आप द्वारा दी गई जानकारी अनुसरणीय व अनुकरणीय है. आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु बकरी व्यवसाय को अपनाया जाना चाहिए और आप से संपर्क में रहते हुए बकरियों का रखरखाव व दूध तथा अन्य सभी उत्पादों का समुचित उपयोग होना व्यक्ति और देश के हित में है
@superbareillyp.k74182 жыл бұрын
बहुत बढ़िया सर मोटिवेट करने के लिए
@ATJaved3 жыл бұрын
Wonderful,amazing,interesting and very useful video for farmar
@gazigoatfarm17643 жыл бұрын
बहुत ही बढ़िया जानकारी है डाक्टर साहब आप का बहुत सुकरिया
@qwertyqwerty36315 жыл бұрын
बहुत ही अच्छी जानकारी प्राप्त हैं
@mohanlalbhatnagar4 жыл бұрын
Thanks for nice information about goat forming
@qamaruddinkhan434 Жыл бұрын
Acchi jankare k liy bahut bahut shukriya
@WahidAli-ij4ug3 жыл бұрын
बहुत प्यारी जानकारी देयें हैं सर बहुत प्यारी विडियो है भाई आप की
@ksthakur83615 жыл бұрын
बहुत ही अच्छी जानकारी दी
@balwansingh66793 жыл бұрын
Jai shri Ram salut aapko sir bhagwan aapko hamesha sukhi rakhe bahut bdiya jankari di aap ne hme
@10-arunkumarkushwaha453 жыл бұрын
Good information by sir and anchor, thanks sir
@rawatassociates233 жыл бұрын
बहुत लाभकारी जानकारी, खासकर मेरे जैसे जिज्ञासु के लिए। कृपया बताएं कि को लोग उत्तराखंड में बकरियां पाल रहे हैं वो कोन सी ब्रीड है? क्या बकरियां जंगल में चुगाने के लिए ले जाना सही अभ्यास है?
@user-hr5ur4hu9r3 ай бұрын
Bahut. Achhi jankAri
@telegraphdts84553 жыл бұрын
Thank you Dr. Vijay for your message about goat farm
I m zaki,everyday show your programec see watchfully.your progrme fantastic & encrse my knowldge....thanks dd kisan
@shakeelbelgium47267 жыл бұрын
Thanks dr sir
@ankitratan66967 жыл бұрын
very good business
@bansharaj22633 жыл бұрын
Jay
@ramparkashramparkash56113 жыл бұрын
Good
@mohammadwaseek20956 жыл бұрын
बहुत खूब
@user-dc6tm2sz9u3 жыл бұрын
Thank you sir 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹❤️🙏
@g.nahmed9467
Жыл бұрын
Namaskar sir ji Sab se ziyada successful koun si zaath ki bakri success hain jis se ziyada kamai ho
@vishaldhote55664 жыл бұрын
Thanks sir
@ravichamoli67974 жыл бұрын
Bhaut Bhaut dhanybadh ji
@civilservicespreparationwi73947 жыл бұрын
Good initiative
@jackskhan9125 жыл бұрын
BARBARI COMMUNITY is no. 1
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
@hemramsyourhemaram29033 жыл бұрын
Jai jawan jai kisan
@haidarruksar2707 Жыл бұрын
Mashaallaah
@ferozshaikhhanif93884 жыл бұрын
Tanks Dr manoj for you informesan God Blees you 💐✌️😎
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
👍
@manojgourkar45847 жыл бұрын
बकरी पालन करने के तरीके और दवा देने के तरीके
@DeepakBagri-js7mx7 жыл бұрын
Nice
@satyavanbhute12213 жыл бұрын
👌👌👌
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
@AbdulRasheed-yz9yt4 жыл бұрын
🌹👍🌹👍🌹👍🌹👍
@yadavgoatfarmmurlipurkanpu74644 жыл бұрын
Good knowledge
@shahnawajalam29047 жыл бұрын
बहुत लाभकारी है ।
@Naeemkhan-jg7tw
7 жыл бұрын
shahnawaj alam
@raghunaththakur94033 жыл бұрын
ZaQ
@yogeshwarsingh67403 жыл бұрын
Very good
@mansooritourstravels70174 жыл бұрын
hello sir i am Abdul Haque Mansoori 2020 me Mathura CIRG me training kab start hogi bataein.
