Sangat Ep77 | Rameshwar Rai on Teaching, Criticism, Poetry, Bhasha, Hindu College & DU| Anjum Sharma

Ойын-сауық

हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के एपिसोड 77 में मिलिए आलोचक रामेश्वर राय से
SANGAT Episode 77 | Hindwi | RAMESHWAR RAI | Anjum Sharma
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Пікірлер: 102

  • @sudhirkumaracharyji9937
    @sudhirkumaracharyji993711 күн бұрын

    रामेश्वर जी बहुत विद्वान, तार्किक और सत्यनिष्ठ व्यक्ति है। बहुत अच्छा लगा इनको सुनकर।

  • @learnwithsahilkairo
    @learnwithsahilkairo18 күн бұрын

    लगातार 11 वर्षों से सर को लगातार सुनने के सौभाग्य के बावजूद उनकी बातें कभी दोहराव से भरी और बासी महसूस नहीं होतीं! आश्चर्यजनक है, पर शायद ये भी एक बड़ी वजह है जो एक शिक्षक के रिटायर होने से पहले ही उन्हें उनके विद्यार्थियों में किंवदंती में तब्दील करती है। अपने कुछ अति-आग्रहों के बावजूद सर अद्भुत हैं! ❤

  • @ashokseth2426
    @ashokseth242624 күн бұрын

    बहुत सुलझे हुए विचार ओर प्रभावी संप्रेषण रामेश्वर राय जी की आवाज़ भी मुग्ध करने वाली है।

  • @suambadakumari3100
    @suambadakumari310023 күн бұрын

    अध्ययन का मतलब है निरंतर जीवित होने की प्रक्रिया... हमेशा की तरह राय सर को सुनना और बार बार सुनने की इच्छा पैदा होना... नये-नये विचारों से अवगत कराना ही राय सर को एक सुलझे हुए ईमानदार प्राध्यापक की श्रेणी में रखती है। अहंकार और आत्ममुग्धता से परे अपनी विद्वता से छात्रों के अंदर ऊर्जा और स्फूर्ति प्रदान करने में सर का योगदान अतुलनीय है। आज के दौर में भारत को ऐसे शिक्षक की बहुत ज्यादा जरूरत है। बहुत बहुत बधाई रामेश्वर सर और संगत की टीम को 🎉🎉

  • @user-mg6sb8kz9h
    @user-mg6sb8kz9h21 күн бұрын

    मैं बहुत ही सौभाग्यशाली हूं कि मैंने रामेश्वर राय सर से शिक्षा पाई है। सर को बहुत दिनों बाद आपके चैनल पर देखना आपके प्रति कृतज्ञता के भाव उत्पन्न करता है। 1998 -2001 बैच हिंदी ऑनर्स हिंदू कॉलेज।

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain18389 күн бұрын

    अन्तिम प्रश्न का कितना शालीन उत्तर वाह 🎉🎉

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain18389 күн бұрын

    अब तक का सबसे प्रभावशाली साक्षात्कार बहुत बधाई अंजुम जी आपको भी

  • @singhveenavatsal5115
    @singhveenavatsal511523 күн бұрын

    बहुत ही सुलझे हुए विचार हैं. इनसे पढ़ने वाले विद्यार्थी सौभाग्यशाली हैं. धन्यवाद इस इंटरव्यू के लिए.

  • @संदीपpunia
    @संदीपpunia22 күн бұрын

    रामेश्वर राय होना अध्यापक शब्द का सार्थक प्रयाय है । वास्तविक अर्थों में ऐसे अध्यापक विरले ही देखने को मिलते हैं । परीक्षार्थी और विद्यार्थी के संबंध में अंतर को बड़ी ही सहजता से व्यक्त किया है । लेकिन हिंदी विभाग या किसी अन्य विषय के विभाग में देश के अधिकांश संस्थानों में महज़ परीक्षार्थी बनाने की होड़ जारी है, लेकिन ये होड़ एक दिन अवश्य ही समाप्ति की तरफ अग्रसर होगी और निश्चित तौर पर हम सभी इसमें भागीदार भी होंगे । साक्षात्कार के लिए अंजुम शर्मा और हिंदवी का हार्दिक आभार 👏

