पहाड़ों में स्वरोजगार करना यानिकि बहुत बड़ा रिस्क लेना।
पहाड़ों में स्वरोजगार करना यानिकि बहुत बड़ा रिस्क लेना।
Vlog # 113
21/04/2024
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मेरा इस वीडियो को बनाने का मकसद किसी भी व्यक्ति , समाज को ठेस पहुंचाना नहीं हैं इस वीडियो को बनाने का मकसद यही हैं कि जो भी भविष्य में स्वरोजगार करना चाहता हैं वो पहले छोटी स्तर से शुरु करे , पहले बड़ा रिस्क ना ले और अगर फिर भी किसी भी व्यक्ति को इस वीडियो से ठेस पहुंची हो तो में उसके लिए दिल से माफी चाहता हूं। 🙏
अंकल जी ने सबसे पहले तो होम वर्क नही किया आप कियुकी सर्विस क्लास से बिसनेस में आए है इसलिए आप को लगता है की लोग आप की सहायता करेंगे अपने काम में कोई बाहरी बंदा कियू आप की मदद करेगा क्या आप गांव में लोगो का घास काटने या खेती में मदद करने जाते है nhi कियूकी aap ko pta hai की ये उनका काम है इसलिए ये उनको ही करना है अंकल जी ने सारी mesine ले ली टैक्टर ले लिया लेकिन जानवरो के लिए घास की व्यवस्था nhi ki मेट की व्यवस्था की लेकिन काम करने वाले की व्यवस्था nhi ki । Home work कुछ नहीं किया आप को पता है की पहाड़ में घास काटने का काम लेडीज करती है जेंट्स नही तो आप घास काटने और गोवर निकलने के लिए जेंट्स कियू खोज रहे थे अंकल जी इतनी बेसिक नॉलेज भी आप को नही थी जो आदमी अपने घर में गोबर nhi nikalta घास नहीं कटता वो आप के यहां वो काम कियू करेगा आप को इतना भी pta nhi और आप व्यापार अपना कर रहे हो तो वो समाज सेवा कहा से हो गई । आप कह रहे हो की लोगो ने आप का साथ nhi दिया क्या आप सावर्जनिक कार्य कर रहे थे जो लोग सरमदान करने आ जाते गलती आप की और आप लोगो को दोषी ठहराया रहे है । और आप की एक गलती और है आप समझ रहे है की पहाड़ी वही खड़ा है जहा वो 50साल पहले था किसी से भी कुछ भी कर लो अब बहुत अंतर आ चुका है पहाड़ के पास पैसा भी आ चुका है ये भी sachai hai Jo aap नही जानते नही तो पहाड़ी लाखो नेपाली बिहारी से काम नहीं krwa रहा होता। आज सभी काम बाहरी इसीलिए कर रहे है क्युकी पहाड़ी के पास पैसा भी आ चुका है ये एक sachai है। और आप कह रहे है की लोगो ने रुकावट डाली इस तरह के लोग तो सभी जगह है दिल्ली में ज्यादा है तो ये कहना भी आप का glat hai । आप कह रहे है पंजाब बड़िया है कभी जा के देखा है आप ने वहा पर क्या हाल है sbse ज्यादा युवा vha नशा ग्रस्त है लोग खेत बेच कर विदेश पलायन कर चुके है और विदेश में छोटे मोटे काम कर रहे है फैक्टरी बंद हो चुकी है लोग धर्म बदल रहे है कुछ पैसे के लिए कुल मिला कर बर्बाद है और आप पंजाब पंजाब बोल रहे है काम से काम उदाहरण तो सही दीजिए । कुल मिला के आप इसलिए नुकसान में रहे क्युकी आप ने बिना सोचे समझे वो काम किया जिसकी आप को abcd bhi nhi aati थी आप ने कोई प्लानिग नही की होम वर्क नही किया इसलिए आप असफल रहे। अपनी गलती का ठीकरा पहाड़ी पर मत फोड़िए। पहाड़ी बहुत मेहनती है। और जो भाई अपना काम पहाड़ में करना चाहते है वो भाई जरूर कीजिए बस अंकल वाली गलती मत करो पहले प्लानिग रिसर्च home work करना बहुत जरूरी है। फिर कोई काम सुरु कीजिए । और ha koi bhi काम पहले काम पूजी से सुरु करे फिर जैसे जैसे प्रॉफिट होगा वैसे वैसे पूजी आगे लगाए। अंकल को देख कर डिमोटिवेट होने कोई जरूरत nhi है । आप समझदारी से अपना काम शुरू कर skte hai aur सफल हो सकते है जैसे हजारों अन्य पहाड़ी युवा अपना काम पहाड़ में कर रहे है और सफल है। जय पहाड़ जय पहाड़ी।
सही कहा गांव मे सब मकार बने है यहां बात पहाड़ी लोगो क़ी बुराई करने क़ी नहीं है बल्कि आज पहाड़ की सबसे बड़ी सच्चाई है
सही बात, पहाड़ के लोग न खुद कुछ करते हैं और न दूसरों को कुछ करने देते हैं। पहाड़ों की बर्बादी का मुख्य कारण यही ईर्षा-द्वेष है।
हम पहाड़ी ठहरे!
