Realisation - Reality at Dawn | साक्षात्कार - सत्य का उदय | Sahaj Marg | सहजमार्ग | Babuji Maharaj

ईश्वर, आत्मा तथा सृष्टि के रहस्य के संबंध में हम लगभग हर व्यक्ति को किसी न किसी रुप में चर्चा करते हुए सुनते रहते हैं। परन्तु, हमें ऐसा व्यक्ति कदाचित् खोजने पर भी न मिलेगा जिसने ईश्वर का साक्षात्कार, या कम से कम उसका परिचय ही प्राप्त कर लिया हो। यही कारण है कि विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों में निरन्तर झगड़ा होता रहता है। वे ईश्वर के बारे में बहुत बातें करते हैं किन्तु भीतर से किसी घोर अनीश्वरवादी से कम नहीं होते। वे बातों से तो ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करते हैं परन्तु हृदय से उसकी बिलकुल उपेक्षा करते हुए मालूम पड़ते हैं। उनके लिये ईश्वर की उपयोगिता केवल तभी होती है जब वे किसी दु:ख अथवा परेशानी में हों। ऐसे अवसरों पर वे यह आशा करते हैं कि उनके कष्टों को दूर करने के लिए वह उनकी पुकार सुनेगा। वे मुख्यत: अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही उसकी प्रार्थना करते हैं। यह दृष्टिकोण वास्तव में, सच्चे प्रेम एवं भक्ति के भाव से कोसों दूर है। सच्चा भक्त वही है जो ईश्वर से किसी सहायता अथवा सांसारिक लाभ के लिए नहीं, वरन् केवल प्रेम के लिये ही प्यार करता है। वह सदैव उसकी इच्छा के प्रति पूर्ण समर्पण की स्थिति में रहता है। अच्छा-बुरा, प्रिय-अप्रिय जो कुछ भी उसे मिलता है वह उसी में पूर्णत: सन्तुष्ट रहता है। उसके लिये हर्ष-विषाद सब निरर्थक हैं। उसके लिए सब कुछ उसके प्रियतम का वरदान है। ऐसी पूर्ण निर्भरता तथा बिना कोई सवाल किये हर स्थिति को स्वीकार कर लेना भक्ति की उच्चतम अवस्था है। पर, निर्भरता का यह अर्थ नहीं कि वह आलसी बना रहे, स्वयं कुछ न करे तथा सदा ईश्वर पर यह सोच कर भरोसा रखे कि ईश्वर यदि चाहेगा तो उसकी सारी आवश्यकताओं की पूर्ति कर देगा। ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं - यह एक साधारण कहावत है, जो अक्षरश: सत्य है। यदि हम इस लोक अथवा परलोक से संबंधित अपने उत्तरदायित्वों को निभाने का स्वयं प्रयत्न नहीं करते तो हम अपने पवित्र कर्तव्य से च्युत ( पतित ) हो जाते हैं। केवल एक ही बात ध्यान में रखने की है कि हम ईश्वर की इच्छानुसार कार्य करें। तथा जो कुछ भी परिणाम हो उससे सन्तुष्ट रहें। जब हम इस स्तर तक आ जायें तो समझ लें कि हम सही अर्थों में ईश्वर के सच्चे भक्त हैं और सत्य की ओर अग्रसर होने के लिए सही रास्ते पर हैं। सत्य की अनुभूति इंद्रियों द्वारा नहीं, हृदय की असल गहराईयों में ही की जा सकती है। अत: हमें, अपनी जीवनसमस्या सुलझाने के लिए इसमें गहराई तक जाना पड़ेगा।
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Пікірлер: 8

  • @pardeepsharma7146
    @pardeepsharma7146 Жыл бұрын

    🙏👍💐

  • @aryanpatel271
    @aryanpatel271 Жыл бұрын

    Jay shree Babu ji maharaj.

  • @drtnrao57
    @drtnrao572 ай бұрын

    Good video thanks.

  • @arundattatreya7325
    @arundattatreya73252 ай бұрын

    Thanks alot

  • @sanjeevkochar4646
    @sanjeevkochar4646 Жыл бұрын

    Explained beautifully

  • @jitendraarora5980
    @jitendraarora5980 Жыл бұрын

    Lucidly explained steps of reaching state of realisation. Thanks 🙏 brother.

  • @indravadanbhaipatel2434
    @indravadanbhaipatel24349 ай бұрын

    Where's books we can receive in Barada.

  • @SaintKasturi

    @SaintKasturi

    9 ай бұрын

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