0:06 रामसखी कृत पद्य -११६- विज्ञान वंशी विज्ञान वंशी बजाते वह भगवान हैं;। भगवान हैं, मायानंद चैतन्य अवतार हैं। दिखाते हैं वंशी में आकार को,। पंच तत्व से बना दृश्य साकार है॥१॥ बताते गुणों को जो हैं कार्य कर्ता,। ‘इच्छा’ सतो बुद्धि आगार है॥२॥ अखिल विश्व क्रिया रजोगुण कर रहा,। हल - डुल करे मन चमत्कार है ॥३॥ है द्रव्य शक्ति तमोगुण यही,। करे धारणा जो अहंकार है ॥४॥ बताते हैं वंशी से इच्छा मेरी,। अखंड गति से फिरे मंडलाकार है॥५॥ लखाते हैं बुद्धि से मिठास को,। यही ब्रह्म अक्षर निराकार है॥६॥ है स्वभाव मेरा यही सत स्थायी,। प्रकाशे स्वयं सर्व सतसार है॥७॥ अस्ति पद में ये दोनों समाये हुए,। निजानंद यही सर्व आधार है ॥८॥ लखोगे जभी सदगुरु कंद वंशी,। मिटेगा अहं शांति भंडार है॥९॥ ‘सखि’ बुद्धि में बौद्ध वंशी बजे,। इसी से कहे बौद्ध अवतार है॥१०॥ परम धाम निजपद में स्थिर करे,। जहाँ नाम का लय वो गुलजार है॥११॥ संक्षिप्त व्याख्या- सदगुरु भगवान मायानंद चैतन्य नवम् बुद्ध अवतार हैं क्योंकि वह विज्ञान वंशी ( दिव्यचक्षुयोग विधि ) बजाते (प्रत्यक्ष व यथार्थ आत्म-बोध कराते) हैं। वंशी ( दिव्यचक्षुयोग ) में सर्वप्रथम वह आकार ( किसी को भी देखने पर प्रथम उसके आकार पर दृष्टि जाती है ) को दिखाते हैं; यह विश्व ही विश्वरूप परमात्मा है अत: इसके अनंत व्यष्टि दृश्य पंच तत्वों से बने साकार स्वरूप दीख रहे हैं ॥१॥ फिर वह तीनों गुणों को बताते हैं कि इसमें सारे कार्य गुणों द्वारा हो रहे हैं (गी ॰१४-१९)। बुद्धि में रहने वाले सतोगुण से कार्य की इच्छा उत्पन्न होती है॥२॥ मन से रजोगुण द्वारा संपूर्ण विश्व की क्रिया ( हिलना डुलना आदि सभी क्रियाएँ ) होती हैं; यह चमत्कार (अद्भुत बात) है।॥३॥ तमोगुण की द्रव्यशक्ति ( कार्य में लगने वाली शारीरिक मानसिक शक्ति ) लगती है तथा कार्य पूरा हो जाने की धारणा तमोगुण ( अहंकार ) है।॥४॥ सदगुरु यह प्रत्यक्ष करते हैं कि पंच रचित, तीन गुण कार्यकर्ता इस विश्व का स्वरूप अनवरत, अखंड परिवर्तनशील है और परिवर्तित होते-होते पुन: उसी स्वरूप में आने से यह मंडलाकार घूम रहा है।॥५॥ अब इसी क्षर भाव यानी साकार सगुण स्वरूप विश्व में ठोस, कूटस्थ भरी मिठास (प्रियत्व) को बुद्धि द्वारा लखाते हैं (अनुभव कराते हैं)। सर्व में व्याप्त यह प्यारापन ही अक्षर ब्रह्म , निराकार रूप है।॥६॥ अपरिवर्तनशील, नित्य, स्थायी अक्षर आत्मा ही वस्तु (परमात्मा) का स्वभाव है जो स्वयं (स्वभाविक ही सर्व को प्रकाशित किये हुए है ; यही सत्-सार है।॥७॥ ‘अस्ति’ पद (पुरुषोत्तम पद) में यह दोनों ( क्षर सगुण साकार और अक्षर निर्गुण निराकार ) समाये हुए हैं जैसे मिश्री नाम में उसका सफेद आकार और मिठास स्वभाव समाया हुआ है। इस प्रकार संपूर्ण दृश्य का आधार पुरुषोत्तम परमात्मा होने से स्वयं का स्वयं को आनंद अनुभूत होता है।॥८॥ जब सदगुरु की कंद वंशी ( दिव्यचक्षुयोग अनुभव ) लखने में आयेगा तभी व्यष्टि अहं (विश्व से अपनी पृथक सत्ता की मानिंदी) मिट जायेगी और केवल तभी अचल सुख-शांति प्राप्त होगी अर्थात् सदगुरु की कंद वंशी अटल शांति का भंडार है।॥९॥ रामसखी कहती है कि बौद्ध-वंशी ( दिव्यचक्षुयोग-अनुभव) बुद्धि में बजती (लखने में आती) है इसीलिए उन्हें बुद्धावतार कहते हैं।॥१०॥ बुद्ध भगवान की यह बौद्ध वंशी परमधाम निजपद ( आस्तिक्य पद ) में स्थित करती है जिसमें कि नाम का भी लय है अर्थात् त्रिपुटी रहित , ऊर्जा, आनंददायी एक वस्तु खिली हुई है।॥११॥-गौरा
