UP PGT economics preparation | लोकवित्त अर्थ तथा क्षेत्र | लोकवित्त और निजी वित्त में अंतर

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UP PGT economics preparation | लोकवित्त अर्थ तथा क्षेत्र | लोकवित्त और निजी वित्त में अंतर
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उच्च आर्थिक सिद्धान्त साम्य का विचार एवं प्रकार मांग का सिद्धान्त, मांग के लोच की माप,
आंडी या प्रतिलोच, उपभोक्ता का अतिरेक, तटस्थ, वक्र तकनीक, उपभोक्ता साम्य, उद्घाटित अधिमान
सिद्धान्त, उत्पत्ति के नियम एवं पैमाने के प्रतिफल नियम, उत्पादन फलन - अल्पकालीन एवं दीर्घ
कालीन एवं काबडगलस उत्पादन फलन जनसंख्या संक्रमण, जनसंख्या संक्रमण सिद्धान्त ।
अर्थ का सिद्धान्त- पूर्ण प्रतियोगिता एकाधिकार, द्वाधिकार अल्पाधिकार एवं एकाधिकृत
प्रतियोगिता तथा समाजवादी अर्थव्यवस्था में कीमत निर्धारण वितरण वितरण का केन्द्रीय एवं आधुनिक
सिद्धान्त, लगान के सिद्धान्त, आभास लगान एवं अवसर लागत. मजदूरी का आधुनिक सिद्धान्त, ब्याज के
सिद्धान्त, प्रतिष्ठित सिद्धान्त, कीन्स की द्रवता पसंदगी सिद्धान्त एवं तरलता जाल, उधार देय योग्य कोष
सिद्धान्त नाइट एवं शाकिल का लाभ सिद्धान्त, उत्पादन समाप्ति प्रमेय कीन्स का रोजगार सिद्धान्त-
गुणक एवं त्वरक सिद्धान्त उपभोग एवं विनियोग फलन, व्यापार चक्र के सिद्धान्त-हाटे हेयक तथा
हिक्स।
लोक वित्त • लोक वित्त के सिद्धान्त, निजी एवं सार्वजनिक वस्तुएं सार्वजनिक व्यय उद्देश्य,
सिद्धान्त एवं आर्थिक प्रभाव संतुलित एवं असंतुलित बजट, राजकोषीय वित्त, क्रियात्मक वित्त एवं युद्ध
वित्त विकासशील अर्थव्यवस्था में राजकोषीय नीति सार्वजनिक आय करारोपण के सिद्धान्त, करों का
वर्गीकरण, करों में समानता कराभार एवं कर विवर्तन कर भार के सिद्धान्त, पूंजीकृत कर विवर्तन,
दोहराकर एवं कर देय क्षमता।
सार्वजनिक ऋण ऋण भार कर बनाम ऋण शोधन केन्द्र एवं राज्य सरकार के वित्त की
प्रवृत्तियां, दसवां वित्त आयोग, हीनार्थ प्रबन्धन ।
मौद्रिक अर्थशास्त्र - मुद्रा का मूल्य और उसकी माप मुद्रा परिणाम सिद्धान्त कीन्स एवं कैम्ब्रिज
मौलिक समीकरण, कीन्स का मौद्रिक सिद्धान्त मुद्रा प्रसार, मांग जनित एवं लागत जनित स्फीति,
फिलिप्स वक्र, मुद्रा स्फीति एवं मुद्रा संकुचन की तुलनात्मक श्रेष्ठता, मौद्रिक संस्थाएं केन्द्रीय एवं
वाणिज्य बैंकों के कार्य, साख सृजन, केन्द्रीय बैंक साख नियंत्रण की विधियां भारतीय रिजर्व बैंक की
मौद्रिक नीति, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण बैंक, राष्ट्रीय औद्योगिक (दीर्घकालीन) कोष, अवमूल्यन,
अधिमूल्यन, विनिमय नियंत्रण प्रत्यक्ष एवं परोक्ष विधियां ।
अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र
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अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त (एडमस्मिथ, रिकार्डों और मिल)
पारस्परिक मांग सिद्धान्त, मार्शल का अन्तर्राष्ट्रीय मूल्य का सिद्धान्त, अवसर लागत सिद्धान्त, (हैबरलर)
समान्य संतुलन सिद्धान्त (हेवश्वर- ओइलिन), लियोन्तीफ विरोधाभास ।
विदेशी विनिमय दर क्रय शक्ति समता एवं भुगतान संतुलन सिद्धान्त, व्यापार की शर्त, स्वतंत्र
व्यापार बनाम संरक्षण, प्रशुल्क, राशिपतन, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्यापार प्रशुल्क एवं व्यापार सम्बन्धी
सामान्य समझौता (जी०ए०टी०टी०), संयुक्त राष्ट्र संघ का व्यापार एवं विकास सम्मेलन (अंकटाड), भारत
में विदेशी पूंजी की वर्तमान स्थिति, विदेशी सहायता, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं आई०ए०एफ० आई० बी०आर०
डी०, अन्तर्राष्ट्रीय विकास संघ (आई०डी०ए०) एशियन विकास बैंक, यूरोपियन साझा बाजार एवं
अन्तर्राष्ट्रीय तरलता ।
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आर्थिक विकास एवं भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास की समस्याएं विकास की
अवस्थाएं, विकास माडल प्रतिष्ठित हैरोड एवं डोमर माडल भारत में जनवृद्धि एवं संरचना, जनसंख्या
नीति, राष्ट्रीय आय की नवीन अवधारणाएं राष्ट्रीय आय की प्रवृत्तियां गरीबी एवं अल्परोजगार की
समस्याएं, रोजगार नीति, ऊर्जा संकट, कृषि वित्त की समस्याएं एवं उपाय, अन्नपूर्णा योजना, भारत की
नई औद्योगिक नीति एवं उपक्रम, लघु एवं कुटीर औद्योगिक नीति, निर्यात संवर्द्धन, सामाजिक सुरक्षा एवं
श्रम कल्याण, बहुराष्ट्रीय कम्पनियां एवं भारतीय आर्थिक विकास प्रारम्भिक सांख्यकी - सांख्यिकी का अर्थ
एवं महत्व बिन्दुरेखीय प्रदर्शन केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप मध्य का भूमष्ठिक, प्रमाणिक विचलन एवं सह
सम्बन्ध ।

Пікірлер: 1

  • @kanchansorna3995
    @kanchansorna3995Ай бұрын

    Bhut acche se teach Kiya 🙏🙏🙏

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