Parbatta Vidhan Sabha | स्वास्थ्य व्यवस्था | सीधी बात Navin Kumar से
बिहार और खासकर परवत्ता विधानसभा क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बात रखते परवत्ता विधानसभा के संघर्षशील युवा भावी प्रत्याशी नवीन कुमार।
बहुत ही बुनियादी और मानवीय सवाल को लेकर सरकार की खोखली स्वास्थ्य व्यवस्था का जनहित के लिए जागृत और आंख खोलने वाला सच्चाई प्रकट करने के लिए हम जनता के तरफ से और अपनी तरफ से हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं आपके लक्ष्य के साथ है
बिहार के अस्पताल बंद से ही हो गए हैं, डॉक्टर ही नहीं हैं
बीबीसी के नीरज प्रियदर्शी रिपोर्ट बताती है कि बिहार में चिकित्सा की क्या हालत है। डॉक्टरों के स्वीकृत पदों में से 61 प्रतिशत ख़ाली है। ऐसा नहीं है कि बिहार की जनता को यह पता नहीं होगा। चुनाव के बाद भी वही हाल रहेगा। यही नहीं दूसरे राज्यों में भी कमोबेश यही हाल है।
आज कल आप देखते होंगे कि सरकारें अस्पतालों की इमारतों का उद्घाटन करती हैं। नए डिज़ाइन में होने के कारण वे बड़ी और भव्य भी लगती हैं। लेकिन किसी भी राज्य में ऐसे नए बने अस्पतालों का अध्ययन करेंगे तो पता चलेगा कि यह भी एक गोरखधंधा है। इमारत का उद्घाटन हो गया और अस्पताल के कई विभाग चालू ही नहीं हुए। वहाँ डॉक्टर और हेल्थ वर्कर नहीं हैं। सब ठेके पर रखे जाते हैं जिसे लेकर अलग तरह का घोटाला चलता है। दो दिन पहले यूपी में एंबुलेंस सेवा में काम करने वालों की हड़ताल हुई। उनका कहना था कि हमें 110000 वेतन पर दस्तख़त कराया जाता है लेकिन मिलता 6500 है। यह वेतन भी बहुत कम है लेकिन आपको यही समस्या राजस्थान और उत्तराखंड में भी मिलेगी। आप जितनी रिपोर्टिंग कर लें होना कुछ नहीं है।
जब सरकार स्वास्थ्य पर ख़र्च नहीं करती तो आप करते हैं। क़र्ज़ लेते हैं। तबाह होते हैं। नेता आइडिया लाता है। आपके लिए बीमा योजना का एलान करता है। वह बीमा की जगह अस्पतालों को संपूर्ण और सुचारू रूप से चालू करने का एलान नहीं करता है। बीमा से अस्पताल नहीं बन जाते और डॉक्टर नहीं आ जाते। जहां अस्पताल में डॉक्टर न हो वहाँ बीमा से इलाज हो जाएगा ? शायद राजनीति में हो जाता होगा।
- राज्य में चिकित्सा पदाधिकारी के कुल स्वीकृत पद 10609 हैं. जिसमें से 6437 पद रिक्त हैं।
- पटना मेडिकल कॉलेज में भी 40 फ़ीसद डॉक्टरों की कमी है. दरभंगा मेडिकल कॉलेज में भी 50 फ़ीसदी डॉक्टरों की कमी है।
बिहार सरकार ने विधानसभा में ही स्वीकार किया था कि कई ज़िलों के सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं है।
शायद लोगों को ही यह सब नहीं चाहिए। ऐसा नहीं है कि उन्हें पता नहीं है। जनता और नेता के बीच राजनीतिक संबंध अन्य चीजों से निर्धारित होते हैं। इन चीजों से नहीं।
इसी तरह का आवाज पूर्व की भांति शिक्षा स्वास्थ्य बिजली की समस्या सरकारी तंत्र की समस्या को लेकर आप उठाते रहे हैं वह काफी सराहनीय रहा है
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Пікірлер: 6
गुड
Navin bhaiya jindabad
@SanjeevSocialJustice
4 жыл бұрын
please share this video your friends and colleague .
Bilkul sahi bole
Naveen g ka Ghar kaha h
@SanjeevSocialJustice
4 жыл бұрын
Badi chak gogri SDO aawas ke samne