मलाणावासी किन्नौरी या यूनानी ll| किन्नौर से या यूनानी हैं मलाणी
मलाणा के लोग किन्नौर से हैं या सिकंदर के वंशज| किन्नौर से या यूनानी हैं मलाणावासी
मलाणा के लोग किन्नौर के हैं या सिकंदर के सिपाही?
पश्चिमी हिमालय में अवस्थित हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले का एक दूरस्थ गांव है मलाणा। इसे प्राचीन गणतंत्र भी कहा जाता है। यह गांव ज़िला मुख्यालय कुल्लू से पार्वती घाटी के जरी होकर ३५ किलोमीटर और नग्गर, रूमसू, चंद्रखणी होकर लगभग चालीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुल्लू के अन्य गांवों के देवता जब मलाणा आते हैं तो वे छलाल और रशोल गांव होकर ही इस गांव को आते हैं। इस गांव की देव परंपरा, रिति रिवाज कुल्लू एवम देश के अन्य गांवों से भिन्न हैं।
इस गांव में ३६५ परिवार रहते हैं। जिसकी आबादी लगभग २००० है। गांव दो भागों में बंटा हुआ है। एक धारा बेहड़ और दूसरी सौरा बेहड । मुहल्ले को ही बेहड कहा जाता है। दोनों मुहल्लों में चार चुघ थमयानी, नगवाणी, दुरानी और पलचानी हैं।
मेहमान की रक्षा करना और उनके रहने और भोजन की व्यवस्था जिस अपने पन से मलाणा के लोग करते हैं, शायद ही दुनियां में उस आत्मीयता से करते होंगे। एक समय था कि हत्या करने वाला अपराधी भी अगर इस गांव में देवता जमलु की शरण में आता था तो ये उसकी पूरी सुरक्षा करते थे। देवता के भण्डार से ही उसके रहने और भोजन की व्यवस्था की जाती थी।
यद्यपि आज इस गांव में भी बदलाव आने आरंभ हों गए हैं, फिर भी लोगों ने अपनी लोक संस्कृति और देवपरंपरा को जस का तस कायम रखा हुआ है।
यहां के देवता का नाम जमलु है। देवता जमलू ही इनके लिए सर्वोपरी है। इसके आदेश पर ही ये सभी काम करते हैं। देवता जमलू के अधीन ही गांव के प्रशासन की व्यवस्था चलती है। यद्यपि यहां के विकास हेतु पंचायती राज व्यवस्था काम कर रही है, फिर भी देव परंपरा और सामाजिक कार्यों का निर्वहन प्राचीन काल से चली आ रही संसद प्रणाली के अनुसार ही चलता है। जो भारत की संसद की तरह राज्य सभा और लोकसभा की तरह काम करती है।
राज्य सभा को यहां ज्येष्टांग कहते हैं। इसमें ग्यारह सद्स्य होते हैं। जिसमें पुजारी, कारदार और गुर स्थाई सद्स्य होते हैं, जबकि शेष आठ सदस्य पांच वर्ष के लिए चार चुघों अर्थात वार्डों से चुने जाते हैं।
लोकसभा को यहां कनिष्टांग या कोर सभा कहा जाता है। इस में प्रत्येक परिवार का प्रमुख सदस्य होता है।
गांव के बीचों बीच एक चबूतरा बना है, यहीं पर संसद की बैठकें होती हैं। ऊपर के चबूतरे पर ज्येष्टांग के सदस्य और सामने इसके नीचे कनिष्टांग के सद्स्य बैठते हैं। बैठक करने को ये हारका कहते हैं। हारका में ही सभी निर्णय लिए जाते हैं। यदि किसी विषय पर कनिष्टांग और ज्येष्टांग में सहमति नहीं बनती, तो उस स्थिती में देवता जमलू के पास प्रार्थना की जाती है। उसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट की तरह अंतिम और सभी को स्वीकार होता है।
डिस्ट्रिक्ट गजेटियर ऑफ कुल्लू में ए पी एफ हारकूट जो १९२० के आसपास कुल्लू में सहायक कमिश्नर नियुक्त था, कि पुस्तक हिमालयन डिस्ट्रिक्ट ऑफ कुल्लू, लाहुल एंड स्पीति का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कुछ लोगों का समूह मैदानों से मलाणा आया था। लेकिन यह संभव नहीं लगता क्योंकि समुद्र तल से आठ हज़ार फुट की ऊंचाई पर जहां सर्दियों में चार से आठ फुट बर्फ पड़ती है और उस समय तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। मैदानों के वाशिंदों द्वारा ऐसी परिस्थिति में रहना असंभव तो नहीं, कठिन अवश्य है।