  • @rkmishra_vaishnav
    @rkmishra_vaishnav8 күн бұрын

    आचार्यवर प्रोफेसर रामेश्वर राय सर को सुनना स्वयं को बहुआयामी दृष्टि से परिष्कृत करना है। हिन्दवी पर आजतक मैंने जितने लोगों का साक्षात्कार देखा है उन सब में रामेश्वर राय सर का साक्षात्कार सर्वोत्तम है। रामेश्वर राय सर जी को‌ कोटि-कोटि प्रणाम..🙏🙏 बहुत बहुत आभार हिन्दवी और अंजुम जी 🙏🙏

  • @rajeshdangar7915
    @rajeshdangar79157 сағат бұрын

    problem with Freud's theory 32:48 , beautiful explanation of Renaissance 36:23 , manushyaa ki paribhasha 38:55 , kisey acchi rachna kahaa jaye 42:11 , on taking notes 1:12:16 , Relation/role with literature 1:15:09

  • @user-qt6li3jr4s
    @user-qt6li3jr4s24 күн бұрын

    कृपया संगत में अपूर्वानंद को भी बुलाए। अंजुम ये आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है।

  • @shatrughnayadav3355
    @shatrughnayadav335511 күн бұрын

    यथार्थ और सत्य एक ही नहीं है।

  • @therealgirl8030
    @therealgirl803018 күн бұрын

    बहुत बहुत धन्यवाद अंजुम जी! ऐसी आधुनिक विभूति से परिचित करवाने और सुनने का अवसर देने के लिए। हम जैसे हिन्दी विद्यार्थियों के लिए इतना विस्तृत संसार बनाने का काम आप और आपके चैनल के माध्यम से बख़ूबी किया जा रहा। सभी हिन्दी प्रेमियों को sir को ज़रूर सुनना चाहिए। मैं अब समझ सकी कि क्यों इन दिव्य ज्ञान समाहित कर्ता को सुनने के लिए एक भीड़ सी बन जाती रही।

  • @gulabsingh-wh8wf
    @gulabsingh-wh8wf21 күн бұрын

    सर को सुनने पर ‘वाणी का अमृत' सुनाई पड़ता है। सर जिस ढंग से अपनी बात रखते हैं वह वक्तृत्व की कला नहीं जान पड़ती है। सर के शब्दों में शब्द खाली देहमात्र नहीं हैं, उनके द्वारा उच्चरित शब्दों के भीतर आत्मा भी ज्योतिर्मय है। उनके शब्द केवल शब्द नहीं हैं उनके शब्दों में साधा हुआ चारित्रिक सत्य है। यह शब्दों का नहीं चरित्र का बल है जिस कारण उनकी आस्था को कोई डिगा नहीं सकता।

  • @amitraibxr
    @amitraibxr9 күн бұрын

    बिल्कुल सत्य बात कर

  • @ajayanurag
    @ajayanurag24 күн бұрын

    शानदार! अंजुम जी, आपका शुक्रिया !! ऐसे ही शानदार शिक्षक डॉ. बलराम तिवारी सर का भी एक साक्षात्कार जरूर करें।

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla241024 күн бұрын

    प्रो राय प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी पढ़ाते रहे हैं, इसलिए वे सरलीकरण के शिकार हो जाते हैं.

  • @shatrughnayadav3355
    @shatrughnayadav335511 күн бұрын

    साहित्य ही नहीं, सम्पूर्ण कलाओं को परिभाषित नहीं किया जा सकता। परिभाषा में बंध जाए तो वो कुछ भी हो कला नहीं। कला अनुशासन में नहीं हो सकती।

  • @rahuldevahirwarofficial
    @rahuldevahirwarofficial23 күн бұрын

    शिक्षा की दुनिया में सर एक भरोसा है । जिन पर विद्यार्थी विश्वास कर सकते हैं । बहुत दिनों बाद सर को सुना । तीन वर्ष की क्लास के बाद,इस वीडियो को एक और क्लास के रूप में जोड़ा जा सकता है । कुछ दशकों के लिए यह इंटरव्यू हो सकता है । लेकिन सर के छात्रों के लिए यह किसी क्लास से कम नहीं ।

