। तो सत्य के लिए झेलीय, सोखते जाओ। धन्यवाद आचार्य जी
आज तो मज़ा ही आ गया आचार्यजी,कई ऐसे सारे सवाल थे जिनका मुझे आज उतर मिला है। श्रीमद भगवद्गीता के माध्यम से।
शत् शत् नमन आचार्य जी 🙏🙏❤️
नमन आचार्य जी
प्रणाम आचार्य जी...🙏❤😍😊
🙏🙏🙏
शत शत नमन आचार्य जी🙏🙏🙏🙏
शत शत नमन गुरुजी ❤
Acharya ji aapke charno me mera koti koti Pranaam 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Love you acharya ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏
नमन आचार्य जी 🙏🌺
Superb positive......kya kah sakte hain. Iss ek baat me jeevan ka sabse badaa motivation hai.
शत शत नमन गुरूजी ❤️🙏
@randhirkumar1090
Жыл бұрын
Would you attend any live session of acharya ji
Acharya ji apke dwara hi hum geeta samajh paa rhe he varna sirf padte the
अहं के पास ही चुनाव की शक्ति होती है। -आचार्य प्रशांत
Thank you Sir, for great uploading. 🌺🌺🙏
युद्ध पर्सन से नही मोह से होता है।
नमन 🙏
The nature of the Mind is elusive. Knowing this illusion is the Truth.
अध्यात्म कहता है सही लक्ष्य के लिए जो कुछ करा वो सही और बुरे कर्म के लिए अच्छे से अच्छा कर्म भी बुरा होता है ,, आचार्य प्रशांत 2🙏🙏🙏
प्रणाम गुरुजी नमन🙏🙇
Jai Shree Krishna
🕉 नमन! 🕉🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गीता ज्ञान उनके लिए है जिनके लिए सत्य सुख से बहुत ऊपर हो। 🙏🙏🙏🙏
Garv se kaho hum Sanatani Hindu hai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Naman 🙏❣️guru ji
Minimum 50 million subscribers hone chahiye acharya g ke
धन्यवाद आचार्य जी ♥️
Thank you sooooo much Aacharya ji.... Hume Geeta ki sahi gyaan dene ki liye 🙏🙏🙏🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️
Ek hi line mein sab kuchh samjha diya maharshi parmacharya Prashant ji ne.. dhanya hain aapki vaani jo mujh jaise moorkhon ko samjha rahi hai.
Pranam achary shri 👏💐
Love you sir 🙏🌄🇮🇳 mahadev shiv shambhu आपको खुस रखे
43:06 ज्ञान और प्रेम👍❣️
Pranam gurudev 🙏 ❤️ 💐
Thanks
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏
धन्यवाद आचार्य श्री 🙏❣️
अध्यात्म मूर्खता का अतिक्रमण करता है, मूर्खता को काटता है मूर्खता का ही इस्तेमाल करके।
acharya prasant sir aap mere liye swami vivekanad hai, jinhone 19th century mai vedanta ko samjhya tha aur aaj aap swami vivekanad ki tarah vedanta ka bodh(gyan) kara rahe hai Isse mujhe apne lakshya aur spasth ho raha hai