|| श्री डोम देवता गुठाण महाराज || जातर || हिमरी (Kotkhai) 01/05/2023

लोक कथाओं के अनुसार बहुत वर्ष पूर्व शूरा नाम का व्यक्ति था, जो रितेश रियासत के गांव शरा के रहने वाले थे। काफी वृद्ध अवस्था में भी उसकी कोई संतान नहीं थी । इसीलिए वह अपनी पत्नी के साथ कुमारसैन रियासत के हिमरी गांव मे बस गए जो की अब कोटखाई तहसील में आता है। संतान न होने के दुःख से दोनो ने माता हाटकोटी से एक संतान का
बर (वरदान) मांगा। जिसके पश्चात उनके घर एक तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ, जो बाद में डूम देवता से
प्रख्यात हुए। देवता साहिब को माता हाटकोटी का वरपुत्र कहा जाता है।दुर्भाग्यपूर्ण, जब बालक करीब 10 साल का हुआ, तो उसके माता-पिता चल बसे । इसके बाद बालक अकेले रहने लगा और दरकोटी के राणा के अधीन नौकर बन कर रहने लगा, जिसमें उन्हें गाय, भेड़-बकरियां चराने का काम दिया गया। इस काम में बालक को कभी भी खेलने का कोई समय नहीं मिलता था और बाल्यकाल खेलने का समय होता है।परन्तु वे चमत्कारी थे। उन्हे बाल्यकाल में अपनी शक्तियों का ज्यादा ज्ञान नहीं था, वे अपनी शक्तियों से सभी भेड़, बकरियों, गायों को शांत बिठा कर के स्वयं खेलते थे । कुछ समय से सभी भेड़, बकरियों, गायों कुछ भी नहीं खा रही थी, क्योंकि वे बालक की शक्तियों से स्तब्ध थी। इस कारण से उनकी दूध देने की क्षमता में भी कमी आ गई। जब राणा की पत्नी ने इस बात की पड़ताल की तो उसे ज्ञात हुआ कि, बालक ऐसा करता है। वह सभी पशुओं को बिठा कर स्वयं खेलता है। उसने राणा से कहा की, इस बालक को नौकरी से निकाल दो, उसके कारण ही ये सब हो रहा है। राणा ने छोटा बालक समझ कर रानी की बात टाल दी। एक दिन बालक ने रानी से खाना मांगा तो रानी ने उसे ताना मार कर कहा, "खाना तो ऐसे मांग रहा है जैसे तूने नंदू द्वाल का सर काट कर ला लिया हो" (उस समय के मशहूर खूंद टाहु थे और वहां के एक व्यक्ति नंदू द्वाल जिसकी दुश्मनी दरकोटी के राणा साहब के साथ थी), बालक ने ये बात मन में ठान ली कि वह अब इस काम को कर कर ही वापस लौटेगा ।वह बालक टाहु के लिए रवाना हो गया। टाहु पहुंचने पर वह पूछता है कि, नंदू द्वाल का घर कहां है, तो सबने उससे नंदू द्वाल का घर दिखाया। उनके घर में उनकी पत्नी थी तो बालक ने पूछा की नंदू द्वाल जी कहां है में उन्हें जानता हूं और उनसे मिलना चाहता हूँ। उनकी पत्नी ने बिना कुछ जाने जवाब दिया की वे लकड़ियां काटने जंगल गए है। बालक ने कहा की मैं उनसे वही जंगल में भेट करूंगा। जंगल में उन्हें जब नंदू द्वाल मिले तो बालक ने बड़ी चालाकी से कहा कि आप मुझे नही जानते, आपकी पत्नी मुझे जानती है, में उनका रिश्तेदार है तो नंदू द्वाल जी ने भी उनकी बात को मान लिया और दोनो तंबाकू पीने के लिए बैठ गए। बालक ने कहा आप पहले तंबाकू पीजिए उसके बाद मैं पी लूंगा। जैसे ही नंदू द्वाल तंबाकू पीने के लिए झुका, तो बालक ने बिना विलम्ब किए उसकी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया। इसके पश्चात वे उस सर को लेकर दरकोटि के राणा की सभा में उपस्थित हो गए। जिससे राणा और उसकी पत्नी अचंभित हो गए क्योंकि टाहु खूंद बहुत शक्तिशाली था। एक तरफ उनके मन में खुशी थी और दूसरी ओर एक डर, कि अब उन्हें अग्ली चुनौती के लिए भी तैयार रहना होगा। राणा की पत्नी ने प्रेम सद्भाव से बालक को बाड़ी घी का भोजन करवाया और बालक से कहा की तुम यहां से चले जाओ, टाहु से लोग तुम्हें ढूंढने आते ही होंगे। तो बालक हिमरी की ओर रवाना हुआ। धीरे-धीरे बालक बड़ा हुआ और एक शक्तिशाली पुरुष बन गया, जो एक माहिर धनोधर था।