  • @rishabhyadav-5117
    @rishabhyadav-511723 күн бұрын

    विश्वविद्यालय के द्वारा दिया हुआ सिलेबस तो आज भी सर के लिए उतना ही चुनौतीपूर्ण है , अमूमन जितना उनकी शुरुआत में रहा होगा ।

  • @anhadnaad5082
    @anhadnaad508210 күн бұрын

    बहुत ज्ञान वर्धक जानकारी के लिए शुक्रिया। कविता या विचार से दुनिया तब बदल सकती है अगर विचार बदल सकते हों तो।

  • @manojanuragi5292
    @manojanuragi529213 күн бұрын

    ऐसे अध्यापक होना वास्तव में विद्यार्थियों के लिए सौभाग्य की बात है

  • @dr.shahid1966
    @dr.shahid196624 күн бұрын

    Anjum Sharma.I want to commend you on the incredible work you're doing on the Hindwi KZread channel. Although I am an Urdu speaker and don't understand Hindi, I find myself thoroughly enjoying your interviews with Hindi writers. Your engaging style and insightful questions transcend language barriers, making these conversations captivating and enriching. Keep up the fantastic work!

  • @vishwajeetpandey4245

    @vishwajeetpandey4245

    23 күн бұрын

    Bolne ke dauran kaun sa Hindi Urdu fark hota hai.

  • @dr.m.k.pandey4894
    @dr.m.k.pandey489423 күн бұрын

    ❤राय सर को सुनना बेहद ज्ञानप्रकाश और रोचक होता है शुक्रिया अंजुम

  • @divyasuhag5164
    @divyasuhag516424 күн бұрын

    अंजुम जी बहुत अच्छे विद्यार्थी रहे होंगे 🌹आदरणीय राय जी के सभी वक्तव्यों से सहमत हूँ। पहली बार सुना इन्हें। आभार🙏

  • @PushpendraMishra-zy4dq
    @PushpendraMishra-zy4dq13 күн бұрын

    इस पहल के लिए हिन्दवी का बहुत बहुत धन्यवाद। कृपया इसे जारी रखें,...

  • @kartikeyashukla5628
    @kartikeyashukla562824 күн бұрын

    वे लोग सौभाग्यशाली होंगे, जो प्रो. रामेश्वर राय से पढ़े होंगे।

  • @atozknowledge8541

    @atozknowledge8541

    23 күн бұрын

    Hum hi pdte h bhai

  • @ravirajan8740

    @ravirajan8740

    21 күн бұрын

    @@atozknowledge8541 कहाँ पर भाई

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain18389 күн бұрын

    🎉🎉🎉

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla241023 күн бұрын

    प्रो राय की दृष्टि स्पष्ट है. यह बड़ी बात है. असहमति हो सकती है. कई जगहों पर रही भी... बावजूद

  • @manojkumarjain1838
    @manojkumarjain18389 күн бұрын

    ❤❤❤❤

  • @newmanavjagartiandolan1882
    @newmanavjagartiandolan188223 күн бұрын

    रामेश्वर राय को नमस्कार शिक्षक लेखक होने के बावजूद पाठक होने में संतुष्ट होना इन्ही के शुरुआती व्य्क्त्व को सही साबित करता है कि हम किसी सृजन कृति को पढ़ कर आपका आईडिया( व्यक्तित्व) बनता है। बहुत अच्छा लगा खुली अभिव्यक्ति के सरोकारी को सुनकर, महिपाल मानव हिसार हरियाणा

  • @drirchouhanhindisahitya3560
    @drirchouhanhindisahitya356023 күн бұрын

    एक अच्छे इंसान और अच्छे अध्यापक से रूबरू करवाया आपने।सहज चीजों को समझाने की चेष्टा दिखती है

  • @daauji07
    @daauji0723 күн бұрын

    Main Kai vishyayo pr Rai sir se aasahmat hu parantu aapko sunte hue har baar bahut kuch seekhne milta hi hai . Pranaam🙏

  • @nareshjain6575
    @nareshjain657522 күн бұрын

    अब तक सभी कवियों/मनीषियों को सुना , पहली बार स्पष्टता और पारदर्शिता के साथ बहुत कुछ सीखने समझने मिला . साहित्य के बारे में दृष्टिकोण बदला . रामेश्वर राय जी सच में शिक्षक हैं...... लोक शिक्षक !!

