यज्ञ में नारियल की बलि का विधान _ Why do we sacrifice coconut in Yajya? Dr HS Sinha

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Пікірлер: 37

  • @desaiparas8047
    @desaiparas8047Ай бұрын

    Nice explanation

  • @bapparawal9709
    @bapparawal9709Ай бұрын

    यज्ञ का स्थान हृदय में गुप्त है। यज्ञ का देव जो अग्नि है, वह हृदय स्थान में ही विराजमान हैं । हृदय में जो आत्मशक्ति है वही यह अग्नि है, यहां हृदयमें बैठकर यही आत्मा आयुष्यकी समाप्ति तक यज्ञ कर रहा है । यही क्रतु है, प्रत्येक वर्ष एक एक क्रतु करता है , और इस प्रकार १०० वर्षों में १०० क्रतु होने के कारण इसी का नाम शतक्रतु होता है। यह शतक्रतु आत्मा ही इंद्र नाम से प्रसिद्ध है और इसी आत्मा शतक्रतु इंद्र की शक्ति इंद्रियों में कार्य कर रही है।

  • @devendrapargir4184
    @devendrapargir4184Ай бұрын

    आपने वेद मूर्ति पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के वेद अपनी लायब्रेरी में रखें है। उनका यजुर्वेद पढ़ कर यह बलि की प्रस्तुति देते तो युगानुकुल व्याख्या दे पाते । यजुर्वेद की प्रस्तावना में ही आचार्य जी ने मेध प्रकरण पृष्ठ ११में समाधान दे दिया है। आपको अभी इस विषय पर और अध्ययन करना चाहिए।

  • @kapilyogi9026

    @kapilyogi9026

    Ай бұрын

    बिलकुल सही कहा जी आपने🙏🙏🙏🙏🙏

  • @seemadwivedi7562

    @seemadwivedi7562

    Ай бұрын

    अश्वमेध यज्ञ कराने वाले चक्रवर्ती सम्राट ? 😂

  • @devendrapargir4184

    @devendrapargir4184

    Ай бұрын

    @@seemadwivedi7562 आपको किसने रोका है। आप भी किजिए।

  • @devendrapargir4184

    @devendrapargir4184

    Ай бұрын

    आप भी किजिए किसने रोका है। प्रयाज, याज और अनुयाज करने में समझ में आएगा, अश्वमेध क्या है।​@@seemadwivedi7562

  • @roopalirawat8925

    @roopalirawat8925

    Ай бұрын

    Ye to ab nahi rahe

  • @msrl5749
    @msrl5749Ай бұрын

    Strange- I am deep admirer of prof Sinha but disagree here on many points- Yajya = omnibenevelont action. वो कर्म जिनसे सबका कल्याण हो तो अगर आहुति/ बलि की भी बात करें तो भी - बलि देनी होगी ईर्ष्या, लालच, क्रोध-- इत्यादि की। यज्ञ के नाम पर पशुबलि हिंसा गई, अंधविश्वास है

  • @ajayverma6346

    @ajayverma6346

    Ай бұрын

    Ha, ye budhau sahi kah raha hai, meri abhi abhi indra se mobile par baat huyi hai.

  • @manojKumar-mu6yk
    @manojKumar-mu6ykАй бұрын

    शास्त्रों में अज का मतलब अगर बकरा है तो अज का मतलब अहंकार भी है इसलिए श्रीमान जी आप यह अनर्गल बात ना फैलाएं बाली का मतलब यही था जैसे गौ का मतलब गौ माता तो गौ माताका मतलब इंद्रियां भी है इसी को आधार बनाकर लोगों ने समाज में ब्रह्म फैला दिया

  • @narayanmishra5103
    @narayanmishra5103Ай бұрын

    गुरूजी कभी भी श्राद्ध के विषय में कुछ वर्णन कियें हैं तो कृपया इस वीडियो को अपलोड करें।

  • @GamePlayer-eg2xl
    @GamePlayer-eg2xlАй бұрын

    🙏🙏🙏🙏🙏

  • @varuntiwari8315
    @varuntiwari8315Ай бұрын

    Guru ji mera ek. Prashn hai kya sach me swarg aur nark hai ,, aur kya swarg aur narak ke baare me geeta me likha hai

  • @AmitSpiritual111

    @AmitSpiritual111

    Ай бұрын

    Ji hai

  • @AmitSpiritual111

    @AmitSpiritual111

    Ай бұрын

    Likha hai usme bhi

  • @DevaEkoNaaraayanah

    @DevaEkoNaaraayanah

    Ай бұрын

    Second baat to aap khud bhi padh sakte ho Geetaaji mein

  • @varuntiwari8315

    @varuntiwari8315

    Ай бұрын

    @@DevaEkoNaaraayanah mere paas nhi hai

  • @varuntiwari8315

    @varuntiwari8315

    Ай бұрын

    Aur mera utna experience bhi nhi hai ki geeta me kahi bato ko sahi tarike se samjhu ,,, isiliye guru ki aavashyakta hoti hai

  • @madanjadeja
    @madanjadejaАй бұрын

    🙏🙏🙏

  • @RajivYadav-xz8xp
    @RajivYadav-xz8xpАй бұрын

    इस प्रकरण में सिन्हा जी पूर्ण रुप से गलत है आपको किसी आर्य वैदिक विद्वान से संपर्क करें वैदिक यज्ञ और उसमें आहुति के बारे में

  • @bapparawal9709
    @bapparawal9709Ай бұрын

    देवता कहते थे कि अज का अर्थ बकरा है। ऋषि कहते थे अज का अर्थ बीज है । देवताओं के अनुसार पशु मांस से यज्ञ होना चाहिए , जबिक ऋषियों के अनुसार अन्न से. दोनों राजा वसु के पास गये और उसने छाग से ही यज्ञ किए जाने की व्यवस्था दी और तब से पशु यज्ञ होने लगे. उससे पूर्व राजा वसु स्वयं यज्ञ किया था जिसमें पशुघात नहीं हुआ था. पशु हिंसा उत्तरकालीन है इसका प्रमाण सुत्त्निपात्त में भगवान बुद्ध द्वारा ब्राह्मणों को दिए गये उपदेश मै समाहित है,`पूर्व में अन्न ,बल ,कांति और सुख देने वाले गाय की हिंसा नहीं की जाती थी परन्तु आज घडों दूध देने वाली गाय को यज्ञ में मारते हैं। चारवाक और महाभारत में भी उल्लेख की पशु यज्ञ नवीन है और दुष्टों द्वारा लोलुपता मै प्रारंभ किया गया है।

  • @languagehubrathoursir9624
    @languagehubrathoursir9624Ай бұрын

    गुरु जी आप केवल बकवास कर रहे हो वेद में कभी भी पशु बलि नहीं थी ना है, बुद्ध क्या बताएंगे। अष्टपद गौ का अर्थ है संस्कृत की वाणी वाला मन्त्र, ना की आठ पैर वाली गाय की बलि

  • @vijaywadnerkar6744
    @vijaywadnerkar6744Ай бұрын

    आपका फोन no मिलेगा?

  • @omprakashpandey3904

    @omprakashpandey3904

    Ай бұрын

    He is no more😢😢

  • @RajeshPandey-oe7pd
    @RajeshPandey-oe7pdАй бұрын

    Are murkh bali ka arth pehle smajh

  • @chamankoli6383
    @chamankoli6383Ай бұрын

    Sir plc apna contact snd kre

  • @gopalsinghal7579
    @gopalsinghal7579Ай бұрын

    🙏🙏🙏🙏🙏

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