श्री मांडवगढ़ तीर्थ શ્રી માંડવગઢ તીર્થ
श्री मांडवगढ तीर्थ :
विंध्याचल पर्वत पर एक उंचे शिखर पे आये हुए मांडव दुर्ग के विशाल कोट के अंदर ये तीर्थ आया है। ये मांडु के नाम से पहचाना चाहता है। ये अत्यंत प्राचीन तीर्थ स्थल होने से यहाँ प्राचीन कला के असंख्य अवशेषों देखने को मिलते है।
मूलनायक श्री सुपार्श्वनाथ भगवान श्वेत वर्ण 91.4 से.मी. की पद्मासनस्थ प्रतिमा बिराजमान है। ये प्रतिमा 14 वी सदी से प्राचीन है। एक समय पे यहाँ 700 जिनालय थे , 6 लाख से ज्यादा जैन लोग थे। नये आये हुए जैन साधर्मिक को सभी सधार्मिक घर से 1 सुवर्णमुद्रा और 1 वीट (brick) दि जाती थी । सधार्मिक भक्ति कैसी होगी ?
13 से 17 वी सदी में मांडवगढ में अनेक प्रभावशाली और प्रभावक श्रावक हुए है। मंत्री पेथडशाह , झांझणशाह , पूंजराज , मुंजराज , उपमंत्री , मंडन , गोपाल , संग्राम सोनी , दीवान जीवन , जावडशाह आदि सभी लोगोने अपनी अमूल्य संपत्ति का उपयोग करके अनेक मंदिरो बंधाये थे । बाहत से यात्रासंघ निकाले थे , ऐसे जैन धर्म की असीम प्रतिष्ठा बढाई थी।
पेथडशाह ने कई जिनालयो बंधाये थे , आचार्य धर्मघोषसूरि म.सा. के प्रवेश के समय नगरी को भव्य रीत से सजाया था। झांझनशाह का शत्रुंजय संघ , मंडन उपमंत्री के रचे हुए ग्रंथो , संग्राम सोनी ने सुवर्ण अक्षर से लिखाये हुए आगम , जावडशाह की उदारता और मंत्री पूंजराज , मुंजराज , गोपाल , दिवान जीवन के नाम - काम अमर है।
दूसरे प्राचीन शांतिनाथ , नूतन पार्श्वनाथ , शत्रुंजय , समेतशिखरजी , जंबुद्वीप रचनात्मक मंदिर है । भोयरे में नीलवर्ण पार्श्वनाथ प्रभु है। वो प्रतिमा 3000 वर्ष प्राचीन है। धर्मशाला - भोजनशाला है। ये तीर्थ इन्दोर से 90 कि. मी. , धारगाम से 33 कि. मी. पर है।
फोन नंबर - 98269 50260, 7312532615
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Avarniya, Adbhut, Prachin Tirth ke Darshan prapt hue,Namo Jinanam.
अति सुंदर जानकारी। नमोः जिनाणं जय जिनेन्द्र
नमो जीनानम्
Namo jinanam dada
🕉👏🏻👏🏻namo jinanam!! Thank you very much Bhai 🙏🏻🙏🏻
🙏🙏
Jj everybody!