❤Har har Mahadev ♥️... Mahadev ki krpa se m apke videos tk phucha hu... Hamra bharat visavguru hai...log es chij ko smjh nhi rhe....ek din ye bat sbko smjh aayegi
@rinkiradigo9 сағат бұрын
❤
@mukub304013 сағат бұрын
❤
@Riyamajhi-yh3uu13 сағат бұрын
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏
@shefali774714 сағат бұрын
🙏🙏🙏
@alkachopra2878Күн бұрын
Wonderful 🙇🙇
@ndesai1523 күн бұрын
Thanks to reader and the writer🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@RahulYadav-cg3sl4 күн бұрын
जय सिया राम
@bijayketannayak40984 күн бұрын
True it happens ❤ prakurti baar baar niche gira deta hai
@Riyamajhi-yh3uu4 күн бұрын
Joy SREE ram❤❤❤
@RahulYadav-cg3sl4 күн бұрын
Sir, Eagerly waiting for next
@vishwaguru13384 күн бұрын
It's there..
@flavoursofbeautyandhealth4 күн бұрын
🙏🙏🙏
@RahulYadav-cg3sl5 күн бұрын
जय सिया राम
@budhprakash92005 күн бұрын
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। चार वर्ण कर्म को करने वाले मानव पांचजन = ( अध्यापक ब्राह्मण + सुरक्षक क्षत्रिय + उत्पादक शूद्राण + वितरक वैश्य ) × दासजन/ जनसेवक। = ( ब्रह्मण अध्यापक + क्षत्रिय सुरक्षक + शूद्राण उत्पादक + वैश्य वितरक) × दासवर्ग /ऋषिवर्ग। = सतसेवा ज्ञान शिक्षण ब्रह्म कर्म + रजसेवा ध्यान न्याय क्षत्रम कर्म सुरक्षण + तपसेवा उत्पादण निर्माण शूद्रम कर्म + तमसेवा वितरण वाणिज्य वैशम कर्म। = ( शिक्षा सेवा+ सुरक्षा सेवा + उद्योग सेवा + व्यापार सेवा ) × दाससेवा/ ऋषिसेवा/ नौकरसेवा /जनसेवा। जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर हैं । हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं , चरणपांव चलाकर ही क्रय विक्रय वाणिज्य वित्त वितरण व्यापार ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म होता है । वेतनमान पर चतुरवर्ण में कार्यरत ऋषिजन जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन हैं। चार आश्रम परिवार कल्याण के लिए = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म । सतयुग सनातनम् दक्षधर्म संस्कार। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्। ॐ। यह चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन सेवा है। पोस्ट निर्माता बुद्ध प्रकाश प्रजापत। शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन कर प्रिंट सुधार करवाएं।
@budhprakash92005 күн бұрын
ब्रह्म = ज्ञान ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण अध्यापन विभाग। ब्रह्मण = ज्ञानदाता अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन शिक्षक। हे मनुष्यो ! जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है। चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
@budhprakash92005 күн бұрын
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें । शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है। आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।। तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार। शूद्रण ही तपस्वी है। शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए। पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
@budhprakash92005 күн бұрын
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! जाति वर्ण में ऊच नीच करने वालो को वर्णजाति और वंशज्ञाति को जानना समझना चाहिए। पदवी /विभाग ( जाति/ वर्ण ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है और जीविकोपार्जन विषय प्रबन्धन के लिए किया जाता है। वंश ज्ञाति गोत्र शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए आश्रम व्यवस्था के लिए चार आश्रम प्रबंधन निर्मित किया गया है वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है चार वर्ण विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution वेतन भोगी जनसेवक (दास) नौकर भी इन्ही चारवर्ण में कार्यरत हैं । शिक्षित द्विज़न ( स्त्री पुरुष ) विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है। चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा विभाग 2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान रक्षा विभाग 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन विभाग 4 - वैशम वार्न = वितरण विभाग l पांचवे वेतन भोगी दास ज़न सेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचज़न सनातन वेद दर्शन व्यवस्था है l हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन है l जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण कैसे होगा ? जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
@sahilarya72836 күн бұрын
Har har mahadev ji 🙏 Guru ji bhut acha explanation h dhanyavad Shri barbarik ji Shri pando putar bhim ke PUTAR nahi potar the yani bhim unke dad shri the 🙏🙏🙏
@vishwaguru13386 күн бұрын
हाँ, पौत्र ही थे..मै पुत्र बोल गया..
