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देवता बैंद्रा । कथा का कविता के रुप में व्याख्यान | | Devta Bendra Story as poetry

********जय देवता बैन्दरा************
( कथा)
" दानी राजा थे" नदौन" हिमाचल के दान पुन बहुत किया करते थे,
नित्य संध्या पूजा के बाद मां दूर्गा के साथ चौपड खेला करते थे!
"दिन भर दान- पुन करने के बाद हर शाम महल में मां की पूजा- अर्चना हुआ करती थे,
भक्ति से खुश होकर मां दूर्गा साक्षात दर्शन दिया करती थी!
"मां ने दिया था दिल से आशीर्वाद एक दिन ऐसी शक्ति पायेगा,
हर इंसान दर पर तेरे अपना सीस नवायेगा!
"निकले फ़िर राजमहल छोडकर ,एक सेवक(कौलू) साथ आया था,
जिन्होने बडी निष्टा से सेवक का फर्ज निभाया था!
"राज-पाठ सब त्यागकर ,भक्ती की राह पर निकल आये थे,
अपने साथ राह से कायल और देवदार के बीज भी लाये थे!
"राह पर चलते - चलते बीज कायल और देवदार के वृक्ष के डालते आ रहे थे,
धीरे- धीरे ये दोनों वृक्ष भी उगते जा रहे थे !
"सफ़र पर चलते चलते थककर एक जगह विश्राम किया,
भक्ति के लिये चुनी वो जगह "कलाला "उसको नाम दिया!
"सफ़र में थकान से प्यास बहुत लग आई थी, प्यास और थकान से जान पर बन आई थी!
"महाराज बोले सेवक से ,ईस विराने में प्यास कैसे बुझायेंगे,
इतनी उंचाई वाली जगह में पानी कहां से लायेंगे!
"मां दूर्गा का आहवान कर, अपना ब्रछा जमी पर जो मारा है,
एक ही बार जमी से निकल आई जल की धारा है!
"जल धारा के लिये तालाब बनाकर, एक पून्य का काम किया,
चडाया जायेगा मेरी पूजा में तुम्हारा जल ऐसा पवित्र तालाब वरदान दिया!
"बुझाई थी प्यास जिस तालाब(डलहौण)के जल से ,वो "पहाड की चोटी "पर आज भी" विराजमान "है,
सुखा नहीं सदीयों से आज भी इसका जल ऐसा मिला हमें महाराज से वरदान है!
"निकले थे जिस "भक्ती की राह " पर फिर उसका "अनुसरण"किया, मां की भक्ती में सालों-साल खुद को लीन किया!
"उन दिनों 'गायें' जंगल' चरने जाया करती थी , एक गौ-माता नित्य महाराज को दूध पिलाकर उनकी भूख मिटाया करती थी!
"एक दिन ग्वालिन ने "गौ- माता "को दूध पिलाते देख लिया,
उसने "गौ-हांकने वाली छडी से, भक्ती में लीन महाराज को छेड दिया!
"भक्ती भंग कर तपस्वी की "ग्वालिन "ने जो पाप किया ,
एक ही दृष्टि से महाराज ने अस ग्वालिन को पत्थर रूप में ही कायल के पेड़ में"श्रापित " किया!
"फिर एक बार खूद को "मां की भक्ती" में लीन किया,
धीरे-धीरे फिर जलता ही गया "मां की कृपा "से दिव्य रोशनी का पवित्र दिया!
"घोर "तपस्या "के बाद फिर "मां की कृपा" का दिन आया था,
"12 साल बाद" ईस दिन' मनुष्य 'देह त्यागकर महाराज ने 'देविक रूप 'पाया था!
"जब "शक्ति रूप "मे प्रकट होकर "देविक रूप" धारण किया ,
तो सबसे पहले अपने सेवक (कौलू पंडित) को "वरदान" दिया!
"12 साल "तुमने मेरी सेवा की ईसका "फल "तू पायेगा,
तुम्हारे सिवा भविश्य में ,कोई ना मेरी पूजा कर पायेगा!
"सेवक" की सेवा का देवता जी ने "इनाम" दिया, घयाल के गांव "भूईला "में रहने का उचित "स्थान "दिया!
"गौ-माता की सेवा का भी देवता महाराज ने सम्मान किया था,