@bhupendrasinghpanwar6536
Жыл бұрын
Bhai muje Leni h training
@shravankumaryadav14463 жыл бұрын
जय किसान
@RakeshPal-mh1dk Жыл бұрын
Very good farm nice
@renubajpai53993 жыл бұрын
Thanks for info
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
@radiouttarakhand11 ай бұрын
very nice
@MonirulIslam-ci6ih5 ай бұрын
Good 🌷
@100xStock6 жыл бұрын
*Good information about Kheti badi*
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
Right
@monirulshekh66783 жыл бұрын
Monirul shekh
@murlimanohar98053 жыл бұрын
Nice video Sir
@ushajoria86303 жыл бұрын
Jaise humne barbari Leni ho Kitna rate hai ,,,
@jaspreetsingh-wb4ts4 жыл бұрын
Hi very good ji
@asdasd-dr4vf5 жыл бұрын
Nice video 😀😀😀😀😀😀
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
@sbhagabanreddy7094 Жыл бұрын
Very nice farm
@sanjaysolanki977213 жыл бұрын
God
@VinaySingh-iu8fv3 жыл бұрын
Trening kaise prapt Kare kya Karena panaga
@shakeelbelgium47267 жыл бұрын
Thanks dr
@asharamahirwar4923 жыл бұрын
सर मैं ललितपुर उत्तर प्रदेश से बिलोंग करता हूं सर जिला ललितपुर के आसपास कोई बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र है क्या
@JagdishPrasad-me2nw3 жыл бұрын
Thanks
@badripaul58774 жыл бұрын
5 बकरी पालन के लिये कितनी जगह चाहिए?
@simranraza22696 жыл бұрын
I love ti
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
👍
@krushnachandranayak92724 жыл бұрын
Nice video
@AshokGupta-nj5xb3 жыл бұрын
sir mai chhattisgarh se hun jashpur jila se kis nasal ki bakri palna chahiye or yaha koi prashikshan kendra hai kya
@dharmbirkumar41343 жыл бұрын
Good night
@AnilkumarYadav-zy1kd5 жыл бұрын
सबसे पहले सर मनोज कुमार को मेरा नमस्कार अनिल उत्तर प्रदेश में इटावा जिला से क्योंकि मैं बहुत ही जल्द आपके पास आना चाहता हूं क्योंकि मैं बकरी फार्म खोलने की पूरी तैयारी है फार्म मैंने बना लिया आपकी वीडियो देख जाके
@shaileshrawool2406
5 жыл бұрын
Hii
@shaileshrawool2406
5 жыл бұрын
Femel barbari 1 saal ki ky kimat hai itava me
@mohammadwaseek20956 жыл бұрын
nice VIDEO
@monikakumari-yc2gy
3 жыл бұрын
Pppppp
@mistarinijamudinweldar80546 жыл бұрын
Anusandhan save female Bakrid for Bakrid Samay kahan se prapt Honge
Sir mine bakri plan karna chahtha hu tu kon sa berid Lena chaye plz help
@haiderabbas33494 жыл бұрын
Khan par hai yai sanstha
@SamsungGalaxy-xk5df7 жыл бұрын
sir mene bhi goat farm shuru kiya hai mene desi nasl se shuru kiya hai kripya bataye ki kaise unka vajan badhaye aur unko khane me kya de aur nasl sudhar k liye kaun sa breed ka bakra chayan kre abhi me bakriyo ko khane k taur pr 6 ghante charata hu jungle me.