मलाणा के पुराने भंडार में लकड़ी पर कुछ लम्बे कोट और टोपी में पुरुषों की नक्काशी की हुई थी। हालांकि कुछ वर्ष पूर्व वह भंडार जल गया है। इसके स्थान पर नया भण्डार घर बनाया गया है। पूराने भंडार गृहमें बनी नक्काशी को देखकर कुछ शोधकर्ताओं ने इन्हें सिकंदर के भगोड़े सैनिक बताया हैं। पर सच तो यह है कि सिकंदर के थके हारे सिपाही रावी नदी को पार ही नही कर पाए थे। वे वहीं से वापिस अपने वतन लौट गए थे। यह भी संभव नहीं लगता कि रावी और ब्यास के बड़े भूभाग से होकर कुल्लु के एक दूर दराज के क्षैत्र में वे आए हों। इनकी शक्ल सूरत भी मैदानों और मंगोल से आए हुए लोगों से नहीं मिलती। और न ही भाषा।
मलाणा की बोली के आधार पर इन्हें किन्नौर से आया हुआ माना जा सकता हैं। क्योंकि इनकी बोली कनाशी है। जो किन्नौरी बोली की तरह इंडो बर्मन भाषा समूह से संबंध रखती है। एक से दस तक गिनती यहां हुबहू किन्नौरी की तरह ही प्रचलित है। एक अध्ययन से निष्कर्ष निकला है कि कनाशी बोली में सत्तर से अस्सी प्रतिशत शब्द किन्नौर की बोली से मिलते हैं। हालांकि ये कुल्लू वालों के साथ कुल्लूबी बोली भी सहजता से बोल लेते हैं।
समाज शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार जब कोई व्यक्ति या समूह एक स्थान से दूसरे स्थान में जाकर स्थाई रूप से रहने लगता है, तो वह वहां पर अपनी बोली, वेशभूषा, खानपान, रीति रिवाज को भी कुछ हद तक प्रचलन में रखता है।
अगर इस आधार पर मलाणा वासियों पर खोजबीन की जाए तो इनका नजदीकी संबंध किन्नौर से जुड़ता है। ये लोग किन्नौर के हैं। इनकी वेशभूषा भी किन्नौर तथा कुल्लू से मिलती है। पुरुषों द्वारा ऊनी कोट, ऊनी पायजामा, सफेद टोपी पहनी जाती है, जबकि महिलाएं सफेद रंग का ऊनी दोहडू, सिर पर सफेद रंग की टोपी पहनती हैं, दोहडू के अंदर ऊनी कुर्ती पहनती हैं। हालांकि कुल्लू के लोगों के साथ इनके उठने बैठने से महिलाएं विभिन्न रंगों की सूती कुर्ती पहनने लगी हैं और सफेद दोहडू के स्थान कुल्लुवी पट्टू पहन रही हैं।
मलाणा के घरों का वास्तु किन्नौर और कुल्लू से मिलता है। काठ कुनी शैली में बने मकान, मन्दिर एवं भण्डार किन्नौरी वास्तु की ओर संकेत करते हैं।
ये देवता जमलू को पूजते हैं। माना जाता है कि देवता जमलू लाहुल के देवता घेपंग और बर्शेनी के देवता जगथम के साथ स्पिती और हामटा दर्रे होकर यहां आए थे। आज भी स्पिती के हंसा गांव में जमलू देवता की मूर्ति स्थापित है। शायद ये कुछ समय वहां रुके होंगे। इस कारण भी यह कहा जा सकता है कि ये लोग स्पीति होकर किन्नौर से आए होंगे।
Пікірлер: 50
बहुत सही सूचना। सिकंदर वाला तर्क वामपंथी इतिहासकारों की देन है।
Love from kinnaur 💚
@ashishnegi4152
Ай бұрын
Oye ropa acho here....love to b kinnauri...
Very informative and fact based information 👍
#Nice❤❤
Thank you for giving us such information about Malana village
शानदार जानकारी दी। आसान भाषा में तथ्यों के साथ।
सराहनीय जानकारी के लिये आपका धन्यवाद🙏🏻✨
Correct and Research based information about Malana.