@Ramkripa97 күн бұрын
जय श्री राम🙏 ❤ Mitr mjhe kalihanuvani 2.0 chahiye. Aap meri help kr skte hain? Mjhe pdni hai. जय श्री राम🙏❤
I have watched all those videos 1-31 , it is nicely explained by you❤, can you please start geeta ,, actually I did not understand geeta on the basis of science and technology,,thank you sir ❤❤
@vishwaguru13387 күн бұрын
Bhagwad Gita is already there on this channel.. Playlist for every chapter is there... Start with chapter 13 playlist.. Not from chapter 1..
@flavoursofbeautyandhealth7 күн бұрын
Thanks for these rare videos..stay blessed 🙌
@flavoursofbeautyandhealth7 күн бұрын
Pease tell me is this by hanumanji himself like kalihanuvani 1..and why it was not published and from where this audio came to public as no one knows about it.. I am curious as this is rare😊🙏
@Ramkripa98 күн бұрын
जय श्री राम🙏❤
@sharadsinghai248168 күн бұрын
जो बुक मे हैं सिर्फ वही बताए तो अच्छा होता
@vishwaguru13388 күн бұрын
वही बताया जा रहा है... समझाने के लिए दूसरी जगह से प्राप्त जानकारी का भी इस्तेमाल किया गया है..
@flavoursofbeautyandhealth8 күн бұрын
Kalihanuvani 2•0 kya hai?. I hv read Kalihanuvani but is there any other part of book also?
@vishwaguru13388 күн бұрын
ये नया पार्ट है जो बुक मे नहीं आया.. केवल discussion था जो ऑनलाइन रिकॉर्ड किया गया था..
@flavoursofbeautyandhealth8 күн бұрын
online kisne record kiya..i mean yeh kahan se pata chala aapko?
@Premthakur5339 күн бұрын
Great work guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@Ramkripa99 күн бұрын
जय श्री राम🙏❤
@punjab-np9mc9 күн бұрын
अबे गोबर भगत साइंस जर्नी यूट्यूब चैनल पर जाकर डिबेट करो ना देखो वहा पर आपके धर्म ग्रंथो उपनिषदों पुराणों की सच्चाई दिखाई जाती हैं।।
@punjab-np9mc9 күн бұрын
जातिवादी मानसिकता वाली किताब ब्राह्मणों की दूसरो के प्रति नफरत दिखाने वाली गंदी किताब
@vishwaguru13383 күн бұрын
शराफत हजम नहीं हो रही है? क्यों? वीडियो मे जो बात कही गयी है उसपे बात कर.. कौन सी बात गलत थी जिसका मैंने वीडियो मे सपोर्ट कर दिया वो बता..ज्यादा उछल मत.. जो बात मैंने बोली ही नहीं है उसपे हवाबाजी क्यों कर रहा है..? आदमी है या पैजामा?