  • @ajaykumarzero
    @ajaykumarzero23 күн бұрын

    जीवन और दुनिया पर अपनी राय रखने के लिए अगर कोई नदी और प्रवाह जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें तो इसका मतलब है कि वह जीवन और दुनिया का गंभीर अध्येता है। बहुत ही सुंदर इंटरव्यू.....अंजुम भाई....

  • @ashokseth2426
    @ashokseth242623 күн бұрын

    कितनी खूबसूरत बात मेरा साहित्य से वही संबंध हैं जो लताजी और रफी साहब का गायन से है। वाह!

  • @pallavisharma4963
    @pallavisharma496322 күн бұрын

    ऐसे शिक्षक को मेरा विनम्र प्रणाम! उनकी सधी हुई भाषा, ज्ञान और और सरलता से बहुत सीखने को मिला! कन्वर्सेशन के दौरान इतनी बार उन्होंने ऐसी बात कही जिसे बार - बार सुनने का मन हुआ; अंजुम जी आपको किन शब्दों में धन्यवाद दूँ !

  • @ankitachauhanyt
    @ankitachauhanyt22 күн бұрын

    बोला कैसे जाए, सीखने के लिए इस बातचीत को कई बार देखा जाएगा। बेहतरीन डॉक्यूमेंटेशन। शुक्रिया हिन्दवी ❤

  • @user-uf5wm8fm7i
    @user-uf5wm8fm7i17 күн бұрын

    Aalochana Ki Varna Vyavastha. It was there from the very beginning. Now you have brought it out in public discourse. Obviously good things have begun to happen in the closed world of Hindi literature. In fact I have great hopes from the young generation of poets and fiction writers who are in the age group of 25-40.

  • @ashapandey9233
    @ashapandey923321 күн бұрын

    कितना अच्छा तरीका है समझाने का,सर को प्रणाम।अंजुम जी, आपके प्रश्न आपके सतत अध्ययनशील होने का प्रमाण है। बहुत अच्छा साक्षात्कार।

  • @cowzah8551
    @cowzah855123 күн бұрын

    बहुत आभार संगत का रामेश्वर जी से मुझे इस बातचीत के जरिए मिलवाने का....में उनके बारे में पहले जानता नहीं था.. संजीदगी और सहजता के एक अद्भुत मिश्रण से उन्होंने अपनी बातें कहीं. . आध्यात्मिक दृष्टि से परिपूर्ण. प्रेम और मृत्यु का जो जोड़ बैठाया, वो नहीं भूलेगा. और अंत में जिस तरह उन्होंने मुस्कुरा कर "ठीक है"कहा, उसमे एक शांति की अनुभूति हुई:)

  • @user-yg4ew5qu3v
    @user-yg4ew5qu3v21 күн бұрын

    एक अध्यापक और एक साहित्य विमर्शकार के रूप में यह भेंट वार्ता बेहद निर्भीक और सकारात्मक रही l

  • @pawanparastish4779
    @pawanparastish477919 күн бұрын

    सर की बातें बहुत ही विचारणीय हैं। क्योंकि जिस दौर में हम बन रहे हैं या हमें बनाया जा रहा है उस दौर में हमें यह जान लेना ज़रूरी है कि हम न बन सकते हैं और न हमें बनाया जा सकता हम जो होते हैं उसी में ज़रूरी बदलावों के साथ आख़िर में वही हो जाते हैं। और कोई भी लीक अथवा खाँचा हमें बाँध नहीं सकता और हमें बंधना भी नहीं चाहिये। वैसे आज की ही नहीं सदियों से चली आ रही शिक्षा पद्धति कैय करना है यानी उल्टी करना अर्थात पहले खावो और फ़िर --- तो हमें अपने आप को किसी और के निर्णयों का कीर्तन नहीं करना होगा। हमें हमारे समय के यथार्थ को ध्यान में रख कर अपने निर्णय निर्धारण करने होंगेऔर उसमें यह गुंजाइश छोड़ देनी होगी कि आने वाली पीढ़ी अपने निर्णयों का निर्धारण कर सके हमारे निर्णयों को अंतिम सत्य नहीं मान बैठे।

