Thar In Kedarnath | थार में बैठे बुजुर्गों की Viral तस्वीर | Uttarakhand News | Chardham Yatra 2024
थार के थरथराते जिस टूरिज्म के लिए मैं आशंका जाहिर कर रही थी, वो आशंका इतनी जल्दी हकीकत की जमीन पर उतर आई है... ये लेटेस्ट वीडियो है।
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सरकार को तुरंत इस थार को वापिस भेज देना चाहिए.. बाबा केदार के दरवार मे ये सब नहीं होना चाहिए..शर्म आती है सरकार के इस कदम पर
तीर्थ स्थान अब पर्यटन व्यवसाय बना दिए गए हैं। मुझे याद है मेरी दादी ने एक घटना बताई थीं कि रास्ते में एक घर पर उन्होंने पीने का पानी मांगा था, बदले में उस परिवार ने सिर्फ़ एक सुई-धागा देने को कहा था यदि हो तो। उस समय तीर्थयात्री अपना सारा सामान जिसमें एक जोड़ी कपड़े, सत्तू, गुड़ चना और सुई धागा सिर पर पुटरिया लादकर पैदल ही केदारनाथ और बद्री विशाल धाम की यात्रा करते थे। यह आस्था, भक्ति और देव दर्शन के प्रति समर्पण था। दिखावा, आडंबर और मनोरंजन नहीं।
Bahut bahut sadhuwad.
लगता है इस थार का ड्राइवर एक बुजुर्ग विकलांग है बाकी लोग तो सही सलामत दिख रहे हैं
आज कहां गये वो पण्डा समाज के लोग जो कुछ दिन पहले एक नृत्य करने वाले भक्त को धक्का देकर हटा रहा था ।
नेताओं का काम है पैसा कमाना। थार से उतरने वाले यात्रि नहीं मौज मस्ती वाले हैं हम तो बाबा केदार की शरण में है न्याय करना भोलेनाथ।मै आपका पूरा समर्थन करती हू जय मां नंदा जय हिमाल🕉️🕉️🕉️🕉️
Bilkul sahi...pahado ko chill kerne ka adda bna diya hai...dharmic teerth yatra aur tourism me difference maintain hona chahiye
आपकी निराशा अत्यंत युक्तियुक्त है और चिंतित करने वाला है
हिन्दु धर्म मे ही vip भक्त होते है, बाकी सब धर्मो मे ईश्वर के आगे सब एक समान होते है। हमारे यहाँ तो पैसे वाला भगवान के दर पे भी स्पेशल हो जाता है ।
सरकार इस पे तुरंत रोक लगा देनी चाहिए आप ऐसे ही आवाज उठाती रहें
मार्मिक एवम प्रभावशाली अपील धार्मिक स्थल और उत्तराखंड को बचाने की। बहुत ही सुंदर प्रस्तुतिकरण । आप अपने प्रयास में सफल हों भोले बाबा से यही प्रार्थना करते हैं।
हे बाबा केदार अब करो अपना तांडव कैसे भूल गये 2013
ये तो बहुत ही शर्मनाक होने लगा केदारनाथ में, अब केदारनाथ के पंडे और मंदिर समिति कुछ बोलती क्यों नहीं। किसी को कोई मतलब नहीं है इस हिमालयी प्रदेश में पर्यावरण से ??
शर्म आती है कि हम उस तकनीकी विकास का हिस्सा हैं जिसकी कीमत हमें अपने प्रकृतिक संसाधनों के रूप में चुकानी पड़ती है।
भक्ति बहुत ही कठिनाई से मिलती, भगवान के दर्शन के लिए पैदल चलना पड़ता है भूखा भी रहना पड़ता है बहुत सारे कष्टों से गुजरना पड़ता है तब जाकर भगवान के दर्शन होते है। भगवान के पास याचक बन के ही जाना चाहिए।तीनों लोकों के स्वामी को आप थार हेलीकॉप्टर दिखा रहे हो जिस दिन उनकी लाठी चलती है सब थार हेलीकॉप्टर ऐशो आराम सब मिट्टी में मिल जाएगा।
आपने बहुत ही सुन्दर बात कही जो सरकार को नहीं समझ आती
केदारनाथ पहुंचना, जो गढ़वाल हिमालय में बसा है, एक दिव्य क्षेत्र में कदम रखने जैसा लगता है। प्राचीन मंदिर के चारों ओर बर्फ से ढकी हुई भव्य चोटियाँ अद्भुत और आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध दृश्य बनाती हैं। यहाँ की साफ, ठंडी हवा और शांत वातावरण श्रद्धा और विस्मय की भावना को बढ़ाते हैं। पास में बहती मन्दाकिनी नदी इस मनमोहक दृश्य को और भी सुंदर बनाती है, जो इसे चिंतन और प्रकृति से जुड़ने के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है। यहा ऐसा करना सही नहीं
मीनाक्षी जी बाबा केदार महासु चालदा आपको स्वस्थ रखे आप निर्भीक ईमानदार भारतीय नारी है 🎉
Jai Kedarnath Baba
उत्तराखंड सरकार उतणदंड सरकार