@vishwaguru13383 күн бұрын
तू जाके हलाला और 72 हूरों वाला ज्ञान ले.. यहाँ तेरे घुटने मे दर्द होगा कुछ भी समझने मे
@punjab-np9mc9 күн бұрын
ब्राह्मणों का बनाया मायाजाल गंदी किताब जिसको बाबा साहिब अम्बेडकर ने जला दिया था।।
@Hey_parth-nf5uy9 күн бұрын
🎉
@Hike5389 күн бұрын
❤
@Premthakur5339 күн бұрын
Sub ko suna per AAP adhubhut hai guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@abhinavrajput709810 күн бұрын
6:23
@gitanjaligitu589610 күн бұрын
Dol gwar sudra pashu nari..tadana ke adikhati....isi bekar kitab ko baba sahib ne sare aam jalaya tha acha kiya...ye sare kitabe mulglo ke time likhi gai..jatiwad ko rakahne keliye...science journey channel...ka thakx jinhone muje is dharmik kitabooo...ke sacahi batai...bhai tum bramin ho paka manubadi
Sir best samjavo so.... 1 vat કહું તમે કઇં book samjavo so.... Te book vanchi pasi vidio joi શકુ.... તો vadhu samajav ma આવે
@Hike53810 күн бұрын
Gajbb
@Hike53810 күн бұрын
Nice
@aditi1980able10 күн бұрын
Happy birthday sir
@Riyamajhi-yh3uu10 күн бұрын
🙏🙏🙏🙏🙏🎉🎉🎉🎉
@budhprakash920011 күн бұрын
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। चार वर्ण कर्म को करने वाले मानव पांचजन = ( अध्यापक ब्राह्मण + सुरक्षक क्षत्रिय + उत्पादक शूद्राण + वितरक वैश्य ) × दासजन/ जनसेवक। = ( ब्रह्मण अध्यापक + क्षत्रिय सुरक्षक + शूद्राण उत्पादक + वैश्य वितरक) × दासवर्ग /ऋषिवर्ग। = सतसेवा ज्ञान शिक्षण ब्रह्म कर्म + रजसेवा ध्यान न्याय क्षत्रम कर्म सुरक्षण + तपसेवा उत्पादण निर्माण शूद्रम कर्म + तमसेवा वितरण वाणिज्य वैशम कर्म। = ( शिक्षा सेवा+ सुरक्षा सेवा + उद्योग सेवा + व्यापार सेवा ) × दाससेवा/ ऋषिसेवा/ नौकरसेवा /जनसेवा। जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर हैं । हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं , चरणपांव चलाकर ही क्रय विक्रय वाणिज्य वित्त वितरण व्यापार ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म होता है । वेतनमान पर चतुरवर्ण में कार्यरत ऋषिजन जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन हैं। चार आश्रम परिवार कल्याण के लिए = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म । सतयुग सनातनम् दक्षधर्म संस्कार। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्। ॐ। यह चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन सेवा है। पोस्ट निर्माता बुद्ध प्रकाश प्रजापत। शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन कर प्रिंट सुधार करवाएं।
@budhprakash920011 күн бұрын
मुख से ब्रह्मण, बांह से क्षत्रिय ,पेटउदर से शूद्रण और चरण से वैश्य हरएक मानव जन हैं और जो मानव जन अध्यापक शिक्षक गुरुजन पुरोहित विप्रजन द्विजोत्तम हैं वे उच्च पद पर होते हैं । पाचमुख मतलब है पांचजन = जनसेवक दासजन वेतभोगी × ( अध्यापकजन ब्रह्मवर्णजन + सुरक्षकजन क्षत्रमवर्णजन + उत्पादकजन शूद्रमवर्णजन + वितरकजन वैशमवर्णजन)। यही चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय व्यवस्था है। शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
@budhprakash920011 күн бұрын
पोस्ट पढ़कर ज्ञान वर्धन करें और करवाएं। तपसे शूद्रम। यजुर्वेद। तपसे उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य शूद्रम वर्ण में आता है। वेद ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करें। ज्ञानसे = विप्रजन अध्यापक वैद्यन ब्राह्मण। ध्यानसे = सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश क्षत्रिय। तपसे = उत्पादन निर्माण उद्योगण शूद्रण। तमसे = वितरक वणिक क्रेता-विक्रेता वैश्य। सेवासे = वेतनसे दासजन जनसेवक सेवकजन।
@gitanjaligitu58969 күн бұрын