  • @truthbeyondhype7123
    @truthbeyondhype712323 күн бұрын

    पहली बार आपके चैनल पर आया हूँ.....भाषा शैली और टॉपिक शानदार है.....

  • @avagallery6599
    @avagallery659923 күн бұрын

    अंजुम जी शुरुआत में रामेश्वर सर के वाक्यों ने जता दिया कि इंटरव्यू कितना शानदार है बहुत खूब, इस इंटरव्यू के लिए हार्दिक बधाई।

  • @dr.chaitalisinha6352
    @dr.chaitalisinha635223 күн бұрын

    शुक्रिया अंजुम जी इस बार आपने संगत में मेरे प्रिय गुरु को आमंत्रित किया। सर की सादगी और विनम्रता को प्रणाम। आज के समय में जहाँ कुछ लोगों को अपने ज्ञान का अहं इतना है कि वेअपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते, वहीं सर की विद्वता और उनकी विनम्रता , ठोस बौद्धिकता में समाहित है। दिखावे से दूर उनमें जो एक सच्चाई है वह एक विधार्थी को सर्वाधिक प्रभावित करता है। सर को स- आदर प्रणाम। 🙏🙏

  • @PublicHealthand.Poetry
    @PublicHealthand.Poetry24 күн бұрын

    अंजुम जी,आप संगत प्रोग्राम को बहुत अच्छे से चला रहे हैं।आज शाम हमें इस का 77 एपिसोड सुनने को मिला । कहा जा सकता है कि रामेश्वर राव जी ने आपके प्रश्नों को पकड़ा और हम ने अर्थ भरपूर उत्तर सुने।इस से ये कहा जा सकता है कि रामेश्वर राव जी ने आपके प्रश्नों को पकड़ा और उनके अर्थ भरपूर उत्तर सुनने को मिले। उन्होंने ज़िंदगी में अध्यापन के असल मतलब समझ कर इन को हमारे जैसे लोगों तक संचारित किया।आप के संगत कार्यक्रम में जितने भी लोग शामिल हुए हैं, उन से अक्सर यही सुना है कि साहित्य किसी बदलाव का कारण नहीं होता, लेकिन मन नहीं मानता। हर एपिसोड के बाद कुछ न कुछ बदलाव महसूस होता है, भले ही वो बहुत बड़ा बदलाव न हो। क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य के छात्र के रूप में हम यही कह सकते है, ऐसा करने से बदलाव संभव हो सकता है । डॉ मोहन बेगोवाल

  • @user-yk4et7nz6o
    @user-yk4et7nz6o23 күн бұрын

    प्रणाम सर 🙏🏻🙏🏻

  • @user-qn3bx6lf6v
    @user-qn3bx6lf6v18 күн бұрын

    अद्भुत ...

  • @purnimaojha6085
    @purnimaojha608523 күн бұрын

    वाह बहुत खूब

  • @PriyanshuKanhaiya
    @PriyanshuKanhaiya20 күн бұрын

    सर! के द्वारा शब्दों का उच्चारण मन-मोह लेता है।

  • @sushmachaturvedi9789
    @sushmachaturvedi978923 күн бұрын

    वाह!

  • @nirdoshkumar7034
    @nirdoshkumar703424 күн бұрын

    बहुत सुंदर

  • @santoshkumar-bg4gr
    @santoshkumar-bg4gr23 күн бұрын

    It was very nice listening to him.