@SamsungGalaxy-xk5df
7 жыл бұрын
me ye batana bhul gaya me jabalpur m.p. se hu
@bhupendrasinghpanwar6536
Жыл бұрын
Bhai apna number sand kare
@WaseemAhmad-hy1fg3 жыл бұрын
Sir mujhe bakree paln ki tirenig lena he ye mathura me kis jageh pr he
@abdheshkumar18646 жыл бұрын
Kindly tell me shed area for 20 goat and cost of shed
@amitchandradas88446 жыл бұрын
nice
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
1
@rosehomestaysunargaonbages44747 жыл бұрын
Useful information , we are Goat Farming in State- Uttarakhand, District-Bageshwar, Village- Sunargaon(Kanda)willing Lab to land program for Advanced Goatery .
@prakashsinghprakash1640
4 жыл бұрын
Sir mei bhi Uttarakhand pouri grahwal se hu bakri farm karna chahta hu please help me give me your contact number
@lahsankumar24632 жыл бұрын
Aap svi KO pranam Got Farms chlane me halp jrur kre This si massage to Dr Manoj kumar
@gazigoatfarm17643 жыл бұрын
डाक्टर साहब मैं यूपी अम्बेडकर नगर अकबर पुर से हूं यहां बकरी का परसिछड कहां मिलेगा बकरी कहा मिलेगा बरबरी बकरी
@sachinkhobragade84483 жыл бұрын
Thank you
@sudhanshusingh5584 жыл бұрын
Thanks, Bahut hi achchhi janakari dene ke liye. Mujhe hindi medium me bakari palan se sambandhit kitabe chahiye thi. Isako main kaise prapt kar sakata hoon.
@AnilKumar-iz5yi5 жыл бұрын
Main up se hu kushinagar se hame desi nasal ko palna hai jaankaari de
@atalshreefpo.2 жыл бұрын
FPO के विषय में भी कुछ नया जानकारी दी जाए
@Ashupratapsinghvlogs.satna.6 жыл бұрын
Dist satna m.p me kon kon se nasal ke bakere leya jaya
@RamKumar-rs3up3 жыл бұрын
Sar bakri Gavin hai ya nahi kaise pata karen
@SingaporeChapter6 жыл бұрын
Please share detail address and coming training program date
@fahad16047 жыл бұрын
Need to start goat farming. Please advise source of Sirohi /barbari breed
@hanmantpawar3880
7 жыл бұрын
mohammad fahad
@RamRam-fu9ed3 жыл бұрын
👌👌👌👌👌👌🤝🤝🤝💕💕💕
@khansharukh8185 жыл бұрын
Ye centre kaha kaise jana ho ga yaha...
@wasidali59336 жыл бұрын
Sar hum bhi bakri paln suru karna chahte hai magar tajurba hone ke karan nahi kar pa rahe hai to kya aap mujhe trenig de sakte h pliz btaye jarur
@sureshprasad87273 жыл бұрын
Pasupalan ma vaccine ka important bataya
@sadabkhan17027 жыл бұрын
ham bhi bakri palan Karna chahte he
@assadullahalam57824 жыл бұрын
Bihar mai kon sa brid ka goat ka sedan hai aap batayae...plz
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
@arifshaikh79585 жыл бұрын
Ap ten Bach chey Wali babari bakri ketny ki deytey hain sar
@SufiTraveler8 жыл бұрын
Great knowledge and good work. l have goat farm I have pure breeds of jamnapari and sirohi breeds. It is good for goat farming business. We also provide goat farming consultancy.
