Sangat Ep.32 | Malti Joshi on Stories, Personal Life, Katha Kahan, Geet & Padma Shri | Anjum Sharma
हिंदी साहित्य-संस्कृति-संसार के व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार से जुड़ी सीरीज़ ‘संगत’ के 32वें एपिसोड में मिलिए समादृत साहित्यकार मालती जोशी से। 4 जून 1934 को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में जन्मी मालती जोशी लगभग 70 साल से लिख रहीं हैं। उनकी 35 से ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हैं। मराठी भाषा में भी उनकी ग्यारह से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी कहानियों का अनुवाद कई भाषाओं में हुआ है। 2018 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मालती जोशी की अधिकांश कहानियों में मध्यवर्गीय परिवारों की दास्ताँ हैं? क्यों उन्हें भारतीय परिवारों की चहेती लेखिका कहा जाता है? कविता से लेखन की शुरुआत करने वाली मालती जोशी का रुझान कहानियों की तरफ़ कैसे हुआ? क्यों लोग उन्हें 'मालवा की मीरा' कहने लगे थे? वह अपनी कहानियों किरदारों का चयन कैसे करती हैं? क्यों उन्होंने एक बार आत्महत्या करने की सोची? उन्हें सर्वाधिक लोकप्रिय और आलोचकों द्वारा सर्वाधिक उपेक्षित क्यों कहा जाता है? मालती जोशी के रचना-संसार को जानने-समझने के लिए देखिए संगत का यह विशेष एपिसोड।
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#sangat
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मालती जोशी हिन्दी की अप्रतिम लेखिका हैं, मेरी पसन्ददीदा.. इस प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत धन्यवाद अंजुम शर्मा जी.
बहुत आत्मीय साक्षात्कार है यह। मासूम सा। बिना किसी औपचारिकता के और कितना भोला भाला सा। सहज और सरल। बहुत कुछ सीखने को मिला मालती जी से।
सादगी कमाल व्यक्तित्व बेमिसाल। मालती जी का अपनी हर कहानी को धाराप्रवाह बिना रुके बिना चुके सुनाना, मुझे भी हमेशा अचंभित करता है। उनकी हर कहानी उनके दिल की आवाज है। उनकी कहानियां पढ़ना चालू करो तो बिना समाप्त किये उठना असम्भव है। मेरा परम सौभाग्य कि मुझे इस विभूति से मिलने का अवसर मिला और उन्होंने मुझे उनकी कुछ किताबें और कथा कथन की सीडी उपहार में दी थी जो मेरी अमूल्य निधि है। उन्हें सादर प्रणाम🙏🙏
कितनी सहजता सरलता है इस बात चीत में। बहुत ही सुखद लगा
पूरी हिंदी जाति को आपका धन्यवाद करना चाहिए 🙌
My most favourite author. I have so much respect and love for Malati Joshi, madam.❤ Hope aap jug jug jiye. ❤
मुझे इतनी खुशी हो रही हैं यह बताते हुए कि इस मुलाकात को मैनें प्रत्यक्ष रुप से आदरणीय आई के मुख से सुना हैं, और आज जब दोबारा सुनने का सौभाग्य मिला तो धन्य हो गई। शत, शत, प्रणाम आई के पावन चरणों मे 🎉❤
लोकप्रिय कहानीकार,गीतकार मालती जोशी जी का रोचक साक्षात्कार।प्यार की मिठास और सम्मान से भरी मालवी भाषा का ही असर है जो एक मराठीभाषी को भी मराठी की तू तड़ाक की भाषा नहीं सुहाती है।बुंदेली भाषा का प्रसंग में अच्छा प्रयोग किया।मालती जोशी जी के स्वस्थ,सृजनात्मक,क्रियाशील साहित्यिक जीवन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
अंजुम जी, किन शब्दों में आपको शुक्रिया कहें। इतने सकारात्मक साक्षात्कार के लिए बहुत बहुत आभार! मैं बचपन से पढ़ती रही हूॅं मालती दीदी को, आज देखकर अभिभूत हूॅं। सादर चरणस्पर्श आदरणीय दीदी! लव यू!
प्रणाम मालती जी । आपकी कहानियां बहुत ही दिल को छूने वाली कुछ अपनी सी लगती है।आपको पढ़ना हमेशा एक सुकून सा दे जाता है।आप हमेशा स्वस्थ रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है
कितने सुन्दर विचार,इसीलिए मालती जी की कहानियॅ इतनी पसंद की जाती है.
आदरणीय आई, सादर प्रणाम 🙏
मालती जी का व्यक्तित्व और कृतित्व पारदर्शी रहा है। उनकी कहानियाँ उन्हीं से सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। यह साक्षात्कार संगत के अब तक के लिए गए साक्षात्कारों में अति महत्वपूर्ण साक्षात्कार है।
सुलझा और सरल साक्षातकार। मलतीजी की कहानियां पढ़ीं हैं। अंजुम जी को शुभाशीष। ❤❤❤
Aise log kaha hai ab? Dhanya ho gaye hum sunkar aisi saadgi ,aise vichar,aisi maryada❤
आपके एपिसोड का हमेशा इंतजार रहता हैं। धन्यवाद हिंदवी ❤
बहुत संवेदनाशील लेखिका मालती जोशीजीको दुनिया बहुत मिस करेगी. उनके जैसी लेखिका बहुत दुर्मिळ है इस जगत मे. उनकी आत्मा को हमारा सन्मानभरा नमस्कार 🙏🌹♥️
बहुत बहुत धन्यवाद भाई मेरी प्रिय लेखिका को देखकर बहुत अच्छा लगा
बिना बाएं दाएं जाए इसी प्रकार साहित्य सेवा करते रहें अंजुम जी, साहित्य जगत के नायाब सितारों की जीवन यात्रा से परिचय कराने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है,बहुत बहुत धन्यवाद ।
15,16, की उम्र से मालती जोशी जी को धर्मयुग, मनोरमा में पढ़ा है।अपने आसपास के माहौल से ही मिलती जुलती कहानियां।बहुत ही खूबसूरत लेखन