कविता- टेम आयगो खौटो…… स्वर- बाघसिंह राठौड़ रायसर रचयिता दीपसिंह भाटी 'दीप' रणधा
कविता- टेम आयगो खौटो……
स्वर बाघ सिंह राठौड़ रायसर
© रचयिता - दीपसिंह भाटी 'दीप' रणधा
निदेशक -डिंगल रसावल शोध संस्थान बाड़मेर
आज हळाहळ कळजुग आयौ, किणी नै कीं न कैणो।
आदत रो लाचार आदमी, पैटे पापी पैणो।
साच सीख दै कोई साथी, मानै लैवे मैणो।
औगणगारो बकै अणूतौ, गाळी जिणरौ गैणो।
चज्ज पखीणौ थूकै चाटै, तूंडै बारो लोटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।1।।
भाई भाई रा पग बाढै, उलळै आडौ आवै।
ठालौ बैठ्यो मार ठहाका, सगळां नै संतावै।
खाऊं खाऊं कर खळ्यौड़ो, बणियौड़ी बिगड़ावै।
कुळ कुड़बै रो करै कबाड़ौ, जीवतो नरक जावै।
मूढ़ गमावै मिनख जमारो, ज्यूं पाडी रो झोटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।2।।
बापां साम्हा बौले बैटा, बक बक कर बौलावै।
पापा थांनै कहीं पतौ नी, सीखां दे समझावै।
माईतां नै कीं नी मानै, ताड़ि मितर तैड़ावै।
बीयर दारूं दैखे बोतल, नाचै और नचावै।
आखी रात पियै अणमापौ, कदै न पूरै कोटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।3।।
पंच करै खौटे पंचादै, कदै नी साची कैवे।
गरीबों नै गिड़कायै ऐ, लूंठों रो पख लैवे।
मींचै आंख्यां गटकै माखी, दुबळां नै दुख दैवे।
बौदी नीती रा बड़बौला, रुघडाई में रैवे।
अनीती रा बैली है ऐ, दैवे कूड़ौ दोटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।4।।
राज नेता जगत रीझावै, कूड़ा कवल करावै।
झाड़ै भाषण दैवे झांसा, पबलिक नै फुसलावै।
वोटां खातर आवै वळ वळ, बापू कह बॅंतळावै।
जीतै पीछै भाजै जावै, लांणौ नी दिखलावै।
पगां पड़ पड़ रोज पकावै, राजनीति रो रोटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।5।।
बौले बड़का बोल बहूड़ी, सासू नै सटकावै।
कूड़ा सूड़ा करै काचड़ा, तकड़ी व्है तटकावै।
हेकल भमणै चीलै हालै, भायां नै भुटकावै।
मोबाइल में घालै माथौ, चैटींगा चटकावै।
सगळा टाबर भूखा सौवे,(जद)गजबण आवै गौटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।6।।
साचै रो न कोई सॅंगाथी, जूठै रे सब जावै।
नकटां रे रैवे नित नेड़ा, खोट घणैरो खावै।
साळी ओढ़ै चीर सुरंगा, बैनड़ नैण बहावै।
बूढां माईतां नै बैटा, विरधाश्रम विलमावै।
मरै गई उजळी मरजादां, तंतपणै रो तौटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।7।।
बुढ़ियां कनै बाळ नी बैठे, अकल कठै सूं आवै।
संसकार सिमटग्या सगळा, पछम रीत पनपावै।
दादी नानी (री) बातां दबगी, टीवी मींठ गढ़ावै।
दैख तिलिस्मी तौतक जादू, हांसै और हसावै।
गीगै रो खुणखुणियौ गायब, (अबै) मोबाइल है मोटो।
दुनियां रा रॅंग देख दीपिया, टेम आयगो खौटो।।8।।
©(27 अक्टूबर 2022, पोकरण )
कापीराइट © कविता
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बाघसा जीवने ताऱोसा धनेहो
जोरदार स्वर। कविराज बाघसिंह जी। धन्यवाद हुकम
Super jabardast
अति सुन्दर रचना।। स्वर उनसे भी सुन्दर
जय हो बाबा की
Wha thakroo Jai Mata ji ri sa Pradeep Singh ashiya balau Jai rajputana
बहुत बहुत धन्यवाद आप जुग जुग जियो हजारों साल उम्र हो
जय हो हुक्म