@moidkhan3424
7 жыл бұрын
Please Provide Your Email ID or Mobile No. moidkhanoger@gmail.com
@SufiTraveler
7 жыл бұрын
+Moid Khan 9826637080
@mahipalmukhia8741
6 жыл бұрын
7kc
@ajaykumarsharma4447
5 жыл бұрын
sir ajay kumar my name i live khalillabad santkabir naga up where i can get please any contact late me know thanks
@sunitagadhok5844
Жыл бұрын
@@mahipalmukhia8741 9
@hddjgdhxzbhs3 жыл бұрын
सर बकरी को मच्छड़ काटे तो कैसे बचाये
@mistarinijamudinweldar80546 жыл бұрын
Sir ji bakri palan kaise kare aur uske loan bank Se Kaise prapt Kare Rajasthan
@domesticpoultry14724 жыл бұрын
Sir goat farming ka Liya koi book ya notes Mel jaygey Kay ke kasa management kare or kis time par koni vaccine kare hay or farm kasa banay
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
@rishisuwalka31955 жыл бұрын
Aap kaha se ho
@rajeshtyagi6296 жыл бұрын
Urgently
@avisahu20007 жыл бұрын
bakri palan ke liye kya kya labh de rhi h sarkar kisan ko iske bare me jankari dene ki kripa kre
@tanharinku3066 жыл бұрын
Sir me Purulia West Bengal se hun. Mere kuch questions h. Plz guide karen. 1.Mujhe kaun sa NASAL select karna chahiye ? 2. Goat k liya tree leaves ya fir grass kaun sa sabse jyada acha hota hai kyunki, grazing par hi palna chahta hun. 3.100 Goats k liya kitna land jarurat hogi taki mujhe unka liya khana kharidna na pade ? 4.Hum logon k yahan sirf rice dhan ka fasal hota h, agar dhan nikalna k baad dhan k paudha ka green abostha me silage banakar sara saal khilaya ja sakta h kya ? Isme aur kya supplementary food add karen ki sab puri tarah swasth rahe ? Apka Mobile number mil sakta h kya jissa apse appointment kar k milna chahunga aur Taki future me koi problems aana par apse help le sakun ? 5.Goat k business sur hona se pehla apse milna ho sakta h kya ?
@rambisiwas7824
6 жыл бұрын
please give connect n.
@dollykumari10075 жыл бұрын
Hallo sir Mai Bihar se hu or goat farming training Lena hai to sir aap please bataye ki Mai training Kaha lu
Пікірлер: 454
आप द्वारा दी गई जानकारी अनुसरणीय व अनुकरणीय है. आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु बकरी व्यवसाय को अपनाया जाना चाहिए और आप से संपर्क में रहते हुए बकरियों का रखरखाव व दूध तथा अन्य सभी उत्पादों का समुचित उपयोग होना व्यक्ति और देश के हित में है
बहुत बढ़िया सर मोटिवेट करने के लिए
Wonderful,amazing,interesting and very useful video for farmar
बहुत ही बढ़िया जानकारी है डाक्टर साहब आप का बहुत सुकरिया
बहुत ही अच्छी जानकारी प्राप्त हैं
Thanks for nice information about goat forming
Acchi jankare k liy bahut bahut shukriya
बहुत प्यारी जानकारी देयें हैं सर बहुत प्यारी विडियो है भाई आप की
बहुत ही अच्छी जानकारी दी
Jai shri Ram salut aapko sir bhagwan aapko hamesha sukhi rakhe bahut bdiya jankari di aap ne hme
Good information by sir and anchor, thanks sir
बहुत लाभकारी जानकारी, खासकर मेरे जैसे जिज्ञासु के लिए। कृपया बताएं कि को लोग उत्तराखंड में बकरियां पाल रहे हैं वो कोन सी ब्रीड है? क्या बकरियां जंगल में चुगाने के लिए ले जाना सही अभ्यास है?