@@budhprakash9200 @vishwaguru1338 @vishwaguru1338 himat hai to ek bar science journey channel or rationall word channel or rel8st azad chanel dekh loo...wo sari dharmik kitaboo khol khol kar sachai bata raha hai..wo channel dekhne ki to himat ni hai...ek bar delk loo..hai himat to debate katr loo in pade likhe logo se
@budhprakash920011 күн бұрын
ब्रह्म = ज्ञान ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण अध्यापन विभाग। ब्रह्मण = ज्ञानदाता अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन शिक्षक। हे मनुष्यो ! जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है। चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
@budhprakash920011 күн бұрын
पांचजनदेव = ऋषिदेव जनसेवा से /दासदेव वेतनसेवा से × ( ब्रह्मदेव ज्ञानसे शिक्षण प्रशिक्षण से मुखसे + क्षत्रमदेव ध्यानसे सुरक्षण न्याय शासन से बांह से + शूद्रमदेव तपसे उद्योग उत्पादन निर्माण से पेटउदर से + वैशमदेव तमसे वितरण वाणिज्य वित्त क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट से चरण से ) ।
@budhprakash920011 күн бұрын
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।
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मूर्खों का टोली.…...😡😡😡😡😡
❤Har har Mahadev ♥️... Mahadev ki krpa se m apke videos tk phucha hu... Hamra bharat visavguru hai...log es chij ko smjh nhi rhe....ek din ye bat sbko smjh aayegi
❤
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🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏
🙏🙏🙏
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जय सिया राम
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। चार वर्ण कर्म को करने वाले मानव पांचजन = ( अध्यापक ब्राह्मण + सुरक्षक क्षत्रिय + उत्पादक शूद्राण + वितरक वैश्य ) × दासजन/ जनसेवक। = ( ब्रह्मण अध्यापक + क्षत्रिय सुरक्षक + शूद्राण उत्पादक + वैश्य वितरक) × दासवर्ग /ऋषिवर्ग। = सतसेवा ज्ञान शिक्षण ब्रह्म कर्म + रजसेवा ध्यान न्याय क्षत्रम कर्म सुरक्षण + तपसेवा उत्पादण निर्माण शूद्रम कर्म + तमसेवा वितरण वाणिज्य वैशम कर्म। = ( शिक्षा सेवा+ सुरक्षा सेवा + उद्योग सेवा + व्यापार सेवा ) × दाससेवा/ ऋषिसेवा/ नौकरसेवा /जनसेवा। जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर हैं । हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं , चरणपांव चलाकर ही क्रय विक्रय वाणिज्य वित्त वितरण व्यापार ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म होता है । वेतनमान पर चतुरवर्ण में कार्यरत ऋषिजन जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन हैं। चार आश्रम परिवार कल्याण के लिए = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म । सतयुग सनातनम् दक्षधर्म संस्कार। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्। ॐ। यह चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन सेवा है। पोस्ट निर्माता बुद्ध प्रकाश प्रजापत। शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन कर प्रिंट सुधार करवाएं।
ब्रह्म = ज्ञान ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण अध्यापन विभाग। ब्रह्मण = ज्ञानदाता अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन शिक्षक। हे मनुष्यो ! जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है। चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! सबसे अधिक पवित्र कौन ? इस पोस्ट को पढ़कर जानें । शूद्रन सबसे अधिक पवित्र है। आचमन के समय ह्रदय तक जल पहुंचने पर अध्यापक विप्रजन ( ब्रह्मण ) शुद्ध होता है, कंठ तक पहुंचने पर सुरक्षक चौकीदार (क्षत्रिय) शुद्ध होता है, मुख में पंहुचने पर वितरक वणिक (वैश्य) शुद्ध होता है और जल छूने मात्र से उत्पादक निर्माता ( शूद्रण) पवित्र होता है। इस पोस्ट में प्रस्तुत श्लोक विधिनियम