चडाया जायेगा तुम्हारा गौ-मूत्र और दूध मेरे राह और स्थान शूद्धी में ऐसा उनको वरदान दिया था!
" धीरे-धीरे जनता को ईस "देव शक्ति "का ऐहसास हुआ ,
फिर "सामुहिक" तौर पर इनके मंदिर निर्माण "का प्रयास हुआ!
"लेकिन अपनी वाणी से "मंदिर" के लिये महाराज ने "देवरी गांव "का नाम लिया ,
फ़िर "समस्त पंद्रह सौ "की जनता ने यहां एक "भव्य मंदिर "का निर्माण किया!
"मंदिर में "देवता महाराज "को स्थापित करने के लिये "यज्ञ और अनुशठान "हूए,
ईस तरह फिर देवता जी महाराज "सिंहासन "पर विराजमान हूए!
"डोल, नगाडो और ताल" की गूंज के साथ" देवता महाराज "की जय-जयकार की वो घडी आई है ,
और फिर पूजा-अर्चना की "रीत " पुजारी के हाथों शूरू करवाई है!
"तब से आज तक "हर वर्ष "हर गांव देविक "अनुशठान" (हाले की खीण)कराये जाते हैं,
ईस अनूशठान में" देवता" और सगे- संबंधी ,बुलाये जाते हैं!
"आज भी उस भक्ति स्थल(कलाला जंगल) पर हर 12 साल बाद रात्री पूजा(टिक्कर) करवाई जाती है. पंद्रा सौ घयाल के लोगों द्वारा बडी श्रद्धा से ये रीत निभाई जाती है!
"देवता पालकी में पंद्रा सौ घयाल समेत रात्री के समय ईस पवित्र भक्ति स्थल(कलाला) पर जाते हैं ,
रातभर जागते हैं लोग और सुबह "टिक्कर पूजा" कराई जाती है!
'जय जयकार' देवता बैन्द्रा जी महाराज!
🙏🙏🙏🙏🙏
देवनांनू जी महाराज मुझसे आपकी कथा लिखते कोई कमी रह गई हो या गलती हो गई हो तो मुझे क्षमा करें !देवनानू मेरा उद्देश्य सिर्फ हमारी पीढ़ियों को आपके देविक रूप तक के सफर और आपार शक्ति से वाकिफ करवाना है ताकि हमारे पीढियां आपका आशीर्वाद पाकर जीवन सफर पर चलती रहे!!...गलतीयों के लिए क्षमा करें महाराज!🙏🙏
"जैसरी ठाई ,तेसरी सरमाई, माटी रा सातरा आसमानअ री छाई, रक्षा करअ देव- दुर्गा ,कौलू- कराल क्यारी री महामाई ,
"अर्थात "
( जिसकी जगह उसका बोलबाला, मां धरती का आसरा और आसमान की छत, रक्षक हमारे देवता जी ,मां दुर्गा, कौलू , कराल (लंकडा बीर )और माता महामाया क्यारी वाली)
"संक्षिप्त विवरण कथा का कविता के रूप में व्याख्यान!
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सुशील भीमटा
ग्राम डिल्वी
डाo घर पनोग
तहसील कोटखाई
जिला शिमला
हिo प्रo

Пікірлер: 8

  • @rahanrustframed1450
    @rahanrustframed145019 күн бұрын

    Jai Devta Baindra Ji Maharaj!! 🙏🙏

  • @Shubham._.chauhan
    @Shubham._.chauhan4 ай бұрын

    Mna suna hamra devta ji sbsa pehla devta

  • @vanshghalta1307
    @vanshghalta1307Ай бұрын

    JDB❤🙏

  • @himachalbeauty708
    @himachalbeauty7082 ай бұрын

    Jai devta bendra🙏♥

  • @Aryan.Thalta
    @Aryan.Thalta8 ай бұрын

    🚩 जय श्री देवता बैन्द्रा जी महाराज 🚩

  • @NikhilSharma-fn3ry
    @NikhilSharma-fn3ry Жыл бұрын

    जय मां आदिशक्ति नंदेश्वरी मैया जय देवता बेंद्र

  • @staar7633
    @staar7633 Жыл бұрын

    जय देवता बेन्द्रा देवरी

  • @paricreation8662
    @paricreation8662 Жыл бұрын

    Jai ho

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