संघ सरिता बह रही है || SANGH SARITA BAH RAHI HAI || Geet Ganga
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#Sangh_Sarita_Bah_Rahi_hai
संघ सरिता बह रही है संघ सरिता बह रही है
इस भगीरथ की अनोखी विजय गाथा कह रही है
भेदकर विस्तृत शीलायें एक लघुधारा चली थी
कंदरा घन बीहड़ो को चिर निर्भय वह बढ़ी थी
स्वर्ग गंगा बन महानद रूप अनुपम गह रही है
संघ सरिता बह रही है संघ सरिता बह रही है
क्रूर बाधायें अनेको मार्ग कुंठित कर न पायी
क्रुद्ध शंकर की जटा में वह असीमित क्या समायी
जह्नु की जंगा विदारी जाह्नवी फिर चल पड़ी है
संघ सरिता बह रही है संघ सरिता बह रही है
कर सुसिंचित इस धरा को सुजल सुफला उर्वरा
मातृभू का पुण्यभू का रूप है इसने संवारा
शुष्क मरूभू शेष क्यों फिर ताप भीषण सह रही है
संघ सरिता बह रही है संघ सरिता बह रही है
दूर सागर द्रष्टिपथ में मार्ग में विश्राम कैसा
ध्येय सागर से मिलन का आज संभ्रम सोच कैसा
अथक अविरत साधना की पुण्यगाथा कह रही है
संघ सरिता बह रही है संघ सरिता बह रही है
संघ सरिता बह रही है || SANGH SARITA BAH RAHI HAI || Geet Ganga
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वंदे मातरम्
संघ सरिता बह रही है उस भगीरथ की अनोखी विजय गाथा कह रही है॥ध्रु ०॥ भेदकर विस्तृत शिलाएँ एक लघु धारा चली थी कन्दरा वन बीहड़ो को चीर निर्भर वह बढ़ी थी स्वर्ण गंगा व महानद रुप अनुपम गह रही है॥१॥ क्रूर बाधाएँ अनेको मार्ग कुंठित कर न पायीं क्रुध्द शंकर की जटा में वह असीमित क्या समायीं। जहनु की जंघा बिदारी जाहनवी फिर चल पड़ी है॥२॥ कर सुसिंचित इस धरा को सुजल-सुफलां उर्वरा मातॄ भू का पुण्य भू का रुप है इसने सँवारा। शुष्क मरु भू शेष क्यों फिर ताप भीषण सह रही है॥३॥ दूर सागर दृष्टि पथ में मार्ग में विश्राम कैसा ध्ये सागर से मिलन का आज संभ्रम सोच कैसा अथक अविरत साधना की पुण्य गाथा कह रही है॥४॥
चरैवेति चरैवेति यही तो मन्त्र है अपना।।।। 🙏🚩🚩🚩🚩
Vande Mataram
भारत माता की जय
जय श्री राम
❤️🙏
वंदेमातरम् 🚩🚩
वन्दे मातरम्!
बहुत सुंदर गीत
Ji.. who is the gaayak? This voice has given a new dimension to the whole Geet... ☺☺
Om
Can you please mention how you removed noise from this audio.. Or if you don't mind can i use your audio please??
@geetgangarss
Жыл бұрын
हा जी, उपयोग कर सकते है ।
@knowledgehut3481
Жыл бұрын
@@geetgangarss धन्यवाद जी।