प्रमाण अनुसार सबसे अधिक शूद्रण पवित्र होता है। संस्कृत श्लोक विधिनियम- ह्रद्गागाभि: पूयते विप्र: कण्ठगाभिस्तु भूमिप: । वैश्योऽद्भि: प्राशिताभिस्तु शूद्रण: स्पृष्टाभिरन्तत: ।। वैदिक मनुस्मृति धर्मशास्त्र।। तपसे शूद्रम । यजुर्वेद अनुसार। शूद्रण ही तपस्वी है। शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगानी आवश्यक है। अंक की मात्रा होने से शूद्रन/शूद्रण/ शूद्रम लिखना बोलना प्रिंट सुधार करना चाहिए। पांचजन्य चारवर्ण = ( शिक्षण-ब्रह्म वर्ण + सुरक्षण-क्षत्रम वर्ण + उत्पादन-शूद्रम वर्ण + वितरण-वैशम वर्ण ) × जनसेवकवर्ग/ दासजनवर्ग । जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत । जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
शिक्षित द्विजनो ( स्त्री-पुरुषो ) ! जाति वर्ण में ऊच नीच करने वालो को वर्णजाति और वंशज्ञाति को जानना समझना चाहिए। पदवी /विभाग ( जाति/ वर्ण ) वाले शब्दों का प्रयोग पेशेवर कार्य करने वालों को पुकारने के लिए किया जाता है और जीविकोपार्जन विषय प्रबन्धन के लिए किया जाता है। वंश ज्ञाति गोत्र शब्दों का प्रयोग विवाह सम्बन्ध रिश्ते नाते करने के लिए किया जाता है। विज्ञान सम्मत बेहतर समाज प्रबंधन के लिए द्विजन ( स्त्री पुरष ) के लिए आश्रम व्यवस्था के लिए चार आश्रम प्रबंधन निर्मित किया गया है वैदिक ऋषि राजर्षि संसद द्वारा l चारवर्ण और चार आश्रम को मिलकर वर्णाश्रम शब्द का निर्माण कर समाज को बेहतर बनाने के लिए विधा की गई है चार वर्ण विभाग = 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान विभाग = Education 2 - क्षत्रम वर्ण =सुरक्षा विभाग = Protection 3 - शूद्रम वर्ण =उत्पादन विभाग = Production 4 - वैशम वर्ण = वितरण विभाग = Distribution वेतन भोगी जनसेवक (दास) नौकर भी इन्ही चारवर्ण में कार्यरत हैं । शिक्षित द्विज़न ( स्त्री पुरुष ) विचार अवश्य जानें कि जलाने से या मिटाने से चार वर्ण (विभाग) कभी खत्म नहीं होते हैं l जब यजुर्वेद में शूद्रन को तपसे होना लिखा है तो लेखकजन तप छोड़कर सेवा ही क्यों लिखते रहते हैं और द्विजन ( स्त्री-पुरुष ) भी बोलते रहते हैं ? शूद्रन को तपस्वी क्यों नहीं लिखते बोलते हैं? द्विजन ( स्त्री पुरष) शिक्षित होकर भी प्रिंट सुधार कार्य क्यों नहीं करते हैं ? प्रिंट सुधार करना करवाना शिक्षित विद्वान मानव द्विज़न ( स्त्री-पुरुष ) का काम है। चार वर्ण = चार विभाग = कर्म चार l 1 - ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षा विभाग 2 - क्षत्रम वर्ण = ध्यान रक्षा विभाग 3 - शूद्रम वर्ण = उत्पादन विभाग 4 - वैशम वार्न = वितरण विभाग l पांचवे वेतन भोगी दास ज़न सेवक वर्ग भी इन्हीं चारों वर्ण विभाग कर्म को करते हैं l यही चारवर्ण पांचज़न सनातन वेद दर्शन व्यवस्था है l हरएक द्विज़न ( स्त्री पुरष ) मुख समान ब्राह्मण हैं, बांह समान क्षत्रिय हैं, पेट समान शूद्रन है और चरण समान वैश्य है l चरण चलने से व्यापार वितरण होता है इसलिए चरण समान वैश्य होता है l चार वर्ण (विभाग) जीविका सुरक्षा के लिए सदा बने रहते हैं l इसलिए सनातन हैं l चार आश्रम उम्र के सदा बने रहते हैं इसलिए सनातन हैं l जैसे उम्र बदलने से आश्रम बदल जाते हैं वैसे ही कार्य बदलने से वर्ण विभाग बदल जाते हैं। यही सत्य सनातन है l जिसको यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत पोस्ट समझ नहीं आती है तो बताएं अगर चरण नहीं चलेंगे तो कोई भी समान एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर कैसे जाएगा अर्थात वैश्य वर्ण कार्य व्यापार वितरण कैसे होगा ? जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म सनातनम् । जय अखण्ड भारत जय वसुधैव कुटुम्बकम् ।। ॐ ।।
Har har mahadev ji 🙏 Guru ji bhut acha explanation h dhanyavad Shri barbarik ji Shri pando putar bhim ke PUTAR nahi potar the yani bhim unke dad shri the 🙏🙏🙏
हाँ, पौत्र ही थे..मै पुत्र बोल गया..