Bahut. Achhi jankAri
Thank you Dr. Vijay for your message about goat farm
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
👍
@ranveersinghmaan9406
2 жыл бұрын
@@rmsgoatfarm9067 kkkkkhiìo
@mohsinshahshah5536
2 жыл бұрын
@@ranveersinghmaan9406 xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx Xxxxx. Xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
@mohsinshahshah5536
2 жыл бұрын
@@ranveersinghmaan9406 xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxXxxxx
Bahut sundar bat kahi umesh jo
Great news
I m zaki,everyday show your programec see watchfully.your progrme fantastic & encrse my knowldge....thanks dd kisan
Thanks dr sir
very good business
Jay
Good
बहुत खूब
Thank you sir 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹❤️🙏
@g.nahmed9467
Жыл бұрын
Namaskar sir ji Sab se ziyada successful koun si zaath ki bakri success hain jis se ziyada kamai ho
Thanks sir
Bhaut Bhaut dhanybadh ji
Good initiative
BARBARI COMMUNITY is no. 1
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
Jai jawan jai kisan
Mashaallaah
Tanks Dr manoj for you informesan God Blees you 💐✌️😎
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
👍
बकरी पालन करने के तरीके और दवा देने के तरीके
Nice
👌👌👌
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
🌹👍🌹👍🌹👍🌹👍
Good knowledge
बहुत लाभकारी है ।
@Naeemkhan-jg7tw
7 жыл бұрын
shahnawaj alam
ZaQ
Very good
hello sir i am Abdul Haque Mansoori 2020 me Mathura CIRG me training kab start hogi bataein.
@bhupendrasinghpanwar6536
Жыл бұрын
Bhai muje Leni h training
जय किसान
Very good farm nice
Thanks for info
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
very nice
Good 🌷
*Good information about Kheti badi*
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
Right
Monirul shekh
Nice video Sir
Jaise humne barbari Leni ho Kitna rate hai ,,,
Hi very good ji
Nice video 😀😀😀😀😀😀
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
Very nice farm
God
Trening kaise prapt Kare kya Karena panaga
Thanks dr
सर मैं ललितपुर उत्तर प्रदेश से बिलोंग करता हूं सर जिला ललितपुर के आसपास कोई बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र है क्या
Thanks
5 बकरी पालन के लिये कितनी जगह चाहिए?
I love ti
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
👍
Nice video
sir mai chhattisgarh se hun jashpur jila se kis nasal ki bakri palna chahiye or yaha koi prashikshan kendra hai kya
Good night
सबसे पहले सर मनोज कुमार को मेरा नमस्कार अनिल उत्तर प्रदेश में इटावा जिला से क्योंकि मैं बहुत ही जल्द आपके पास आना चाहता हूं क्योंकि मैं बकरी फार्म खोलने की पूरी तैयारी है फार्म मैंने बना लिया आपकी वीडियो देख जाके
@shaileshrawool2406
5 жыл бұрын
Hii
@shaileshrawool2406
5 жыл бұрын
Femel barbari 1 saal ki ky kimat hai itava me
nice VIDEO
@monikakumari-yc2gy
3 жыл бұрын
Pppppp
Anusandhan save female Bakrid for Bakrid Samay kahan se prapt Honge
2020 me tarenig kab suru ho raha hy
ਭਾਈ ਸਾਹਿਬ, ਮੈਂ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕੀਤੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੀ ਕਦਰ ਕਰਦਾ ਹਾਂ, ਇਹ ਬੱਕਰੀ ਪਾਲਣ ਦੇ ਸਮੁੱਚੇ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨੂੰ ਕਵਰ ਕਰਦਾ ਹੈ।
Sir mine bakri plan karna chahtha hu tu kon sa berid Lena chaye plz help
Khan par hai yai sanstha
sir mene bhi goat farm shuru kiya hai mene desi nasl se shuru kiya hai kripya bataye ki kaise unka vajan badhaye aur unko khane me kya de aur nasl sudhar k liye kaun sa breed ka bakra chayan kre abhi me bakriyo ko khane k taur pr 6 ghante charata hu jungle me.
@SamsungGalaxy-xk5df
7 жыл бұрын
me ye batana bhul gaya me jabalpur m.p. se hu
@bhupendrasinghpanwar6536
Жыл бұрын
Bhai apna number sand kare
Sir mujhe bakree paln ki tirenig lena he ye mathura me kis jageh pr he
Kindly tell me shed area for 20 goat and cost of shed
nice
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
1
Useful information , we are Goat Farming in State- Uttarakhand, District-Bageshwar, Village- Sunargaon(Kanda)willing Lab to land program for Advanced Goatery .
