Saptrishi ashram haridwar। Haridwar ki sabse sasti dharamshala। Best place to stay in haridwar।
सप्तऋषि आश्रम हरिद्वार। Saptrishi ashram haridwar। हरिद्वार का सबसे सस्ता आश्रम। Best place to stay in haridwar uttarakhand। Haridwar ki sabse sasti dharamshala।
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सप्तऋषि आश्रम
सप्तऋषि आश्रम हरिद्वार एक धार्मिक स्थल होने के साथ साथ एक खुबसूरत प्रकिर्तिक दृश्यों से भरपूर पर्यटन स्थल भी है। जहाँ अद्यात्म और प्रकिर्तिक सुंदरता का अनोखा मिश्रण आपके इस यात्रा को ज़िन्दगी का खूबसूरत यादगार पल बना सकते है।
भारत के देवभूमि कहे जाने वाले राज्य उत्तराखण्ड के हरिद्वार जिले में स्थित सप्तऋषि आश्रम एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। सप्तऋषि आश्रम हर की पौड़ी से लगभग 5 किलोमीटर की दूर स्थित है। सप्त ऋषि आश्रम हरिद्वार के आध्यात्मिक विरासत स्थलों में से एक प्रसिद्ध स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां सप्तऋषियों का आश्रम हुआ करता था जिस वजह से इस स्थान का नाम सप्त ऋषि आश्रम है। इस विख्यात अस्थल को सप्त सरोवर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर गंगा जी 7 घराओं में अलग होकर प्रवाहित होती है जिस कारण से इसे सप्त सरोवर भी कहा जाता है।
सप्तऋषि का आश्रम हरिद्वार के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है, यहां पर सप्तर्षियों का एक खूबसूरत आश्रम बनाया गया है, जो कि अपने धार्मिक मान्यता और अपने ऐतिहासिक कहानियों के कारण प्रचलन में है, यहां पर सालाना हजारों यात्री आते हैं और आश्रम में पूजा करने के साथ-साथ आसपास से की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं, इलाके की प्राकृतिक सुंदरता बहुत अधिक है, क्योंकि यह जगह देवभूमि उत्तराखंड में स्थित है।
सप्तऋषि आश्रम का इतिहास -
ऐसी मान्यता है कि सप्त ऋषि इस जगह पर निवास करते थे और धार्मिक प्रचार करते थे धार्मिक प्रचार के साथ जाते हुए अपने शिष्य यहां पर रखते थे और शिष्यों को कई प्रकार की शिक्षाएं देते थे यहां पर गुरुकुल हुआ करते थे जहां पर धर्म की शिक्षा दी जाती थी और कई प्रकार के कौशल सिखाए जाते थे मान्यता है कि पुराने समय में इस स्थान को एक महत्वपूर्ण गुरुकुल के रूप में आसपास के इलाके में मान्यता प्राप्त थी यहां पर कई बड़े-बड़े संत और गुरुओं ने भी पढ़ाई की थी।
सनातन इतिहास में सप्तर्षियों का महत्वपूर्ण स्थान है, इन्हें भगवान शिव के महत्वपूर्ण सप्त ऋषि माना जाता है, इन्होंने वेद और पुराणों की कई रचनाओं में अपना सहयोग दिया था और कई प्रकार के ग्रंथों की रचना भी की थी।
सप्तर्षियों में वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, विश्वामित्र, गौतम, भारद्वाज और जमदग्नि नामक ऋषियों को गिना जाता है, इस मंदिर में सभी ऋषियों के लिए अलग-अलग स्थान बनाए गए हैं, और पूजा-अर्चना के लिए अलग-अलग ऋषियों को मानने वाले लोग इकट्ठा होते हैं, इन ऋषियों को इष्ट देव मानने वाली कई गोत्र है जो यहां पर साप्ताहिक और वार्षिक पूजा करते हैं।
कथाओं के अनुसार सप्त ऋषियों (कश्यप, वशिष्ठ, अत्री, विश्वामित्र, जमदग्नि, भारद्वाज और गौतम) ने आश्रम में ध्यान लगाने के लिए गंगा जी की प्रवाह के आवाज को कम करने के लिए उनको अलग-अलग धाराओं में प्रवाहित कर दिया था। यहां पर गंगा नदी के किनारे पांडवों की पत्थर की मूर्तियां भी दिखाई देती हैं जिनके लिए कहा जाता है कि वे स्वर्ग जाने के पहले वह उस आश्रम से होकर गए थे। यह स्थल हरिद्वार का एक प्रसिद्ध और विख्यात पर्यटन एवम् धार्मिक स्थल है।