जय श्री राम🙏 ❤ Mitr mjhe kalihanuvani 2.0 chahiye. Aap meri help kr skte hain? Mjhe pdni hai. जय श्री राम🙏❤
Send me mail at [email protected]
@@vishwaguru1338 I have sent you! 🙏
I have watched all those videos 1-31 , it is nicely explained by you❤, can you please start geeta ,, actually I did not understand geeta on the basis of science and technology,,thank you sir ❤❤
Bhagwad Gita is already there on this channel.. Playlist for every chapter is there... Start with chapter 13 playlist.. Not from chapter 1..
Thanks for these rare videos..stay blessed 🙌
Pease tell me is this by hanumanji himself like kalihanuvani 1..and why it was not published and from where this audio came to public as no one knows about it.. I am curious as this is rare😊🙏
जय श्री राम🙏❤
जो बुक मे हैं सिर्फ वही बताए तो अच्छा होता
वही बताया जा रहा है... समझाने के लिए दूसरी जगह से प्राप्त जानकारी का भी इस्तेमाल किया गया है..
Kalihanuvani 2•0 kya hai?. I hv read Kalihanuvani but is there any other part of book also?
ये नया पार्ट है जो बुक मे नहीं आया.. केवल discussion था जो ऑनलाइन रिकॉर्ड किया गया था..
online kisne record kiya..i mean yeh kahan se pata chala aapko?
Great work guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम🙏❤
अबे गोबर भगत साइंस जर्नी यूट्यूब चैनल पर जाकर डिबेट करो ना देखो वहा पर आपके धर्म ग्रंथो उपनिषदों पुराणों की सच्चाई दिखाई जाती हैं।।
जातिवादी मानसिकता वाली किताब ब्राह्मणों की दूसरो के प्रति नफरत दिखाने वाली गंदी किताब
शराफत हजम नहीं हो रही है? क्यों? वीडियो मे जो बात कही गयी है उसपे बात कर.. कौन सी बात गलत थी जिसका मैंने वीडियो मे सपोर्ट कर दिया वो बता..ज्यादा उछल मत.. जो बात मैंने बोली ही नहीं है उसपे हवाबाजी क्यों कर रहा है..? आदमी है या पैजामा?
तू जाके हलाला और 72 हूरों वाला ज्ञान ले.. यहाँ तेरे घुटने मे दर्द होगा कुछ भी समझने मे
ब्राह्मणों का बनाया मायाजाल गंदी किताब जिसको बाबा साहिब अम्बेडकर ने जला दिया था।।
🎉
❤
Sub ko suna per AAP adhubhut hai guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
6:23
Dol gwar sudra pashu nari..tadana ke adikhati....isi bekar kitab ko baba sahib ne sare aam jalaya tha acha kiya...ye sare kitabe mulglo ke time likhi gai..jatiwad ko rakahne keliye...science journey channel...ka thakx jinhone muje is dharmik kitabooo...ke sacahi batai...bhai tum bramin ho paka manubadi
Accha kaam kr rahe aap.. Krte jaye.. Viwers dhere dhere badh jayega.