@prakashsinghprakash1640
4 жыл бұрын
Sir mei bhi Uttarakhand pouri grahwal se hu bakri farm karna chahta hu please help me give me your contact number
Aap svi KO pranam Got Farms chlane me halp jrur kre This si massage to Dr Manoj kumar
डाक्टर साहब मैं यूपी अम्बेडकर नगर अकबर पुर से हूं यहां बकरी का परसिछड कहां मिलेगा बकरी कहा मिलेगा बरबरी बकरी
Thank you
Thanks, Bahut hi achchhi janakari dene ke liye. Mujhe hindi medium me bakari palan se sambandhit kitabe chahiye thi. Isako main kaise prapt kar sakata hoon.
Main up se hu kushinagar se hame desi nasal ko palna hai jaankaari de
FPO के विषय में भी कुछ नया जानकारी दी जाए
Dist satna m.p me kon kon se nasal ke bakere leya jaya
Sar bakri Gavin hai ya nahi kaise pata karen
Please share detail address and coming training program date
Need to start goat farming. Please advise source of Sirohi /barbari breed
@hanmantpawar3880
7 жыл бұрын
mohammad fahad
👌👌👌👌👌👌🤝🤝🤝💕💕💕
Ye centre kaha kaise jana ho ga yaha...
Sar hum bhi bakri paln suru karna chahte hai magar tajurba hone ke karan nahi kar pa rahe hai to kya aap mujhe trenig de sakte h pliz btaye jarur
Pasupalan ma vaccine ka important bataya
ham bhi bakri palan Karna chahte he
Bihar mai kon sa brid ka goat ka sedan hai aap batayae...plz
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
Ap ten Bach chey Wali babari bakri ketny ki deytey hain sar
Great knowledge and good work. l have goat farm I have pure breeds of jamnapari and sirohi breeds. It is good for goat farming business. We also provide goat farming consultancy.
@moidkhan3424
7 жыл бұрын
Please Provide Your Email ID or Mobile No. moidkhanoger@gmail.com
@SufiTraveler
7 жыл бұрын
+Moid Khan 9826637080
@mahipalmukhia8741
6 жыл бұрын
7kc
@ajaykumarsharma4447
5 жыл бұрын
sir ajay kumar my name i live khalillabad santkabir naga up where i can get please any contact late me know thanks
@sunitagadhok5844
Жыл бұрын
@@mahipalmukhia8741 9
सर बकरी को मच्छड़ काटे तो कैसे बचाये
Sir ji bakri palan kaise kare aur uske loan bank Se Kaise prapt Kare Rajasthan
Sir goat farming ka Liya koi book ya notes Mel jaygey Kay ke kasa management kare or kis time par koni vaccine kare hay or farm kasa banay
@balwantsahu3458
3 жыл бұрын
🙏विकल्प की आवश्यकता 😊 अस्तित्व सहअस्तित्व स्वरूपी है. सहअस्तित्व सत्ता में संपृक्त प्रकृति है. ऐसे प्रकृति चार अवस्था व चार पदों में है. इसमें विकास-क्रम, विकास, जाग्रति-क्रम, जाग्रति - ये शाश्वत प्रक्रियाएं हैं. सत्ता अपरिणामी है. जीवन विकास पूर्वक अपरिणामी हुआ है. मनुष्य आदिकाल से अमरत्व को खोजता रहा है. शास्त्र में लिखा है - "अमरा निर्जरा देवास्त्रिदशा विबुधा सुरा:" (अमरकोष, प्रथम काण्ड, १.१.