महाकाली मंत्र साधना | सर्वप्रथम मंत्र सिद्ध महाकाली साधना

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महाकाली मंत्र साधना | सर्वप्रथम मंत्र सिद्ध महाकाली साधना
काली Maha Kali Tantra मंत्र
काली मां दुर्गा का ही एक स्वरुप है। मां दुर्गा के इस महाकाली स्वरुप को देवी के सभी रुपों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। दसमहाविद्याओं में काली का पहला स्थान माना जाता है। दुष्ट, अभिमानी राक्षसों के संहार के Oलिए मां काली को जाना जाता है। अक्सर काली की साधना सन्यासी या तांत्रिक करते ही करते हैं लेकिन मां काली के कुछ मंत्र ऐसे भी हैं जिनका जाप कर कोई भी साधक अपने जीवन के संकटों को दूर कर सकता है।
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महाविद्या महाकाली साधना आप नवरात्रि के दिनों में भी कर सकते हैं ओर किसी शुभ मुहूर्त में भी कर सकते हैं ! महाविद्या महाकाली साधना रात में 9 बजे या उसके बाद की जाने वाली साधना हैं !
महाविद्या महाकाली साधना करने वाले साधक को स्नान करके शुद्ध काले वस्त्र धारण करके किसी काली मंदिर या अपने घर में किसी एकान्त स्थान या पूजा कक्ष में दक्षिण दिशा की तरफ़ मुख करके काले आसन पर बैठ जाए ! उसके बाद अपने सामने चौकी रखकर उस पर काला रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर प्लेट स्थापित कर उस प्लेट में रोली या काजल से त्रिकोण बनाये उस पर मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त “महाकाली यंत्र ” को स्थापित करें ! महाकाली यंत्र के सामने शुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाये और मन्त्र विधान अनुसार संकल्प आदि कर सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग करे :
ॐ अस्य श्री दक्षिण कालिका मन्त्रस्य भैरव ऋषि रुष्णि दक्षिण कालिका देवता ह्रीं बीजं हूं शक्ति: क्रीं कीलकं ममा भीष्टसिद्धयर्थे जपे विनियोग:।ऋष्यादि न्यास : बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए अपने भिन्न भिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है ! मंत्र :
भैरवऋषये नम: शिरसि ( सर को स्पर्श करें )
उष्णिक् छन्दसे नम: मुखे ( मुख को स्पर्श करें )
दक्षिणकालिकादेवतायै नम: ह्रदये ( ह्रदय को स्पर्श करें )
ह्रीं बीजाय नमो गुहे ( गुप्तांग को स्पर्श करें )
हूं शक्तये नम: पादयोः ( पैरों को स्पर्श करें )
क्रीं कीलकाय नम: नाभौ ( नाभि को स्पर्श करें )
विनियोगाय नम: सर्वांगे ( पूरे शरीर को स्पर्श करें )
कर न्यास :
अपने दोनों हाथों के अंगूठे से अपने हाथ की विभिन्न उंगलियों को स्पर्श करें, ऐसा करने से उंगलियों में चेतना प्राप्त होती है ।ॐ क्रां अंगुष्ठाभ्यां नम: ।
ॐ क्रीं तर्जनीभ्यां नम: ।
ॐ क्रूं मध्यमाभ्यां नम: ।
ॐ क्रैं अनामिकाभ्यां नम: ।
ॐ क्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नम: ।
ॐ क्र: करतलकरपृष्ठाभ्यां नम: ।
ह्रदयादि न्यास :
पुन: बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से नीचे दिए गये निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करते हुए ऐसी भावना मन में रखें कि वे सभी अंग तेजस्वी और पवित्र होते जा रहे हैं ! ऐसा करने से आपके अंग शक्तिशाली बनेंगे और आपमें चेतना प्राप्त होती है !
मंत्र :
ॐ क्रां ह्रदयाय नम: ( ह्रदय को स्पर्श करें )
ॐ क्रीं शिरसे स्वाहा ( सिर को स्पर्श करें )
ॐ क्रूँ शिखायै वषट् ( शिखा को स्पर्श करें )
ॐ क्रैं कवचाय हुम् ( दोनों कंधों को स्पर्श करें )
ॐ क्रौं नेत्रत्रयाय वौषट ( दोनों नेत्रों को स्पर्श करें )
ॐ क्र: अस्त्राय फट् ( सिर के ऊपर से ऊँगली घुमाकर चारों दिशाओं में चुटकी बजाएं )
ध्यान :
इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ भगवती महाकाली का ध्यान करके पूजन करें ! और धुप, दीप, चावल, पुष्प से महाविद्या महाकाली मन्त्र का जाप करें !
शवारुढ़ाम्महा भीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम् ।
चतुर्भुजां खड्ग मुण्डवरा भयकरां शिवाम् ।।
मुण्ड मालाधरान्देवी लोलजिह्वान्दिगम्बरां ।
एवं संचिन्तयेत्काली शमशानालयवासिनीम्।।
ऊपर दिया गया पूजन सम्पन्न करके सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित “रुद्राक्ष माला” की माला से नीचे दिए गये मंत्र की 23 माला 11 दिनों तक जप करें ! और मंत्र उच्चारण करने के बाद काली कवच का पाठ करें !
22 अक्षरी
श्री दक्षिण काली मंत्र
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
इस मंत्र के जरिये दक्षिण काली का आह्वान किया जाता है। शत्रुओं के विनाश के लिए साधक इस मंत्र के जरिये मां काली की साधना करते हैं व सिद्धि प्राप्त करते हैं। तंत्र विद्या में मां काली की साधना के लिए यह मंत्र काफी लोकप्रिय है। इस मंत्र का तात्पर्य है अर्थ है कि परमेश्वरी स्वरुप जगत जननी महाकाली महामाया मां मेरे दुखों को दूर करें। शत्रुओं का नाश कर मां अज्ञानता का अंधकार मिटाकर ज्ञान का प्रकाश हो। वैसे भी मां काली ज्ञान, मोक्ष तथा शत्रु नाश करने की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी कृपा से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं
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