Shakahari Sammelan khadbada live अभिभावकों का अभिवादन करते हुए प्रेमी जयगुरुदेव
Jaigurudev sangat Sidhi
हम 24 घंटे बाहर की दुनिया को देखते रहते हैं
जब अन्तर में देखने का मौका होता है, तो हम सो जाते है।
सन्तजन फरमाते हैं कि 24 घंटे में एक बार ही थोड़ी देर
के लिये अपने कानों को बंद करके शब्द धुन को सुनो और
ध्यान करते समय अपने अन्तर में देखने की कोशिश करो।
पहले आँखों से ही शुरु करो, क्योंकि यही सबसे
महत्वपूर्ण इंद्री है जो हमें बाहर से जोड़े रखती है।
फिर अपने भीतर में जो भी आवाज़ सुनाई पड़े,
उसे सुनने की कोशिश करो। फिर ध्यान मग्न होकर
खुश्बूओं को सूंघने की कोशिश भी करो। फिर तुम्हारे
अन्दर चमत्कार हो उठेगा।
पहले तुम पाओगे कि कुछ तो है फिर तुम पाओगे
कि बहुत कुछ है यहां तो, क्योंकि भीतर अपने ही सँगीत हैं
और अपनी ही आवाज़ें हैं। भीतर के अपने ही रंग हैं,
अपने ही स्वाद और सुगंध हैं। जिस दिन आपको भीतर
के रंग दिखाई देंगे, उस दिन बाहर की दुनिया के सब रंग
फीके पड़ जाएंगे।
फिर तुम्हारी इच्छाएँ समाप्त हो जायेगी।
तब संतोष और तृप्ति का भंडार मिल जाएगा।
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Jai gurudev
Jaigurudev naam parbhu ka jaigurudev mere malik thum he ho diya baniya rakho mere malik thum he ho jaigurudev
Jai gurudev