@hirasinghnegi7648
Ай бұрын
लेकिन इनकी शक्ल किन्नौर के लोगो से एकदम विपरीत है तथा रीति रिवाज भी नहीं मिलता।यह थ्योरी गले से नीचे नहीं उतर रही।
@lalitthakur8124
Ай бұрын
@@hirasinghnegi7648 Indo Tibet jati Bhot se sambandh rakhte hai sir Malani
शानदार जानकारी के लिए हार्दिक 🎊 🎊 🎊 🎊 🎊 बधाई ❤️ ❤️ एवं शुभकामनाएं जी 🙏 🙏 🙏 🙏
Sahi kaha aap ne en ke Bhasha kafi had tak kinnaur se milti hai.jese ki Ghee ko mar, phool ko oo, pathar ko pan, barf ko pom bola.
Very Nice Information Sir Ji
Language to little bit lahoul ke pattan valley se b milta hai ...
❤
❤❤❤
Nice 👍👍👍👍
मलाना के लोग चंगेज खां से संबध रखते हैं lahol में कुछ लोग हैं और jhansker के लोग भी kiyon की उन सभ की भाषा मिलती जुलती है
Come in Dodra kewar Mala na ke traditional culture and wooden house and totally culture equal dodra kewar and Mala na same
@himalayadharohar
Ай бұрын
Yes I have visited dodra kwar in july २००५.,now I will visit again,.
@wangpa035
29 күн бұрын
Yes100% shi baat
Me bhi kinnaur se hu. Ek baar Jana to padega
Jamlu devta maha Rishi jamdagni hai.
@JaiSingh-wv5gl
28 күн бұрын
जमलू और राजा घेपन दोनोभाई भाई हैं राजा घेपनबाड़ा भाई है जो12साल बाद छोटे भाई को मिलने mallana jata hai
These are desecendent of sparta khash caucasians
Topi b tedi kinnauro ki trh pehn re
मंगोल...? कुछ भी! निस्संदेह मालानी लोग किन्नौरी लोग हैं। उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा किन्नौरी या कनाशी से यह साबित होता है कि वे किन्नौरा या किन्नर हैं। किन्नौरी भाषा का इतिहास हमें बताता है कि यह भाषा न केवल प्राचीन भारत, तिब्बत, बल्कि मेसोपोटामिया, ग्रीस और मिस्र में भी बोली जाती थी।
@himalayadharohar
Ай бұрын
धन्यवाद ज्ञानवर्धन के लिए
@videopedia520
Ай бұрын
tibbet language family ki language h , entire himalayas range me jitne bhi bhotiya tribes h + north east ki language aur Myanmar kianguage sab ek language family ki h
Kuch bhi news mt felao
@ashokknegi2269
Ай бұрын
right information
@mountainfarmer4632
Ай бұрын
@@ashokknegi2269 wrong info
Ye local hai Malana se hi
@h.s.negiculturalheritageof2120
Ай бұрын
मलाणा के निवासी निस्संदेह मलाणा गांव के ही हैं। वे विश्व की प्राचीन भाषा समूह बोलते हैं।
Indo mangol hai malanis jo ki Tibet ke prachin dharma bon po se sambandh rakhte hai
@kainthlan3702
Ай бұрын
Are ye same religion or culture pure mahasu state mai hai Shimla kullu sirmour kinnaur jaunsar bawar koi alag ni hai normal himachali culture hai
@kainthlan3702
Ай бұрын
Ye log khash hai jo Inka culture mandiro ka architecture or religioun mai saaf saaf dikhta hai
@lalitthakur8124
Ай бұрын
@@kainthlan3702 Khash badi sankhya mei Pahadi ilake mei hai but Malani people Bhot jati ke hai jo ki Sapiti hokar Tibet se aaye hai mei Parvati valley se hu or badi bariki se inhe dheka hai inke culture devta Jamlu ko dheka hai jinhe Aaj log Jamdagni samj bethe hai
@lalitthakur8124
Ай бұрын
@@kainthlan3702 bohat phle Malana mei kinnor ke shyd do log aaye the jinhone jamlu ko apna devta mana,muje to lagta hai kinnori bhi bhot Tibet se sambandh rakhte hai ! Sach kisi ko nhi pta sirf itihas ke gehraiyo mei chip gya hai jo ki ek Shodh ka Vishay hai
@kainthlan3702
Ай бұрын
@@lalitthakur8124 kinnaur ka Tibet se bas share hota hai halka sa culture or language jaise har bordering areas mai hota hai baaki unka ne devniti khash culture he hai sirf bhasha ka farq hai