उस पार ना जाने क्या होगा । Us paar na jaane kya hoga | Harivansh Rai Bachhan | Sandarbh

#poem #shayari #poetry #kavita #harivanshraibachhan #ispaarpriye #uspaarnajaane #madhushala #shayari #hindi #writings #is paar priye madhu hai tum ho
Presenting an amazingly beautiful work of the great poet Harivansh Rai Bachhan. The poem covers the pain of loss when one leaves the world. A heartwarming recital by his son, Amitabh Bachhan.
महान कवि श्री हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी एक अद्भुत रचना। मृत्यु के बाद हमारे जीवन में रहने वाली कमी व फर्क को शब्दो में पिरोती ये कविता। अमिताभ बच्चन की दमदार आवाज़ में।
For amazing poetry Please like, share and follow us on Facebook and Instagram..
Follow #sandarbhpoetry
#poetry #kavita #urdupoetry #shayari #urdu #dailyquotes #shayariquotes #rekhta #poem #mushaira #ghazal #kavisammelan #hindiquotes #hindipoetry #hindikavita #hindi #hindipoems #kagazaurkalam #yourquotes #quoteoftheday #shayarioftheday #shayarilovers #hindiwriting #hindishayari #urdushayari #rekhta #shayarilove #loveshayari

Пікірлер: 22

  • @kalu123
    @kalu1235 ай бұрын

    गज़ब अमित जी की आवाज अपने पिता की कविता पढ़ते हुए श्री अमिताभ जी

  • @prasidhhsolanki1838
    @prasidhhsolanki18382 жыл бұрын

    Kavi ke vichar manushya se upar uth chuke hai , bachhanjiki kavitao se pata chalta hai ke ve kitne mahan the , kyo ki jo dil me hota hai vahi mukh se nikalta hai aur inke shabd Amrit ke saman hai

  • @afreensaba197
    @afreensaba1973 жыл бұрын

    Amit ji aawaj kitni aachi h aur Hariwans ray bacchan ji ki kavita to jevan ki sacchaiyon se bahri h 🙏

  • @gkkitchen1
    @gkkitchen12 ай бұрын

  • @shubhambhakta9791
    @shubhambhakta97912 жыл бұрын

    इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! यह चाँद उदित होकर नभ में कुछ ताप मिटाता जीवन का, लहरालहरा यह शाखाएँ कुछ शोक भुला देती मन का, कल मुर्झानेवाली कलियाँ हँसकर कहती हैं मगन रहो, बुलबुल तरु की फुनगी पर से संदेश सुनाती यौवन का, तुम देकर मदिरा के प्याले मेरा मन बहला देती हो, उस पार मुझे बहलाने का उपचार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! जग में रस की नदियाँ बहती, रसना दो बूंदें पाती है, जीवन की झिलमिलसी झाँकी नयनों के आगे आती है, स्वरतालमयी वीणा बजती, मिलती है बस झंकार मुझे, मेरे सुमनों की गंध कहीं यह वायु उड़ा ले जाती है! ऐसा सुनता, उस पार, प्रिये, ये साधन भी छिन जाएँगे, तब मानव की चेतनता का आधार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! प्याला है पर पी पाएँगे, है ज्ञात नहीं इतना हमको, इस पार नियति ने भेजा है, असमर्थबना कितना हमको, कहने वाले, पर कहते है, हम कर्मों में स्वाधीन सदा, करने वालों की परवशता है ज्ञात किसे, जितनी हमको? कह तो सकते हैं, कहकर ही कुछ दिल हलका कर लेते हैं, उस पार अभागे मानव का अधिकार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! कुछ भी न किया था जब उसका, उसने पथ में काँटे बोये, वे भार दिए धर कंधों पर, जो रोरोकर हमने ढोए, महलों के सपनों के भीतर जर्जर खँडहर का सत्य भरा! उर में एसी हलचल भर दी, दो रात न हम सुख से सोए! अब तो हम अपने जीवन भर उस क्रूरकठिन को कोस चुके, उस पार नियति का मानव से व्यवहार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! संसृति के जीवन में, सुभगे! ऐसी भी घड़ियाँ आऐंगी, जब दिनकर की तमहर किरणे तम के अन्दर छिप जाएँगी, जब निज प्रियतम का शव रजनी तम की चादर से ढक देगी, तब रविशशिपोषित यह पृथिवी कितने दिन खैर मनाएगी! जब इस लंबेचौड़े जग का अस्तित्व न रहने पाएगा, तब तेरा मेरा नन्हासा संसार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! ऐसा चिर पतझड़ आएगा, कोयल न कुहुक फिर पाएगी, बुलबुल न अंधेरे में गागा जीवन की ज्योति जगाएगी, अगणित मृदुनव पल्लव के स्वर 'भरभर' न सुने जाएँगे, अलिअवली कलिदल पर गुंजन करने के हेतु न आएगी, जब इतनी रसमय ध्वनियों का अवसान, प्रिय हो जाएगा, तब शुष्क हमारे कंठों का उद्गार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! सुन काल प्रबल का गुरु गर्जन निर्झरिणी भूलेगी नर्तन, निर्झर भूलेगा निज 'टलमल', सरिता अपना 'कलकल' गायन, वह गायकनायक सिन्धु कहीं, चुप हो छिप जाना चाहेगा! मुँह खोल खड़े रह जाएँगे गंधर्व, अप्सरा, किन्नरगण! संगीत सजीव हुआ जिनमें, जब मौन वही हो जाएँगे, तब, प्राण, तुम्हारी तंत्री का, जड़ तार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! उतरे इन आखों के आगे जो हार चमेली ने पहने, वह छीन रहा देखो माली, सुकुमार लताओं के गहने, दो दिन में खींची जाएगी ऊषा की साड़ी सिन्दूरी पट इन्द्रधनुष का सतरंगा पाएगा कितने दिन रहने! जब मूर्तिमती सत्ताओं की शोभाशुषमा लुट जाएगी, तब कवि के कल्पित स्वप्नों का श्रृंगार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! दृग देख जहाँ तक पाते हैं, तम का सागर लहराता है, फिर भी उस पार खड़ा कोई हम सब को खींच बुलाता है! मैं आज चला तुम आओगी, कल, परसों, सब संगीसाथी, दुनिया रोतीधोती रहती, जिसको जाना है, जाता है। मेरा तो होता मन डगडग मग, तट पर ही के हलकोरों से! जब मैं एकाकी पहुँचूँगा, मँझधार न जाने क्या होगा! इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा! - हरिवंशराय बच्चन