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Radhe Radhe Radhe Radhe ❤❤❤❤
🙏🌼💛जय लक्ष्मी नारायण बिष्णु भगवान 💛🌼🙏🙏
Radhe Radhe ji 🙏🙏🙏🙏🙏
Radhe radhe 🙏🏻🙏🏻
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Jay Shri Radhe Radhe
Radhe Radhe ❤❤
Jai shri Ram ❤
राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधावल्लभ श्री हरिवंश
🙏🙏🕉️🕉️ Aum Jai Surya Bhagwan 🌹
Om aprajita namo ha
Thank you for video 🙏
108time ka video banaye please 🙏
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Thank you mam 🙏🙏
Jay Shri Radha Radha Radha Radha
Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe
Radhe radhe
Radhe Radhe bhagto 🎉❤🎉
Jai matadi
Jai ho brihaspati dev ji ki❤
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🙏🌺💚🌺जय जय गणनाथ श्री गणेश भगवान 🌺💚🌺🙏
जय जय लक्ष्मी नारायण
🙏🌺❤राधे राधे राधे 💚कृष्ण कृष्ण 💚❤🌺🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bhut acha dhanyavaad 🙏🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha 🙏🙏
Radhe Radhe❤❤🥺🥺
🙏🌷🌷🌷💚जय श्री गणेश 💚🌷🌷🌷🙏🙏🙏
JAI SHREE RAM
Shree Radha
Om aprajita namo ha
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Radhe Radhe Jay Shree Krishna
ॐ श्री गणेशाय नमः 🙏🙏
01) राधा 02) रासेश्वरी 03) रम्या 04) कृष्णमंत्राधिदेवता 05) सर्वाद्या 06) सर्ववन्द्या 07) वृन्दावनविहारिणी 08) वृन्दाराध्या 09) रमा 10) अशेषगोपीमण्डलपूजिता 11) सत्या 12) सत्यपरा 13) सत्यभामा 14) श्रीकृष्णवल्लभा 15) वृषभानुसुता 16) गोपी 17) मूलप्रकृति 18) ईश्वरी 19) गान्धर्वा 20) राधिका 21) आरम्या 22) रुक्मिणी 23) परमेश्वरी 24) परात्परतरा 25) पूर्णा 26) पूर्णचन्द्रनिभानना 27) भुक्ति-मुक्तिप्रदा 28) भवव्याधि-विनाशिनी
🙏🌺❤जय श्री राधे कृष्ण ❤🌺🙏
श्री राधे राधे,,❤🎉 बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Om namah shivaye 🙏🙏🥰🥰♥️♥️😊😊
Shri Radhe Radhe 🌿🛐
Jay Jay Shree Krishna Jay Jay Shree Radhe Radhe 😊😊❤❤
Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe 🙏 🥺 ❤️ Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe 🙏 🥺 ❤️ ❤️💕 Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe Radhe🙏 Radhe 🥺 Radhe ❤️ Radhe 🙏 Radhe 🥺 Radhe ❤️ Radhe 🙏 Radhe 🥺 Radhe ❤️ Radhe 🙏 Radhe 🙏🥺❤️
🙏🌺❤जय श्री राम ❤जय हनुमान ❤🌺🙏
🙏🙏🙏 Jai Siyaram 🌹 Jai Hanuman 🌺
Jai Shri radhe radhe radhe krishna
Radhey Radhey ji 😊
Jai mata di Jai mata di Jai mata di Jai mata di Jai mata di
Jai mata di