कुंडली के अष्टम भाव में राहु के सटीक फल- आचार्य वासुदेव

वैदिक ज्योतिष में कुंडली के अष्टम भाव का महत्व- वैदिक ज्योतिष में कालपुरुष पत्रिका से अष्टम भाव में वृश्चिक राशि का उदय होता है जो एक बिच्छु के आकार को दर्शाती है। अष्टम भाव का स्वामी ग्रह मंगल होता है जिसका अर्थ है उन्माद पैदा करना। इस भाव के कारक ग्रह प्लूटो और शनि देव है। इस भाव का पनफर भाव और उत्पात का स्थान भी कहा जाता है। यह एक जलीय राशि है और जीवन के अंत को मृत्यु के कारण और समाप्ति को भी दिखाती है। इस भाव से हम उत्थान और पुनर्जन्म भी देखतें है। इस भाव का अर्थ है अपने जीवन की जांच पड़ताल करना। इस भाव से हम जीवन के समस्त पहलुओं को और जीवन की पहेली को भी सुलझानें का काम करतें है। इस भाव से हम तंत्र, मंत्र, कुंडली जागरण, ज्योतिष विद्या और अघोरी विद्या भी देखतें है। इस भाव से हम जादू टोना और मुर्दों के विषय में जानकारी लेना या मृत व्यक्ति से संबंध जैसी विद्या भी देखी जाती है। इस भाव से हम आपके जीवन साथी का परिवार कुटुम्ब और जीवन साथी का कष्ट क्योकि यह आपके जीवन साथी का मारक भाव भी कहलाता है देखतें है। इस भाव से हम इंवेस्टिगटर्स, सीबीआई,
सीआईडी, जासूसी करने वाले लोग, डिटेक्टिव जैसे व्यवसाय को भी देखतें है जिनका यह भाव बलि हो वो लोग इन सेवाओं में होतें है। इस भाव से हम एक्सप्लोरर, बूचड़खाना, पोस्टमार्टम, मोर्चरी, अस्तपाल, विल डॉक्यूमेंटशन्स, जॉइंट वेंचर्स, विदेशी कम्पनी में काम करना, मनोगत विज्ञान दूसरों की संपत्ति और आपकी पैतृक संपत्ति भी इस भाव से देखी जाती जी। यह भाव मृत्यु और उसके कारण को दर्शाता है। इस भाव से हम आयु का विचार, शुरुआत, अंत, जीवनचक्र, संभोग सुख जिसमें जीवन और मृत्यु के समस्त पहलूँ देखें जातें है। अपमान, रुकावटें, दुःख, कर्जा, खोना, मानसिक विकार, देरी होना, दुर्घटनाओं का विचार, चोट लगना, लंबी बीमारी, असाध्य रोग, सरकार से दंड मिलना, उपहार, छुपी हुई सम्पति, लॉटरी, बीमा की रकम, इस भाव में यदि राहु हो तो यह आपको विरासत में मिलने वाली सम्पति दर्शाता हैं। राहु इस भाव में जीवनसाथी से वित्त सहायता और वित्त में बढ़ोतरी भी दिखाता है। इस भाव में जातक को बहुत विन्रम रहना आवश्यक होता है।
आचार्य वासुदेव
ज्योतिषाचार्य, हस्तरेखा विशेषज्ञ
फोन नंबर- 9560208439,9870146909

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