नित्य सत्संग - रसवर्षा:श्री राधा महिमा part19|श्री स्वयं प्रकाश गिरी जी महाराज|

सभी श्रोताओं को सूचित किया जाता है कि पूज्य श्री 1008 स्वयम् प्रकाश गिरी जी महाराज का नित्य सत्संग प्रारंभ हो गया है । आज के सत्संग में हम श्री राधा महिमा का वाचन करेंगे, जो रसवर्षा के पृष्ठ 33-34 से होगा। इसका पीडीएफ भी उपलब्ध कराया जाएगा।
आज के पाठ का अंश:
धन्य करहु बरसाना ग्रामहिं । कृपा वारि बरसहु ब्रजधामहिं ॥ श्री दामा शंखचूड़ असुर बनि । शिव त्रिशूल सों पावै गतिपुनि ॥ पैं श्री राधा अति अकुलानी । नयन नीर तुब दर्शन बिन कैसे जीवौं । बिरह ताप हिय कम्प समानी ॥ तपि आँसुन पीवौं || हे प्रियतम ! मोहि कहि समझाऊ। पलक ओट नहिं हौं कर पाऊँ ||
निरखि बिरह व्याकुल अति, बोले आनन्द कन्द । हौं पुनि आइ प्रगटिहौं, लोग कहहिं ब्रजचन्द ।।१२।।ब्रज मण्डल भेंट पुनि होई । नित नूतन लीला रसगोई ।। अधिकारी सो देखन पावें। जग विमूद नरनहिं लखि पावें ।।
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रस्वाशा: श्री राधा महिमा की pdf:
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