सप्तऋषि आश्रम की वास्तुकला -
गोस्वामी गुरुदत्त ने यहां पर 1943 मैं आश्रम की स्थापना की थी इस आश्रम में गरीब बच्चों को बढ़ाने के लिए गुरुकुल की व्यवस्था है, और पूजा अर्चना करने के लिए भी मंदिर बनाया गया है, यहां पर सब दृश्यों के मंदिर हैं और कई अलग-अलग हिंदू देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है, त्योहारों के महीनों में यहां पर भीड़ भाड़ बहुत अधिक होती है।
यहां पर सप्तऋषियों का भगवे रंग का एक खूबसूरत मंदिर बनाया गया है, यहां पर भगवान शिव की पूजा आराधना भी होती है, और शिवरात्रि के दिनों पर यहां पर खूबसूरत मेला लगता है, और आसपास के लोग इकट्ठा होते हैं, मंदिर परिसर के अंदर ही एक खूबसूरत फव्वारा लगाया गया है, जहां पर भगवान शिव की बेहतरीन नीले रंग की प्रतिमा लगी हुई है, मंदिर का दृश्य बहुत ही मनोरम है और वातावरण बहुत सुहाना है।
सप्तऋषि आश्रम हरिद्वार कैसे पहुंचे? -
यदि आप सप्तऋषि आश्रम हरिद्वार जाने के लिए वायु मार्ग का चुनाव करते हैं तो यहां के सबसे पास का हवाई अड्डा जौलीग्रांट हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा हरिद्वार से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित है। जहां से जहां से आप आसानी से टैक्सी के द्वारा अपने चुने हुए पर्यटन स्थल सप्तऋषि आश्रम तक जा सकते हैं जो यहाँ से मात्र 5 किलोमीटर दूर स्थित है।
ट्रेन से सप्तऋषि आश्रम कैसे पहुंचे? -
सप्तऋषि आश्रम पहुंचने के लिए आपको हरिद्वार रेलवे स्टेशन आना होगा जो सप्तऋषि आश्रम से मात्र 7 किलोमीटर दूर स्थित है। हरिद्वार शहर का रेलवे स्टेशन भारत के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचने के लिए मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, कानपूर जैसे शहरों से आसानी से रेल सुविधा उपलब्ध है जिसके द्वारा आप हरिद्वार आसानी से पहुंच सकते हैं।
बस से सप्तऋषि आश्रम कैसे पहुंचे? -
हरिद्वार की सड़क मार्ग सुविधा बेहद ही अच्छी है जिसके द्वारा आप आसानी से सप्तऋषि आश्रम हरिद्वार की यात्रा कर सकते हैं। यह भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा होने के कारण यहां बस के द्वारा या प्राइवेट गाड़ियों के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली और उत्तराखंड के सभी शहरों से हरिद्वार के लिए अच्छी बसे उपलभ्ध है।
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Yaha ke ganga ghat par yadi aap early morning nahane ke liye jate hai toh paani me utrne se pahle paani me jor jor se haath patak kar splash kar le tab paani me entre kare taaki night me jo jiv kinare aa gaye hai vo vha se hat jaye
Ye ashram hotles se laakh guna accha hai yaha man ki shanti bhi milti hai aur rent ke naam pe hazaro rupes bhi udane ni padte
Aap bus aise hi sundr sundr place dikhate raho but busy itne hai ki jana hota ni 😢
Jai siya ram 🎉🎉🎉
Jai ho Ganga maiya ❤
Price kya hai
Thanks WOW THAT'S AWESOME KEEP IT UP FOR THE SAKE OF HUMANITY LOVE KINDNESS WOMEN POWER DIGNITY FREEDOM PROSPERITY JUSTICE LIBERTY FRATERNITY EQUALITY HAPPINESS ✌️👍👌
Very spritual place
Beautiful place 🤩
Thank you Sir 😊
❤
❤❤❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤
Main yaha rah chuka hu
Thank you ji
😊😊😊
Haridwar yani hari ka dwar ❤
Thank you 🙏
Sir kya ham 6 mahine ya ek saal ke liye kutiya book kar sakte hai ya sirf 7 din hi ho payega???