  • @dineshpradhan5709
    @dineshpradhan570918 күн бұрын

    Wonderful,

  • @sunokahaniwithsantosh
    @sunokahaniwithsantosh24 күн бұрын

    Thank you for bringing a new episode every Friday

  • @user-ye4lr8dk4k
    @user-ye4lr8dk4k23 күн бұрын

    बढ़िया एपिसोड रहा। ज्ञानवर्धक।

  • @SushantJha-pc2qw
    @SushantJha-pc2qw20 күн бұрын

    सुंदर और ज्ञानप्रद साक्षात्कार। बार-बार सुनने लायक।

  • @manishyadav8124
    @manishyadav812418 күн бұрын

    Thank you so much sir ji 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @drnareshdalal02
    @drnareshdalal0221 күн бұрын

    Very nice, thank you. Interesting.

  • @dr.vishalmishra2971
    @dr.vishalmishra297123 күн бұрын

    बेहद प्रभावी संप्रेषण 🎉

  • @rohitdwivedi7711
    @rohitdwivedi771123 күн бұрын

    एक बेहतर साक्षात्कार के लिए अंजुम जी धन्यवाद ।

  • @rajprabhakar2116
    @rajprabhakar211615 күн бұрын

    जबर्दस्त बातचीत

  • @archanalark1413
    @archanalark141324 күн бұрын

    आलोचना की वर्ण व्यवस्था खत्म होनी चाहिए। वाह।

  • @OJACADEMY
    @OJACADEMY17 күн бұрын

    Nice video

  • @manimohanmehta6828
    @manimohanmehta682824 күн бұрын

    Very impressive and lucid …one of the best interview by Anjum ❤

  • @deepakkushwaha9849
    @deepakkushwaha984924 күн бұрын

    सर प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार को भी बुलाइए।

  • @ravirajan8740

    @ravirajan8740

    21 күн бұрын

    किस विषय के हैं

  • @Anu-qd6ok

    @Anu-qd6ok

    18 күн бұрын

    शिक्षा जगत की हस्ती हैं

  • @user-qn3bx6lf6v
    @user-qn3bx6lf6v18 күн бұрын

    नीलाद्री भट्टाचार्य को यहां देखना सुखद होगा...कृपया उनको भी यहां बुलाया जाएं

  • @user-qn3bx6lf6v

    @user-qn3bx6lf6v

    18 күн бұрын

    Aur Pro-Apoorvanand ko bhi bulaya jaye

  • @vijaysinghmeena900
    @vijaysinghmeena90019 күн бұрын

    अंजुम जी ऐसे व्यक्ति से साक्षात्कार लेने से पहले आपको भी संपूर्ण हिंदी साहित्य पढ़ना चाहिए!! महेश कटारे के इंटरव्यू के दौरान आपके प्रश्न ऐसे लग रहे थे जैसे आपने कभी लोक साहित्य या लोक धारा का साहित्य पढ़ा ही नहीं।

  • @gcbagri3573
    @gcbagri357324 күн бұрын

    Nice Comment Dr. Sahid. I think you are enjoying because you understand Hindi. Distance is very thin Dr. Saheb.

  • @prempalsharma7
    @prempalsharma723 күн бұрын

    एक उदात्त संवाद!

  • @aartibhagchandani7532
    @aartibhagchandani753219 күн бұрын

    मनुष्य एक संभावना है 👌👌

  • @vivekanandcreator5108
    @vivekanandcreator510824 күн бұрын

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla241024 күн бұрын

    आलोचना साहित्य की बौद्धिक समझ है.

  • @PrabhakarKumar-ug9nn
    @PrabhakarKumar-ug9nn22 күн бұрын

    एक सहज सम्वाद!

  • @utkarshpandey_du
    @utkarshpandey_du24 күн бұрын

    🙏🙏🌷

  • @user-bm8jl9bz3p
    @user-bm8jl9bz3p24 күн бұрын

    ❤❤❤

  • @ankur8478
    @ankur847824 күн бұрын

    प्रोफेसर कृष्ण कुमार को बुलाइये

  • @RohitYadav-tn7dc
    @RohitYadav-tn7dc23 күн бұрын

    वर्तमान समय के कुछ प्रमुख आलोचकों का नाम सुझाए जिनको सुनना जरूरी हो!