१३) जो जरा (वृद्ध) नहीं होता है, उसको उन्होंने देवता कहा. मध्यस्थ दर्शन से अमरत्व का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट हो गया। जीवन अमर वस्तु है। जीवन में जरा-दोष नहीं है. परिणाम दोष नहीं है, इसलिए जरा-दोष नहीं है. जीवन मात्रात्मक परिवर्तन से मुक्त है. जब तक मात्रात्मक परिवर्तन है तब तक जरा-दोष है. रासायनिक-भौतिक वस्तुओं में मात्रात्मक परिवर्तन है, जरा दोष है, इसलिए रचना-विरचना उनमे होता ही रहता है. जीवन में कोई रचना-विरचना होता ही नहीं है. जीवन में होता है - चेतना. चेतना में गुणात्मक विकास होता है. चेतना का स्वरूप बताया - जीव चेतना, मानव चेतना, देव चेतना, और दिव्य चेतना. मानव जीवचेतना पूर्वक अव्यवस्था में फंसता है, क्लेश को मोलता है, गलती-अपराध को करता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी राजतंत्र यह स्वीकारे हैं कि मानव गलती-अपराध कर सकता है. मानव की स्थिति जीव चेतना की है - इसकी गवाही में सभी (ईश्वरवादी) धर्मगद्दी मानव को पापी, अज्ञानी और स्वार्थी कहा है. इसी ईश्वरवाद में कहा है - "मुंडे मुंडे मतिभिन्ना: कुंडे कुंडे नवं पयः" (वायु पुराण). (मतलब हर आदमी का अलग अलग मत होगा ही) इसी क्रम में कहा - "सुनो सबकी, करो मन की". इसी क्रम में कहा - "खाली हाथ आये, खाली हाथ जायेंगे". यह सब झूठ का पुलिंदा है, भ्रम है. भ्रम को आप झूठ मानोगे या नहीं? "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे" - ये शरीर की बात कर रहे हैं. जीवन ज्ञान नहीं है, इसका प्रमाण दे दिया या नहीं? जीवन ज्ञान ईश्वरवादी परम्परा में नहीं था - इस बात का यह प्रमाण है. शिष्ट परिवारों में, वेद मूर्ति परिवारों में यह नारा चला है - "खाली हाथ आये और खाली हाथ जायेंगे". इससे पता चलता है कि उनको जीवन ज्ञान नहीं था. ईश्वरवाद रहस्यमय होने के कारण प्रमाण तक पहुँच नहीं पाया. अस्तित्व के कुछ भाग को विज्ञानियों ने सच माना, कुछ भाग को ईश्वरवादियों ने सच माना. दोनों अधूरे होने के कारण प्रमाणित नहीं हो पाए, संकटग्रस्त हुए. इसीलिये "विकल्प" की ज़रुरत आ गयी. - श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००५, अमरकंटक) 💐🌿🌷🌱🌻🍃🌺🌴🌹
Aap kaha se ho
Urgently
bakri palan ke liye kya kya labh de rhi h sarkar kisan ko iske bare me jankari dene ki kripa kre
Sir me Purulia West Bengal se hun. Mere kuch questions h. Plz guide karen. 1.Mujhe kaun sa NASAL select karna chahiye ? 2. Goat k liya tree leaves ya fir grass kaun sa sabse jyada acha hota hai kyunki, grazing par hi palna chahta hun. 3.100 Goats k liya kitna land jarurat hogi taki mujhe unka liya khana kharidna na pade ? 4.Hum logon k yahan sirf rice dhan ka fasal hota h, agar dhan nikalna k baad dhan k paudha ka green abostha me silage banakar sara saal khilaya ja sakta h kya ? Isme aur kya supplementary food add karen ki sab puri tarah swasth rahe ? Apka Mobile number mil sakta h kya jissa apse appointment kar k milna chahunga aur Taki future me koi problems aana par apse help le sakun ? 5.Goat k business sur hona se pehla apse milna ho sakta h kya ?
@rambisiwas7824
6 жыл бұрын
please give connect n.
Hallo sir Mai Bihar se hu or goat farming training Lena hai to sir aap please bataye ki Mai training Kaha lu
@subhashmeena8310
4 жыл бұрын
Govt employees ko training mil sakti hi
Uttrakhand ke pahard Mai kon si bkari palni chaiy
@rmsgoatfarm9067
3 жыл бұрын
Barbari