सारी सृष्टि भगवान ने बनाई है तो मोक्ष की क्या जरूरत | premanand ji maharaj
सारी सृष्टि भगवान ने बनाई है तो मोक्ष की क्या जरूरत | premanand ji maharaj
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दो बातें हैं-अज्ञान अौर ज्ञान,अज्ञान में "हम-हमार" है,ज्ञान में "तू-तोहार" है,अर्थात मात्र परमेश्वर अौर परमेश्वर का है | अज्ञानी अपनी करनी का जिम्मेदार है,वह कर्ता है तो भोक्ता भी है,अपने को "हम-हमार" के झमेले में ढाल रखा है | जब हम ने हमार का जिम्मेदारी ले रखा है तो तब उस के परिणाम को कौन झेलेगा ? हम को ही तो झेलना पडेगा | ज्ञान में जब हम रहेगा ही नहीं तब हमार भी नहीं रहेगा, हम-हमार तो परमात्मा में विलय हो चुका रहता है,हर्ता-कर्ता-भर्ता परमेंश्वर है,रहेगा | ज्ञानी का हम परमेश्वर में विलय होता है,वह न तो कर्ता ही है न तो भोक्ता ही है,वह देखता है सबकुछ का हर्ता-कर्ता-भर्ता परमेश्वर है | (भगवान सदानन्द जी महाराज)
Radha Vallabh Shri Harivansh Guru ji ke charanon mein sakshat dandvat pranam 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️❤️❤️❤️🌹🌹🌹🌹
राधे राधे राधे राधे जय श्री राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे जय श्री राधे कृष्णा जय श्री राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha
Jay shree radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe🙏🙏
Radha Radha
Baba ji mujhe apne pass bula Lo Baba ji mein bahut vyakul ho raha hun mujhe apne pass hi Rakhna
@user-pd2dy4cb3w
Ай бұрын
दो बातें हैं-अज्ञान अौर ज्ञान,अज्ञान में "हम-हमार" है,ज्ञान में "तू-तोहार" है,अर्थात मात्र परमेश्वर अौर परमेश्वर का है | अज्ञानी अपनी करनी का जिम्मेदार है,वह कर्ता है तो भोक्ता भी है,अपने को "हम-हमार" के झमेले में ढाल रखा है | जब हम ने हमार का जिम्मेदारी ले रखा है तो तब उस के परिणाम को कौन झेलेगा ? हम को ही तो झेलना पडेगा | ज्ञान में जब हम रहेगा ही नहीं तब हमार भी नहीं रहेगा, हम-हमार तो परमात्मा में विलय हो चुका रहता है,हर्ता-कर्ता-भर्ता परमेंश्वर है,रहेगा | ज्ञानी का हम परमेश्वर में विलय होता है,वह न तो कर्ता ही है न तो भोक्ता ही है,वह देखता है सबकुछ का हर्ता-कर्ता-भर्ता परमेश्वर है | (भगवान सदानन्द जी महाराज)
😂 दुनिया दो चीजों से बनी है सत्य और असत्य इसे दुनिया बोलते है सुख दुख दिन रात जीवन मृत्यु हानि लाभ मतलब की सब दो से बनी चीज दुनिया का हिस्सा है परंतु सब नश्वर है केवल जीव आत्मा और परमात्मा ये इस दुनिया के नही है सब भगवान का है परंतु सब में भगवान नही है सब शरीर मैं से युक्त है परंतु भगवान रुपी परमं मैं नहीं हो सकते क्युकी भगवान से बड़ा और बराबर कोई नही होता संसार भ्रमाण्ड में वो अकेला एकम में एक परमात्मा सब से अलग है युग में वो आता धरती पर गायन देने परंतु योगी जन साधना में आत्मा को ही परमात्मा समझ के उसी में उलझ जाते है क्यू क्युकी शस्त्र में सब है किंतु दृष्टि गायनी जन के पास भगवत कृपा से ज्ञान से मिलती है हर गुरु खुद को भगवान बना देता क्यू उसे उसके अलावा कुछ पता नही होता पर वो ये नहीं जानता के वो खुद अपने साथ दूसरो को भगवान से द्रोह करवा रहा है कैसे रावण राक्षस क्यू हुआ खुद को भगवान बनने से और ये जान सोचते भी नही की भगवान सब कैसे हो सकते है मूर्ख बन्नना समझना तब तक ही उचित है जब तक उधारण ना हो पर जब उधारन हो तब वो पागलपन कहलाता है क्युकी कुछ अपने विवेक से काम लो भगवान सब में हर चीज में मूर्ख भारतीय भगवान अपने परम धाम में रहता है जब युग परिवर्तन करना होता हैं तब वो आता है युग युग में ये मुनि साधु जन अपने ध्यान में लगे रहते है परंतु परंतु मजा कोन ले जाता है भगवान के यह भालू बंदर साबरी योगी जन लगे रहो मुक्ति दाता आता है ये खुद भगवानबाने लगे रहते है यू ही चलते जाते है बिना मुक्ति कोई स्वर्ग कोई नरक तो भ्रम लोक (जय प्रभु सदानंद जी)