  • @ravishanker9672
    @ravishanker967223 күн бұрын

    रामजी राय कब आयेंगे

  • @shashankshukla2410
    @shashankshukla241024 күн бұрын

    आलोचना को जो नहीं समझ सकता, वह क्या अध्यापक बनेगा

  • @Ashanauliya
    @Ashanauliya23 күн бұрын

    Sir dr venita mam ko bhi buliye ❤❤ Swami shrdnand college du ke hai wo

  • @azadhind75
    @azadhind7521 күн бұрын

    दादा प्रणय कृष्ण को बुलाइये।

  • @ashokseth2426
    @ashokseth242623 күн бұрын

    भाषा पात्रानुसार होगी ना तो फिर गालियों का निषेध पर इतना आग्रह क्यों रामेश्वर जी!

  • @prakashchandra69
    @prakashchandra6924 күн бұрын

    हिन्दी लेखक-लेखिकाओं की उपस्थिति सिर्फ दिल्ली और हिन्दी राज्यों में ही नहीं हिन्दीतर क्षेत्रों में भी हैं। कभी वहां भी पहुंचे और उन्हें भी संगत के दायरे में लाएं। राय जी, साहित्य की स्वायत्तता अमूर्त है। कुछ भी स्वायत्त नहीं होता। व्यक्ति भी नहीं। जब आप किसी अवधारणा को रखते हैं तब आप भी स्वायत्त कहां रहते हैं। निर्वात में कुछ भी नहीं है। मुग़ल -ए-आजम की भाषा राजभाषा है जनभाषा नहीं।आधा गांव की गाली अस्वीकार्य और मित्रो मरजानी की गाली स्वीकार्य कैसे? बिंबवादी कविता है रामेश्वर जी की।प्रेम इतना आलंकारिक और वायवीय नहीं। अशोक वाजपेयी की प्रेम कविताएं भी ऐसी ही विज्ञापनी और कृत्रिम हैं।

  • @prabhakarmishra7377

    @prabhakarmishra7377

    24 күн бұрын

    बहुत अच्छा अध्ययन करते हैं आप, ऐसे पाठकों की भी बहुत कमी हो गई है, आपके विचारों से पूरी तरह सहमत हूं। फणीश्वरनाथ रेणु जी ने जैसा लिखा है वैसा होना चाहिए लेखक को

  • @maneetayadav6393

    @maneetayadav6393

    19 күн бұрын

    🎉

  • @rakibulhossain1160
    @rakibulhossain116023 күн бұрын

    Sangat ki..???

  • @user-br7jn3pw1h
    @user-br7jn3pw1h23 күн бұрын

    Sahitya ki thodi bahut samajh jo hai sir k karan hai,jab bhi unko sunte hai lagta hai man k bheeter kuch khul raha hai.

  • @rahulasthana4607
    @rahulasthana460723 күн бұрын

    इनकी बातें अच्छी लग रही थीं लेकिन अफ़सोस कि ये गालियों को लेकर पूर्वग्रह से ग्रसित हैं और गालियों को नकारने के लिए बेसिरपैर की बातें कर रहे है। ज़रा इनसे पूछिए कि भीषम साहनी की कहानी "ओ हरामज़ादे" का शीर्षक इसके अलावा क्या हो सकता है ? शायद ये "ओ दुष्ट" या "ओ पापी" कहें लेकिन इससे तो कहानी की हत्या हो जायेगी और उसका पाप इनके सर पर लगेगा ।

  • @madhavasamvad6537
    @madhavasamvad653724 күн бұрын

    अंधहि अंधा ठेलिया...। आलोचना इतना भर होती है कि अभी तक टेक्स्ट को कब, कैसे और कितना समझा गया है। उसका एक सिरा अनिवार्य रूप से अनंत की ओर खुलता है। आप ऐसा न कर पाएं तो आलोचना क्या करे! परंपरा को आत्मसात कर नवीन गवाक्षों का अन्वेषण कर पाना कमज़ोर लोगों का काम नहीं है।

  • @Logomaker-h2v
    @Logomaker-h2v24 күн бұрын

    ❤❤❤

  • @UnknownSprw
    @UnknownSprw24 күн бұрын

    ❤❤❤

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