टांग 😢खिंचाई तो पहाड़ियों का पुराना शौक है, इसीलिए कामयाब नही है।
टांग खींचना वो भी पशुपालन में 😢कैसे गांव वाले है भाई मैं तो mp के गांव में रहता हु , गाय बच्चा दे तो पड़ोसी निकलने में मदद करते है 😂 हमारे यहां , कुछ लोग तो होते है पर इतने भी नहीं की , सिस्टम ही बर्बाद कर दे वो भी बुजुर्ग आदमी का ।
उत्तराखंड में अगर किसी के भी दिमाग में स्वरोजगार का कीड़ा फड़फड़ा रहा हो तो वो ही कार्य करना है जो की स्वयं किया जा सके और किसी भी अन्य व्यक्ति की जरूरत न पड़े अगर पड़े तो फिर उसके लिए शाम के समय एक हाफ बोतल का भी इंतजाम रोजमर्रा के खर्चे में जोड़ कर रखना चाहिए जिससे की उसका मन काम छोड़कर कहीं अन्य जाने का न हो मैं खुद भी इसी स्वरोजगार के रोग का मारा हूं और इनसे दोगुने से ज्यादा धन लगा कर आज भी बस परोपकारी जीवन जीने के लिए मजबूर हूं और वो परोपकार कब अंतिम संस्कार करवा दे और पीपलपानी के भात का न्योता बंटवा दे पता नहीं क्योंकि ये तो फिर भी रेलवे से रिटायर हैं कम से कम पेंशन तो मिलती होगी ।
🙏 सर जी, जो आपने गौशाला बनाई है इसमें आप थोड़ी मात्रा में मुर्गीपालन करें! किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत ना पड़े! आपने जो गौशाला में पैसे लगाए हैं उसकी देखभाल भी होती रहेगी! और आपका पहाड़ में रहना भी बना रहेगा! हार नहीं माननी है!
सही कह रहे हो भाई अब उत्तराखंड में कुछ नही रह गया है। अपने ही लोग टांग खीचते है । कोई काम करने वाला नही मिलता । सब ऐसे ही है । ।
सबसे बड़ा कारण यहाँ सब को फ्री राशन माननीय मोदी जी उत्तराखंड की ओर विशेष ध्यान दीजिये यहाँ बुद्धिजीवी, कर्मजीवी को आगे नहीं बढ़ने देते बहुत दुःख
बिल्कुल सही कहा ताऊ आपने सरकार ने लोगों को निकम्मा बना दिया
आपका स्वरोजगार की योजना काफी सराहनीय है। परन्तु पहाड़ पर आपको मेहनत करने वाले लोग नहीं मिल सकते।यही डेयरी फार्म हल्द्वानी में आपने बनाया होता।आपको कोई भी समस्या नहीं आती।बहुत अच्छा रोजगार चलने के साथ साथ काफी लोगों को रोजगार मिल गया होता।इस प्रकार के रोजगार के लिए पहाड़ी युवक काम नहीं करता।उसे आरामदायक काम करने की आदतें है।हमारी सरकारों ने मुफ्त राशन देकर गावों में खेती बाड़ी सब बंद कर दिया है।बंदरों को जंगलों में कुछ मिलता नहीं वे सब गावों में नुकसान करने आते हैं।इन सब समस्याओं में हम सभी लोग जिम्मेदार है 💥🌸
भाई साहब आप की सोच बहुत अच्छी है, इस क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य है कि तरक्की करना ही नहीं चाहते, आप के सोच को आगे बढ़ाना अच्छे लोगों का काम है, आप को प्रणाम
मैं मुनस्यारी से हूँ
सिर्फ पेसो से भी काम नहीं किया जा सकता और एक बार एक साथ इतनी गाय भैंस शुरुआत में नहीं लेनी चाहिए एक एक करके लेनी चाहिए थी बहुत दुःख हुआ आपकी बात से
अंकल जी आपकी हिम्मत को नमस्कार, मेरी एक सलाह हैं आपके लिए आप इस साल थोडे समय के लिए आराम कीजिए और उसके बाद दुबारा से शुरुआत कीजिए भगवान जरूर आपकों सही रास्ता दिखाएगा 🙏
कुछ गांव वालो की सोच है जो गांव छोड़कर चले गए, वापस आकर ना बसे ! तभी आकर बाहरी प्रदेश के लोग उत्तराखंड में बस रहे हैं!
ऐसा ही कुछ हमारे दोस्त के साथ हुआ जब उसने कड़कनाथ मुर्गा पालन किया ,स्वरोजगार कहना और करना पहाड़ में बड़ा मुस्किल है
रिवर्स पलायन का नारा देने वालों के लिए यह उत्तराखण्ड की कड़वी सच्चाई समझकर सही समाधान देना चाहिए