Shri Bhandashah Jain Mandir - Bikaner
भांडाशाह जैन मंदिर
मूलनायक श्री सुमतिनाथ भगवान
घी का देरासर
बीकानेर
बीकानेर शहर राव बीका द्वारा बसाया गया था. इस पुराने शहर की चारदिवारी के बीच है बड़ा बाज़ार। इस बाज़ार में भांडा शाह नामक व्यापारी ने 1468 में एक जैन मंदिर बनवाना शुरू करवाया और इसे 1541 में भांडा शाह की पुत्री ने पूरा कराया. यह मंदिर पांचवें जैन तीर्थंकर सुमति नाथ को समर्पित है भांडासर जैन मन्दिर का निर्माण गोदा नामक वास्तुशास्त्री की देखरेख किया गया था। वास्तुशास्त्री गोदा की याद में परकोटा युक्त बीकानेर नगर के रांगडी चौक में पत्थर की सुन्दर चौकी बनाई गई है। यह चौकी सुन्दर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। वि.सं. 1544 में भाण्डाशाह द्वारा निर्माण प्रारंभ कराए गए इस मंदिर का वास्तविक नाम ‘त्रैलोक्य दीपक प्रसाद‘ है जिसे भाण्डाशाह मंदिर भी कहा जाता है। यह धर्मस्थल बीकानेर के मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत प्रतीक है। इसकी गणना बीकानेर के प्राचीनतम स्थापत्य नमूनों में की जाती है। जिनालय की प्रतिष्ठा विक्रम संवत 1571 में हुई है।
यह जैन मंदिर भांडासर मंदिर के नाम से ज्यादा प्रचलित है. इस मंदिर के शिल्पी थे गोदा। इसमें लाल बालू पत्थर और सफ़ेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर के फर्श, छत, खम्बे और दीवारें मूर्तियों और चित्रकारी से सजे हुए हैं. ऐसा लगता है कि चित्रकारी बाद में की गई है. ऐसा कहा जाता है की मंदिर के निर्माण में पानी की जगह 40,000 किलो घी का इस्तेमाल किया गया था.
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Rich n rich heavenly feeling worship temple n rich monk n rich historical interior n rich architecture