ऐसा माना जाता है जिस समय तुर्कों का राज हुआ करता था, उस समय (धनुष-बाण) में रुचि थी। वे दिल्ली गए। उन्होंने वहां काफी अच्छा प्रदर्शन किया और प्रतियोगिता में जीत प्राप्त की, उन्हें भेट स्वरूप दो बड़े सोने से भरे चरू दिए गए, महारानी ने उन्हे सोने की माला भेंट की और वे दिल्ली से वापिस हिमरी के लिए रवाना हुए। इधर रजाणा और कुमारसैन के बीच गृहकलेश के कारण दोनों में युद्ध छिड़ा था और रजाणा के राणा ने ड्रम देवता को अपने पक्ष से युद्ध करने के लिए कहा, वे मान गए और युद्ध के लिए चले गए। इससे कुमारसैन बार-बार पराजित होता रहा, जिससे वहां के राणा ने किसी लाह्या से पूछा की, हमारे यूं बार-बार युद्ध हार जाने का क्या कारण है? तो लामा ने बताया कि जब तक डूम देवता रजाणा की तरफ से युद्ध कर रहे है उन्हे हराना मुश्किल है, तुम्हे सबसे पहले उन्हें हराना होगा ।सभी देवता नाकाम रहे लेकिन अंत में डूम देवता आए और राजा को बोला की आप सभी देवता को अपने निवास स्थान भेज दें, वे खुद राजा का निवारण करेंगे। देवता ने बताया कि आपसे ब्राह्मण की हत्या हुई है, जिसके कारण आपकी कोई संतान नही हो रही है। आपको कुष्ट रोग हो गया है। देवता ने राजा को आश्वासन दिया की वे उनको ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त करेंगे, लेकिन उनको कुछ कार्य होंगे, जैसे कि, एक बहुत बड़ा खेत गायों को देना होगा, जहां वे शान्ति पूर्वक घास चर सकें और उनको वो पानी का तालाब देना होगा जहां ब्राह्मण की हत्या हुई थी। राजा ने सब कार्य सकुशतापूर्वक किया और समय पर वह रोगमुक्त हो गया। देवता ब्राह्मण को संतुष्ट कर दिया और कहा कि ब्राह्मण की पूजा भी मेरे साथ ही होगीदोष मुक्त हो कर राजा अति प्रसन्न हुआ। उसकी संतान भी हुई और राजा ने खुश हो कर कहा की मेरी जितनी भी रियासत है, वहां सबको आपकी जातर देना अनिवार्य होगा। जातर पहले उस समय लगाई जाती थी जब राजा के यहां कोई संतान होती थी, लेकिन कुछ समय बाद इसकी अवधि 20 साल कर दी, कि अब हर 20 वर्षों में जातर लगाना अनिवार्य है।

Пікірлер: 9

  • @savitrikashyap5780
    @savitrikashyap578016 күн бұрын

    🌹👏👏Jay ho doam deva नानुआ, sda jay ho jay jaykaar ho deva 👏👏🌹💐💐🇲🇰🇲🇰🇲🇰

  • @RameshVerma-ud3dz
    @RameshVerma-ud3dz4 күн бұрын

    Jai dom dauta gi

  • @divyachauhan48
    @divyachauhan48 Жыл бұрын

    Jai ho doom Devta g Maharaj....

  • @utkarshgaming8463
    @utkarshgaming8463 Жыл бұрын

    🙏❤️

  • @madhusurajta
    @madhusurajta Жыл бұрын

    🙏🙏🙏🙏🙏

  • @utkarshvlogs2734
    @utkarshvlogs2734 Жыл бұрын

    Jai ho doom nanu ki ❤️🙏🏻

  • @ishitadogra6026
    @ishitadogra6026 Жыл бұрын

    Jai doom nanu🙏

  • @parulkashyap8572
    @parulkashyap8572 Жыл бұрын

    Jai doom devta ji❤🙏

  • @PRIKSHITACHANDRA
    @PRIKSHITACHANDRA Жыл бұрын

    Jai hooo ❤️💓

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