सावधानी से चाहना, क्योंकि जिसे चाहोगे वैसे ही हो जाओगे || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)
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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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वीडियो जानकारी: शब्दयोग सत्संग, 14.09.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, भारत
प्रसंग:
यान्ति देवव्रता देवान्पितृन्यान्ति पितृव्रताः ।
भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम् ॥9.25॥
भावार्थ : देवताओं को पूजने वाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजने वाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करने वाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं। इसीलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता ॥25॥
~ हम अपनी चाह कैसे बन जाते हैं?
~ हमारी चाह हमारा जीवन कैसे निर्धारण कर देती है?
~ कृष्ण क्यों कह रहे हैं कि हम जिसे पूजेंगे, हम वैसे ही बन जाएँगे?
संगीत: मिलिंद दाते
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Пікірлер: 68
"To contact the Foundation:
आचार्य जी प्रणाम जीवन से जो मांगोगे वहीं मिलेगा माया चाहिए माया मिलेगी सत्य चाहिए कृष्ण मिलेंगे 🙏🙏🙏
आचार्य जी, हम लोग धन्य हैं जो आपको सुन पा रहे हैं। आप दयानंद सरस्वती के समान आधुनिक ऋषि अवतार हैं
Duniya andhavishwas me ji rahi hai 👌🙏🙏 bahut bahut dhanyawad aacharya ji 🙏🙏
श्री कृष्ण को साधना है बस उन्हीं को लक्ष्यबनाना हैमन मेंबसाना है❤❤❤❤
आचार्य जी आपकी बतोंसे गीता समज आती है आप तो ज्ञान का भंडार हो
मानवाकाश के महासूर्य
आचार्य जी , इन श्लोकों का इतने सरल और व्यवहारिक नवीन अर्थ सुन कर ऐसा लगता है जैसे कृष्ण ही सचमुच आपके मुख से बोल रहें हों।
अद्भुत, आचार्य जी का ज्ञान कमल खिलाने वाला होता है🙏🙏🙏🙏
आपके द्वारा सत्य का दर्शन आंखें खोल देता है
मनुष्य के रूप में साक्षात श्री कृष्ण है गुरुदेव शत् शत् नमन है गुरुदेव के श्री चरणों में 🙏🙏
Shat shat naman Acharya ji. You are BUDH .........kindly accept my deep respect and gratitude.
जय श्रीकृष्ण।भगवान मे सब भूत हैं। यह अध्याय परीक्षा के लीये आज कंठस्थ करना हैं। अध्याय 9 तथा 14 और 17 ।पुरे मिलके 9,12,14,15,16,17 यह 6 अध्याय एक महिने मे।
प्रणाम आचार्य जी। बहुत अच्छा लगता है जब आप गीता का अर्थ समझाते है।
सादर प्रेम
Pranam Acharya Ji
Naman Acharya Shri
Acharya jee sat sat Naman
साधुवाद साधुवाद साधुवाद। सच आचार्य जी आप का ज्ञान 👏👏👏👏 एक अफसोस जरूर होता है काश मेरे पिता और मामाजी जो इस दुनिया में वो मेरे काफी करीबी थे।आज होते तो आपको सुनकर उन्हें असमय मृत्यु का वरण नही करना पड़ता,आचार्य के श्री चरणों में शत शत नमन। 😊🙏🏻
Jai Ho guru dev aapki 🙏🙏🙏🙏