  • @sharadchandraarya3797

    @sharadchandraarya3797

    Жыл бұрын

    In❤

  • @AshokSingh-co2zb

    @AshokSingh-co2zb

    Жыл бұрын

    Gazab!

  • @Truthfull_JHOOTT
    @Truthfull_JHOOTTАй бұрын

    Wah

  • @pandit_adarshshukla
    @pandit_adarshshukla Жыл бұрын

    हिंदी सिनेमा के महानायक से बेहतर हिंदी का वर्तमान स्तम्भ गाता है मैंने प्रथम समय उन्ही के मुखारबिंद से सुना था वाह क्या गाया था

  • @Ranimeenakvlogs
    @Ranimeenakvlogs2 ай бұрын

    Mene bhi kavita recite krna shuru kiya hai... self written. 😊

  • @shubhamomhari7224
    @shubhamomhari72242 жыл бұрын

    Kay Kavi hai Bachchan Ji .🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @springslive85
    @springslive852 жыл бұрын

    Heyaaaa🕯️🕯️

  • @pramodKumar-bw5ej
    @pramodKumar-bw5ej8 ай бұрын

    🌟👌🙏🙏🙏🙏🙏👍

  • @kuntalisingh3883
    @kuntalisingh3883 Жыл бұрын

    Bahut sundar, sanmvednaon se bhara huaa hai shri bachhanji ka lekhan, amitabhji ki aawaj me bahut hi achha lagta hai sun Na,

  • @ranigupta9431
    @ranigupta94315 ай бұрын

    बहुत बहुत बहुत खूब दिल छू गए है ❤

  • @PoetryBySunayana
    @PoetryBySunayana10 ай бұрын

    उस पार न जाने क्या होगा ।।।।beautifull

  • @jyotikajoshi1873
    @jyotikajoshi18733 ай бұрын

    Good

  • @shankarlalsharma4481
    @shankarlalsharma44819 ай бұрын

    साकेत से। संकेत ।कि सब सदा। समान और। एक सा रहेगा। नहीं !जर्जर खंबहर का सत्य।

  • @shankarlalsharma4481
    @shankarlalsharma44819 ай бұрын

    अमर रचना,!,( मधुशाला ) से ।समंदर ही। समा। गया। बूँद। में। ( ,,,,चिरपतझङ। आने। के। संकेत ।वो। गायक नायक सिंधु। ,,,,,

  • @priyankapathak374
    @priyankapathak374 Жыл бұрын

    I like poem

  • @gauravgupta8307
    @gauravgupta8307 Жыл бұрын

    The real skyfall

  • @lokeshpanchal2390
    @lokeshpanchal2390 Жыл бұрын

    🙏🏼👍🏼🌷🌷🌷🌷

Келесі