Sir best samjavo so.... 1 vat કહું તમે કઇં book samjavo so.... Te book vanchi pasi vidio joi શકુ.... તો vadhu samajav ma આવે
Gajbb
Nice
Happy birthday sir
🙏🙏🙏🙏🙏🎉🎉🎉🎉
चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। चार वर्ण कर्म को करने वाले मानव पांचजन = ( अध्यापक ब्राह्मण + सुरक्षक क्षत्रिय + उत्पादक शूद्राण + वितरक वैश्य ) × दासजन/ जनसेवक। = ( ब्रह्मण अध्यापक + क्षत्रिय सुरक्षक + शूद्राण उत्पादक + वैश्य वितरक) × दासवर्ग /ऋषिवर्ग। = सतसेवा ज्ञान शिक्षण ब्रह्म कर्म + रजसेवा ध्यान न्याय क्षत्रम कर्म सुरक्षण + तपसेवा उत्पादण निर्माण शूद्रम कर्म + तमसेवा वितरण वाणिज्य वैशम कर्म। = ( शिक्षा सेवा+ सुरक्षा सेवा + उद्योग सेवा + व्यापार सेवा ) × दाससेवा/ ऋषिसेवा/ नौकरसेवा /जनसेवा। जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर हैं । हरएक मानव जन मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं , चरणपांव चलाकर ही क्रय विक्रय वाणिज्य वित्त वितरण व्यापार ट्रांसपोर्ट वैशम वर्ण कर्म होता है । वेतनमान पर चतुरवर्ण में कार्यरत ऋषिजन जनसेवक नौकरजन दासजन सेवकजन हैं। चार आश्रम परिवार कल्याण के लिए = ब्रह्मचर्य + गृहस्थ + वानप्रस्थ + यतिआश्रम। जय वर्णाश्रम प्रबन्धन श्रेष्ठतम जीवन प्रबंधन। जय विश्व राष्ट्र सनातन प्रजापत्य दक्ष धर्म । सतयुग सनातनम् दक्षधर्म संस्कार। जय अखण्ड भारत। जय वसुधैव कुटुम्बकम्। ॐ। यह चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन सेवा है। पोस्ट निर्माता बुद्ध प्रकाश प्रजापत। शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को भेजकर ज्ञानवर्धन कर प्रिंट सुधार करवाएं।
मुख से ब्रह्मण, बांह से क्षत्रिय ,पेटउदर से शूद्रण और चरण से वैश्य हरएक मानव जन हैं और जो मानव जन अध्यापक शिक्षक गुरुजन पुरोहित विप्रजन द्विजोत्तम हैं वे उच्च पद पर होते हैं । पाचमुख मतलब है पांचजन = जनसेवक दासजन वेतभोगी × ( अध्यापकजन ब्रह्मवर्णजन + सुरक्षकजन क्षत्रमवर्णजन + उत्पादकजन शूद्रमवर्णजन + वितरकजन वैशमवर्णजन)। यही चारवर्ण पांचज़न सनातन शाश्वत जीविकोपार्जन प्रबन्धन विषय व्यवस्था है। शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है।
पोस्ट पढ़कर ज्ञान वर्धन करें और करवाएं। तपसे शूद्रम। यजुर्वेद। तपसे उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य शूद्रम वर्ण में आता है। वेद ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करें। ज्ञानसे = विप्रजन अध्यापक वैद्यन ब्राह्मण। ध्यानसे = सुरक्षक चौकीदार न्यायाधीश क्षत्रिय। तपसे = उत्पादन निर्माण उद्योगण शूद्रण। तमसे = वितरक वणिक क्रेता-विक्रेता वैश्य। सेवासे = वेतनसे दासजन जनसेवक सेवकजन।
@@budhprakash9200 @vishwaguru1338 @vishwaguru1338 himat hai to ek bar science journey channel or rationall word channel or rel8st azad chanel dekh loo...wo sari dharmik kitaboo khol khol kar sachai bata raha hai..wo channel dekhne ki to himat ni hai...ek bar delk loo..hai himat to debate katr loo in pade likhe logo se
