किसकी जमीन पर बसी है मुंबई [Walk the city - Discover local adventures in Mumbai]
मुंबई कभी कोली मछुआरों और वारली जनजाति का घऱ हुआ करती थी. उन्हीं की जमीन पर इस शहर को बसाया गया. बीते सालों में अंधाधुंध विकास और प्रकृति के दोहन ने आज यहां के मूल बाशिंदों को ही खतरे में डाल दिया है. शहर का प्रशासन अब उन्हें जंगलों से बाहर निकालने की ताक में हैं. एक संगठन मुंबई के नए पुराने बाशिंदों को मिलाने की कोशिश कर रहा है.
#DWHindi #EcoIndia
आपको वीडियो पसंद आया तो हमें सब्सक्राइब करना मत भूलिए. ऐसे ही और दिलचस्प वीडियो देखने के लिए यहां भी आएं..
Facebook: / dw.hindi
Twitter: / dw_hindi
Homepage: www.dw.com/hindi
Пікірлер: 625
हम आदिवासी प्रकृति पूजक है,विकास के नाम पे आदि अनादि काल से रह रहे हमारी अपनी जमीनों से उखाड़ा गया है,याद रखे वो दिन दूर नही की प्रकृति का रौद्र स्वरूप आप जल्द ही देखे गे..
मैं भी आदिवासी हु ये देश हमारा
बॉलीवूड से अलग मुंबई की reailty दिखानेके लिये धन्यवाद जो पुराणे गाव है मुंबई मे wo भी दिखाये, गावठाण बोलते है उस्को,
ये मुम्बा देवी कि जमीन हे .
जब जब प्रगति से खेलोगे उसको बर्बाद करोगे ,,, तब तब महामारी आएगी ।।।।जैसे अभी कारोना,,आया किसी ना किसी रूप लेके ,,,,प्रगति का संदेश अभी भी सुधर जाओ वरना पीने का पानी और हवा भी लेना मुश्किल होगा आने वाले टाइम पर
DW का धन्यवाद ये छुपी हुई जानकारी सामने लाने के लिए
आज लोग अपने को विकसित कहते हैं शहरी कहते है, बम्बई, दिल्ली, कलकत्ता, राजधानी, वाला कहते है, कहिए कोई दिक्कत नहीं परन्तु याद रखिए इस धरती धरती का मतलब धरती, इसके असली वारिस तो ये ही है आदि वासी, लेकिन हम दिखावे की जो शहरी जीवन जी रहे है वो सिर्फ एक भ्रम है, कहने को ही सब पढे लिखे बुद्धिमान है बस जबकी अपना अच्छा बुरा भला सोचने समझने की तो बुद्धि ही नहीं है ? आज भी धरती पर कहीं भी वहाँ के आदि वासी लोग किसी भी आडम्बर की इच्छा नहीं रखते, वो सिर्फ अपनी जल जंगल जमीन ही चाहते है वो प्रकृति की गोद में प्रकृति के नजदीक रहना चाहते है, हम उनको शांति से रहने भी नहीं दे सकते, ये झूठी दिखावे कि जिन्दगी, डायनासोर आदि जीवों कि तरह एक दिन धरती से इंसानों का समूल नाश कर देगी, ये तो तय है फिर इनके विकास का क्या होगा, हाँ ये है कि इनके साथ वो निर्दोष आदि वासी भी समाप्त हो जाएगे जिनका इस तबाही में कोई हाँथ भी नहीं था ?
Nice sir jo आप आदिवासी वारली समुदाय के बारे मै दिखा रहै हो ओ देखकर बहुत खुशी हुई ईने ईनका आधीकार दिलाने मै ईनकी मदत किजीये जय आदिवासी
Azad Bharat kiske liye azad hua? Indigines Bhartiyonki halat to ab bad se badtar ho gayi hai...company sarkar ka yani angrezonka raj to gaya lekin political companies aur industrial commercial companies to unhe madad ya defend karneke bajay aur zada barbad kar rahi hai..unki zamine chheen rahi hai..kua yahi tha swatantrya? Sochneki bat hai ..
वो लोग जो सदियों से प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए रहते आ रहे है, जिसके वो वास्तविक हकदार है सरकार उन्हें ही वहां से हटाकर वहां का प्राकृतिक क्षेत्र निजी कंपनियों को सौंप बर्बाद करना चाहती है बड़े दुख की बात है
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है आपने !
वारली समाज दिल का राजा है ।
किसी भी पेड़ को काटने का किस्सा ना होता
कंकरीट के ये बढ़ते जंगल जो इन खूबसूरत गांव के असली जंगल को रौंद कर आगे बढ़ रहे हैं सबसे ज्यादा महामारी की मार खा रहे हैं।
जोहार जय आदिवासी 🏹
Aagri koli💕
धन्यवाद आपको जो आपने वास्तविकता से हमे अवगत कराया ।।।
मायानगरी मुंबई सिर्फ पैसे, नाम और शोहरत वालो की है। हम जैसे मजबूर इंसानों के लिए नहीं।💥💥🔥🔥
ऐसी रिपोर्ट के लिए आपका धन्यवाद!
बहुत बढ़िया अच्छा काम किया नई सोच, नया भारत