संस्कार भारती उत्तर प्रदेश/राष्ट्रीय कवि संगम लखनऊ_ काव्यगोष्ठी_27.06.2024. (फुल वीडियो)।

राष्ट्रीय कवि संगम लखनऊ एवं संस्कार भारती उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में विधायक निवास, राजेन्द्र नगर, लखनऊ स्थित कार्यालय परिसर में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि साहित्य भूषण श्री कमलेश मौर्य मृदु ने की। मुख्य अतिथि श्री नरेश चन्द्र अग्रवाल (प्रदेश महामंत्री संस्कार भारती) एवं विशिष्ट अतिथि डा दिनेश चन्द्र अवस्थी रहे। कार्यक्रम में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री श्री गिरीश चन्द्र मिश्रा की विशेष उपस्थिति रही। गोष्ठी का सुरुचिपूर्ण काव्यात्मक संचालन युवा कवि जितेंद्र मिश्र 'भास्वर' ने किया।
गोष्ठी का संयोजन सुनील त्रिपाठी एवं राजीव वर्मा 'वत्सल' के द्वारा किया गया।
गोष्ठी का आरम्भ वाणी वन्दना द्वारा किया गया जिसे सुनील त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कमलेश मौर्य मृदु ने देश की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखने की बात पर बल देते हुए कहा -
बलिदानों से प्राप्त हुई ये स्वतंत्रता है इसको मिटने नहीं देंगे।
हम आप प्रतिज्ञा यही कर लें मृदु भारत को बँटने नहीं देंगे।
मुख्य अतिथि श्री नरेश अग्रवाल ने संस्कार भारती के क्रियाकलापों अपनी बात रखी।
विशिष्ट अतिथि डा दिनेश चन्द्र अवस्थी ने अपने चुटीले दोहों और कुंडलिया से सभी का मन मोह लिया।
आलू ने है कर दिया, सब रिश्तों को ध्वंस।
हर सब्जी को ब्याह ले, देखे गोत्र न बंस।
अनिल अमल ने प्रभु राम जन्मभूमि पर अपनी रचना प्रस्तुत की
पांच सदी तक लड़े अनवरत लाखों हैं बलिदान दिए।
कितनी पीढ़ी बीत गई हैं मन्दिर का अरमान लिए।
इसी अयोध्या की सड़कें जाने कितनों का काल हुईँ,
इन आँखों ने देखा ख़ूँ से सरजू माता थीं लाल हुईं।
गोला गोकर्णनाथ से पधारे बी पी मिश्र बेधड़क ने पत्रकारिता पर अपना दोहा पढ़ा
पत्रकारिता का बढ़ा, कितना है आकार।
पृथ्वी से आकाश तक, बिकता है अखबार।
बन्थरा क्षेत्र से आये कृष्ण कुमार मौर्य सरल ने सामान्य व्यक्ति की स्थिति को अपनी रचना में इंगित करते हुए कहा
सब कुछ है मगर आदमी खुशहाल नहीं है।
सुख चैन की दो वक्त रोटी दाल नहीं है।
राजीव वर्मा 'वत्सल' ने वर्तमान परिदृश्य को लेकर व्यंग्य रूप में ग़ज़ल में प्रस्तुत किया
दौरे हाज़िर कह रहा अच्छा न बन।
बोलबाला झूठ का सच्चा न बन।
संग माँ के ज़िन्दगी भर बन के रह,
रूबरू पर और के बच्चा न बन।
चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े डॉ प्रवीण कुमार प्रेम ने देश प्रेम को अपनी रचना में रखा
बचा लो राष्ट्र भारत को लहू तुम में अगर बाकी।
वचन दो आज वीरों तुम शहादत आज गर बाकी।
प्रसिद्ध हास्य व्यंग के कवि अरविन्द झा ने कहा
फिर से हमको एक कर दिया
यह ताकत है रघुनन्दन में
गोष्ठी का संचालन कर रहे जितेन्द्र भास्वर ने सम्बन्धों के महत्व पर बल देते हुए कहा
गिरेंगे कांच के बर्तन हमेशा टूट जाएंगे।
नहीं होगा दिलों में प्रेम रिश्ते छूट जाएंगे।
दिखावे से बचें हरदम कभी अभिमान मत पालें,
नहीं यदि संगठित होंगे विदेशी लूट जाएँगे।
सुनील त्रिपाठी ने सुन्दर दोहा पढ़ा
पास तुम्हारे दिल नहीं कहते थे कुछ लोग।
दिल का दौरा कर गया खारिज हर अभियोग।
डॉ एच एस अर्श लखनवी ने पढ़ा
सदा रोता है दिल मेरा कसक सीने में होती है।
किसी की याद आ आ कर मेरा दामन भिगोती है।
मनमोहन बाराकोटी तमाचा लखनवी ने अपने चिर-परिचित व्यंग्य के अंदाज में कहा
कुर्सी की ही लालसा भला नहीं संकेत।
दो कौड़ी के लोग से जुतवाएँ मत खेत।
भारतीय सेना से सेवानिवृत्त कवि श्यामजीत सिंह श्याम ने पढ़ा
है भीड़ बहुत इस दुनिया में लेकिन सब लोग अकेले हैं।
कहने के हैं रिश्ते तो बहुत रिश्तो में मगर झमेले हैं।
अनिल किशोर शुक्ल निडर ने पढ़ा
समय सदा होता बलवान।
बच्चों इसका रखना ध्यान।
समय निरंतर है गतिमान।
उड़े पखेरू जैसा जान।
कवित्री में इशरत सुल्ताना ने शेर पढ़ा
बीमार है ईमान दवा क्यों नहीं देते।
इंसान को इंसान बना क्यों नहीं देते।
कवित्री प्रदक्षिणा मिश्रा ने प्रभु राम पर पँक्तियाँ पढ़ीं
सुखद पावन घड़ी आई सुखद परिणाम आए हैं।
अयोध्या में अवध पति लौटकर श्री राम आए हैं।
गोष्ठी के समापन पर गोष्ठी के संयोजक सुनील त्रिपाठी द्वारा पधारे सभी कवियों का आभार प्रकट किया गया।

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