जय हो रावल देवता😢😢😢 जय हो अगवानी वीर लाटु 🙏🙏😢😢🥺🥺🙏🙏
@NbhandarijiАй бұрын
बहुत ही सुंदर आपने इतने से अच्छे से बताया सब कुछ. जय रावल देवता की जय हो🌹🌹
@sawanrawat0318 күн бұрын
*प्रभु राजा श्री रावल देवता जिनका प्राचीन मंदिर रावल जाड़ (गौचर अलकनंदा के निकट) तथा मूल मंदिर बिजराकोट गाँव में है* *बिजरकोट के पवार उनको अपना मूल पुरुष मानते है और ख़ुद को उनके वंशज बताते हैं बिजराकोट गाँव के अलावा पांच गाँव के रावल देवता के चल विग्रह है( क्वींठि , सारी, रावल nagar और रानो) उन्हीं पांच रावल को पंच कोटि रावल भी बोला जाता है* *पंवार वंश के ये देवता उस समय के बहुत शक्ति शाली राजा हुआ करते थे कहा जाता है कि कुमाऊँ मे झाली देवी ने रावल देवता को संकट के समय पुकारा था उस समय सेम्य वहा का महान शूरवीर सेनापति हुआ करता था तो राजा रावल झाली मा की पुकार सुनकर कुमाऊ पहुँच जाते है और झाली रानी को एक कंडी मे छिपकर गढ़वाल लाते है और फिर झाली को को उसके स्थान चुनने को बोलते है की तू पनायि के स्योरा मे रहेगी या सारी के डांग मे तो झाली सारी के डांग मे रहना पसंद करती है (सारी गौचर जो वर्तमान में झाली मठ के नाम से* *प्रशिद्ध है ) तो जैसे ही सेनापति सेम्य को पता चलता है कि राजा रावल झाली हरण कर चुका है तो वह* *गढ़वाल की और आ जाता वह रावल के पांव के निशान और ईधर उधर से पुछ कर गढ़वाल की ओर आता है तभी कर्णप्रयाग मे उमा देवी झाली का भेद बताती है* *और राजा रावल को जैसे ही पता चलता है की सेम्य आ चुका है तो रावल और उनके बीच कई दिनों तक युध चलता है सेम्या एक वीर योध्दा था उसे बहुत सिद्धिया प्राप्त थी परंतु राजा रावल भी प्रतापी शुरवीर राजा थे तो वह किसी तरह अपनी जाड से सेम्या को बांधकर रावल जाड मे बाँध देते है और इस तरह सेम्य हार जाता है और रावल जाड मे रावल देवता को पूजा जाने लगा*
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जय हो रावल देवता की
Jay ho rawal देवता
Nice information sister
जय हो रावल देवता😢😢😢 जय हो अगवानी वीर लाटु 🙏🙏😢😢🥺🥺🙏🙏
बहुत ही सुंदर आपने इतने से अच्छे से बताया सब कुछ. जय रावल देवता की जय हो🌹🌹
*प्रभु राजा श्री रावल देवता जिनका प्राचीन मंदिर रावल जाड़ (गौचर अलकनंदा के निकट) तथा मूल मंदिर बिजराकोट गाँव में है* *बिजरकोट के पवार उनको अपना मूल पुरुष मानते है और ख़ुद को उनके वंशज बताते हैं बिजराकोट गाँव के अलावा पांच गाँव के रावल देवता के चल विग्रह है( क्वींठि , सारी, रावल nagar और रानो) उन्हीं पांच रावल को पंच कोटि रावल भी बोला जाता है* *पंवार वंश के ये देवता उस समय के बहुत शक्ति शाली राजा हुआ करते थे कहा जाता है कि कुमाऊँ मे झाली देवी ने रावल देवता को संकट के समय पुकारा था उस समय सेम्य वहा का महान शूरवीर सेनापति हुआ करता था तो राजा रावल झाली मा की पुकार सुनकर कुमाऊ पहुँच जाते है और झाली रानी को एक कंडी मे छिपकर गढ़वाल लाते है और फिर झाली को को उसके स्थान चुनने को बोलते है की तू पनायि के स्योरा मे रहेगी या सारी के डांग मे तो झाली सारी के डांग मे रहना पसंद करती है (सारी गौचर जो वर्तमान में झाली मठ के नाम से* *प्रशिद्ध है ) तो जैसे ही सेनापति सेम्य को पता चलता है कि राजा रावल झाली हरण कर चुका है तो वह* *गढ़वाल की और आ जाता वह रावल के पांव के निशान और ईधर उधर से पुछ कर गढ़वाल की ओर आता है तभी कर्णप्रयाग मे उमा देवी झाली का भेद बताती है* *और राजा रावल को जैसे ही पता चलता है की सेम्य आ चुका है तो रावल और उनके बीच कई दिनों तक युध चलता है सेम्या एक वीर योध्दा था उसे बहुत सिद्धिया प्राप्त थी परंतु राजा रावल भी प्रतापी शुरवीर राजा थे तो वह किसी तरह अपनी जाड से सेम्या को बांधकर रावल जाड मे बाँध देते है और इस तरह सेम्य हार जाता है और रावल जाड मे रावल देवता को पूजा जाने लगा*