'ऑपरेशन लोटस ' तो बहाना है... !
Ойын-сауық
चंपई सोरेन के साथ गलत हुआ है ,ऐसा मानने वालों कि संख्या बढ़ती ही जा रहाई है। राजनीति से जिनका दूर-दूर तक लेना देना नहीँ है, वे भी कह रहे हैं कि चंपई दा तो सरकार बेहतर चला रहे थे। तो क्या यह चंपई सोरेन की लोकप्रियता थी जो हेमंत सोरेन को नागवार लगने लगा था । महज पाँच महीने के अल्प समय में चंपई सोरेन ने एक लंबी लकीर खींच दी है। राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि हेमंत सोरेन को उनके बढ़ते कद से डर लगने लगा था और यही वजह है कि आनन- फानन चंपई सोरेन से इस्तीफा लेकर हेमंत सोरेन को खुद सीएम की कुर्सी संभालनी पड़ी। चंपई सोरेन के प्रति लोगों में सहानुभूति भी है और आक्रोश भी। पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी लग रहा है कि तीन महीने कि तो बात थी। तो क्या
ऑपरेशन लोटस का शिगूफ़ा लोगों की सहानुभूति और आक्रोश को बायपास करने कि रणनीति का हिस्सा मात्र है ताकि हेमंत सोरेन छवि ठीक बनी रहे।
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बाबूलाल हटाओ चंपई लाओ
चंपई सोरेन को अलग पार्टी बनाकर झारखंड में चुनाव लड़ना चाहिए और झारखंड में अलग पार्टी बना कर चुनावान लार कर झारखंड का सेवाकरना चाहिए
चंपई सोरेण के हटने से भाजपाई बहुत परेशान है,और भाजपाई पत्रकार ये बताने वाले नहीं है कि चंपई सोरेण लोकसभा चुनाव में अपने विधानसभा से 20 हजार वोट से भाजपा से पिछड़ गई।
यह देश का प्रधानमंत्री बनने के लायक है उसको प्रधानमंत्री बनाओ
इसका काम का पूरा दुनिया वह वह कर रहाहै
champai soreng ko phir se mukhmantari banana hoga