No video
मातृ-मंदिर का समर्पित दीप मै चाह मेरी यह की मै जलता रहूँ ॥धृ॥ कर्म पथ पर मुस्कराऊँ सर्वदा आपदाओं को
मातृ-मंदिर का समर्पित दीप मै
चाह मेरी यह की मै जलता रहूँ ॥धृ॥
कर्म पथ पर मुस्कराऊँ सर्वदा
आपदाओं को समझ वरदान मैं
जग सुने झूमे सदा अनुराग मे
उल्लसित हो नित्य गाऊँ गान मैं
चीर तम-दल अज्ञता निज तेज से
बन अजय निश्शंक मै चलता रहूँ ॥१॥
सुमन बनकर सज उठे जयमाल में
राह में जितने मिले वे शूल भी
धन्य यदि मै जिन्दगी की राह में
कर सके अभिषेक मेरा धूल भी
क्योंकि मेरी देह मिट्टि से बनी है
क्यों न उसके प्रेम में पलता रहूं ॥२॥
मै जलूँ इतना कि सारे विश्व में
प्रेम का पावन अमर प्रकाश हो
मेदिनी यह मोद से विहँसे मधुर
गर्व से उत्फुल्ल वह आकाश हो
प्यार का संदेश दे अन्तिम किरण
मैं भले अपनत्व को छलता रहूं ॥३॥
मातृ-मन्दिर का अकिंचन दीप मै
चाह मेरी यह कि मै जलता रहूं
Пікірлер: 17
भारत माता की जय
राष्ट्र सेवा के इस हवन मे तन मन धन स्वाहा है......
गीत लिखते समय भी समर्पण की भावना से ही लिखा है... इतना हृदयद्रावक वर्णन किया है ... बोहोत सुंदर
❤❤jai hind
जय हो
Bhaarat Mata Ki Jai
Vandematram
🙏🙏🙏
इतनी सुन्दर भावना ।मातृभूमि के प्रति समर्पण 🙏 रचनाकार की लेखनी को सादर नमन🙏गायक ने हृदय उड़ेल दिया स्वर देकर🙏
🚩🚩🙏🙏
🔥💯🙌
जय हिंद
❤️❤️
Bhaisahab bahut sunder. कृपया Iska instrumental mil sakta hai
@mail2pankajbuhana
Жыл бұрын
मेरे पास नही है
भारत माता की जय
@RakeshSharma-ft1qy
3 жыл бұрын
भारत माता की जय