ब्रह्म = ज्ञान ब्रह्म वर्ण = ज्ञान शिक्षण अध्यापन विभाग। ब्रह्मण = ज्ञानदाता अध्यापक गुरूजन पुरोहित चिकित्सक विप्रजन शिक्षक। हे मनुष्यो ! जन्म से सबजन दस इंद्रिय समान लेकर जन्म लेते हैं और चार वर्ण कर्म विभाग के समान शरीर के चार अंग समान लेकर जन्म लेते हैं इसलिए जन्म से सबजन बराबर होते हैं। हरएक मानव जन हरएक समय मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हैं वे किसी भी वर्ण का कार्य चारो अंग से करते रहते हैं। इस पोस्ट को पढ़कर समझकर अपना अज्ञान मिटाई करें ओर अपने समाज का ज्ञान वर्धन करवाएं । यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त करके कि मुख समान ब्रह्मण, बांह समान क्षत्रिय, पेटउदर समान शूद्रण और चरण समान वैश्य हरएक मानव जन हैं। चरण पांव चलाकर ही व्यापार वितरण ट्रांसपोर्ट वाणिज्य क्रय विक्रय वैशम वर्ण कर्म करते हैं। इसलिए चरण समान वैशम वर्ण कर्म है। चार वर्ण कर्म = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन दासजन भी इन्ही चतुरवर्ण कर्म को वेतन पर करते हैं। यह अकाट्य सत्य सनातन शाश्वत ज्ञान प्राप्त कर अज्ञान मिटाई करवाएं और प्रिंट सुधार करवाएं।
पांचजनदेव = ऋषिदेव जनसेवा से /दासदेव वेतनसेवा से × ( ब्रह्मदेव ज्ञानसे शिक्षण प्रशिक्षण से मुखसे + क्षत्रमदेव ध्यानसे सुरक्षण न्याय शासन से बांह से + शूद्रमदेव तपसे उद्योग उत्पादन निर्माण से पेटउदर से + वैशमदेव तमसे वितरण वाणिज्य वित्त क्रय विक्रय व्यापार ट्रांसपोर्ट से चरण से ) ।
शूद्रं शब्द का मतलब तपस्वी है । यजुर्वेद मंत्र - तपसे शूद्रं । शूद्रं शब्द में बडे श पर बडे ऊ की मात्रा लगाकर अंक की बिंदी लगी है। यह बिंदी अवश्य लगानी चाहिए। अंक की बिंदी लगने से शूद्रन/ शूद्रण/ शूद्रम भी लिख बोल सकते हैं। चारवर्ण चारकर्म चारविभाग जीविका विषय अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार ही शूद्रण है। कर्म चार = = वर्ण चार = शिक्षण-ब्रह्म + सुरक्षण-क्षत्रम + उत्पादन-शूद्रम + वितरण-वैशम। पांचवेजन जनसेवक दासजन नौकरजन सेवकजन भी इन्ही चतुरवर्ण चतुर कर्म विभाग में वेतनमान पर कार्यरत हैं। वेदमंत्र दर्शनशास्त्र ज्ञान विज्ञान विधान अनुसार और प्रत्यक्ष कर्म अनुसार प्रमाण हैं। कुछ किताबो में शूद्रन का मतलब तपस्वी उत्पादक निर्माता उद्योगण ना लिखकर सिर्फ सेवक लिख कर गलती कर रहे हैं । शिक्षित द्विजन ( स्त्री-पुरुष) को सुधार कर बोलना लिखना चाहिए और सुधार कर प्रिंट करना चाहिए। अनुचित लेखन कर्म अनुचित बोलना लिखना वेद विरूद्ध करते रहते हैं आजकल अज्ञजन । लेखक प्रकाशक जन अज्ञानता में सुधार नहीं करते हैं। द्विज और द्विजोत्तम भी अलग अलग हैं। चारो वर्ण कर्म विभाग वाले सवर्ण और असवर्ण होते हैं। शूद्रण भी द्विज और पवित्र होता और चार वर्ण कर्म विभाग अनुसार उत्पादक निर्माता उद्योगण शिल्पकार तपस्वी होता है। जो द्विज तपश्रम उद्योग उत्पादन निर्माण कार्य करते हैं वे शूद्रण हो जाते हैं। अशूद्र अब्राहण अछूत व्यभीचारी जुआरी नपुंसक चाटुकार होता है। क्षुद्र पाशविक सोच रखकर जीने वाला होता है। इस पोस्ट को कापी कर अन्य सबजन को लेखक प्रकाशक को भेजकर कर प्रिंट सुधार करवाएं।