पद सदगुरु आप न मिलते मुझे, मेरा जीवन नर्क में मत गुजरता। आप से नाम दीक्षा कांति ले, जीवन मेरा कृतार्थ हो गाय।। मैं था लोहा प्रभु जंग वाला, सदगुरु अभिलाष पारस मेरा। हुआ स्पर्श सत्संग में आप से, देह कंचन बना चेतन में ठहराया।। प्रभु की कलम ✍️ से.....!
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पद सदगुरु आप न मिलते मुझे, मेरा जीवन नर्क में मत गुजरता। आप से नाम दीक्षा कांति ले, जीवन मेरा कृतार्थ हो गाय।। मैं था लोहा प्रभु जंग वाला, सदगुरु अभिलाष पारस मेरा। हुआ स्पर्श सत्संग में आप से, देह कंचन बना चेतन में ठहराया।। प्रभु की कलम ✍️ से.....!