कैसे थे पुराने गढ़वाली गीत | विलुप्त होती सांस्कृतिक परंपरा (बाद्दी गायन एवं नृत्य) |

A documentary about the " विलुप्त होती सांस्कृतिक परंपरा एक प्रयास" We R thankful to all these living legends to help us. इस सांस्कृतिक विरासत और विलुप्त होती अन्य परम्पराओ के लिए आपका प्रयास हमेशा एक अध्याय बनेगा इतिहास का। इन्ही शुभकामनाओं के साथ MGV DIGITAL

Пікірлер: 147

  • @deepumanral333
    @deepumanral3336 жыл бұрын

    सर सच में life आज तक ऐसी वीडियो पहली बार देख रहा हु,साथ मे आँखों से कुछ आंसू भी छलकने को तैयार हैं।जितने कलाकारों ने गाया और जिन्होंने डांस किया सच मे बहुत अनोखा था ।सर मुझे तो आज पता चल रहा है कि हमारी एक संस्कृति ऎसी भी है । धन्यवाद सर जी आपने इस video के माध्यम से हमें हमारी संस्कृति से रूबरू कराया।तहे दिल से आपका धन्यवाद सर जी।

  • @j.lmandoli9827
    @j.lmandoli98274 жыл бұрын

    हम लोगों ने इनको सम्मान नही दिया इस लिए ये दिल को छूने वाली कला आज लुप्त हो गई है

  • @AnilKumar-gv4lh
    @AnilKumar-gv4lh6 жыл бұрын

    सस्कृति के नाम पर मजबूरी कहना ज्यादा तर्कसंगत होगा कलाकार और शिल्पकार जाति उत्तराखंड मे अछूत के रुप आज भी है जो मजबूर है आज भी इस काम को कर रहे है बाकी जो लोग सस्कृति का नाम देकर इस को प्रोत्साहन देने या दे रहे है वो आदमी के जन्म से या जाति काम न कर कलाकार और शिल्प कार का काम हुनर पर आधारित है जो कोई भी कर सकता है।

  • @arvindrawat6701
    @arvindrawat67012 жыл бұрын

    बहुत कुछ था जो अब नहीं और जो अब है वो आगे नहीं होगा 😔🙏🏻जय देवभूमि

  • @officialhukamsinghranahsr01
    @officialhukamsinghranahsr01 Жыл бұрын

    आज नाच गानेवाले कितने भी महिला पुरूष हो इस परकार् के निरतया करके दिखाये तब तो मै भी मानु

  • @bhimsinghrauthan6487
    @bhimsinghrauthan64876 жыл бұрын

    बहुत सुंदर प्रस्तुति पुरानी यादें स्मर्ण हो गयी कम कम से 30साल से नहीं देखा यह बाद्यनृत्य को शायद अब देखने को मिलेगा नहीं सब पुरानी परम्परा बिलुप्त हो गयी या होनी की कगार पर है जिस सजन ने यहा विडियो डाली है बहुत धन्यवाद

  • @officialhukamsinghranahsr01
    @officialhukamsinghranahsr01

    इस बेडा गीत व बेडिण का नाच पहुत पुरानी याद आ रही है जो 1978 के समय मे था

  • @rajenderbhandari2672
    @rajenderbhandari2672 Жыл бұрын

    विलुप्तप्राय पूर्णतः हो गई है विडम्बना ही है उनकी खाशियत समयानुसार तुरंत घटनाओं पर आधारित जीवन्त शब्दावली गीत गायन ही रहता था धार्मिक और लोक संगीत पर 🥰 🥰 परन्तु आज कल कैमरा और मोबाइल क्रांति ने घर घर शार्ट विडियो के नचाड पैदा कर दिये हैं बस लाइक कमेंट और स्टेटस के दूसरे रूप के।

  • @darmyansingh8385
    @darmyansingh8385 Жыл бұрын

    आप को इस आखिरी पिड़ी के प्रस्तुत कर्ताओं को मै तैदिल से धनबाद करता हूं बहुत अछा लगा मन को छुंगया पुरानी यादें दिला दी आप ऐसे ही पोरूगारम दे ते रही आपको ढेर सारी शुभकामनाएं

  • @chandramohanarya7928
    @chandramohanarya7928

    संस्कृति वहीं जिसमें सभी को सम्मान बराबर

  • @devbhoomipahad
    @devbhoomipahad14 күн бұрын

    नमन है इन कलाकारों को 🙏अगर इस प्रकार के कलाकारों को हमारे समाज में सम्मान मिलता तो शायद आज ये संस्कृति हमारे समाज में जीवित होती पर इस प्रकार की कला को कला के नजरिए से nhi बल्कि निम्न जाति के नजरिए से देखा गाया आज ये कला अगर लिप्त हुए हैं तो इसके जिम्मेदार हम लोग खुद हैं

  • @Guruaashees
    @Guruaashees Жыл бұрын

    जो लोग तुम्हारा मनोरंजन करते थे उनके बाल उखाड़ कर प्रसाद बांटा जाता था वाह कितनी सुन्दर थी।तुम्हारी संस्कृति ऐसा व्यवहार लोग जानवर के साथ भी नहीं करते हैं।यदि इन कलाकारों को सम्मान मिलता तो आज भी ये संस्कृति जिन्दा रहती।

  • @khemsinghchaudhary8721
    @khemsinghchaudhary87212 жыл бұрын

    आप ने बचपन की याद दिला दी क्या सुन्दर दृश्य हुआ करते थे उन दिनो

  • @sobansinghpaliyal1877
    @sobansinghpaliyal1877

    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति एवं पुरानी जानकारी।अति सराहनीय कदम।

  • @ankitduttdimri
    @ankitduttdimri5 жыл бұрын

    मुझे अपनी उत्तराखंड की महान संस्कृति एवं विरासत पर गर्व है।

  • @arvindshaharvindshah7193
    @arvindshaharvindshah7193

    हम ने इनकी कला का स्वाद लिया और खूब इंज्वाई की और हमने इनको इन्सान नहीं समझा और , शादी में हंसता माहौल बना कर के लास्ट में उनको सभी के खाना खाने के बाद उनको ठंडा खाना दिया जाता था , और बजाने के बाद उनका त्रिशकार किया जाता रहा , इज्जत नाम की कोई चीज ही नहीं रही इसी लिए उत्तराखंड की ये लोक सस्कृति बिलुप्त्त होती गई । आज लोग गांधी नाम पा लिया और ये लोक कला कार जो उनके साथ में नाचगान किया करते थे और , पांडव नृत्य, ढोल , दमाऊ बजा कर , केदार नृत्य कर दिल्ली लाल क़िले पर प्रथम प्रधान मंत्री जी श्री पण्डित नेहरू जी के साथ केदार नृत्य किया आज वो लोग अपने अपने घरों में बैठे हैं उनकी कला का कोई कहीं भी मोल भाऊ नहीं रहा। बहुत दुःख होता है जब कला कार के साथी , नाम पा कर कहीं का कहीं कहीं पहुंच जाता है , और पहुंचाने वाले अपनी अपनी कला को लेकर घर बैठ जाते हैं , परंतु उनको पहुंचाने वाला , उन कला कारों को कहीं मंच भी नहीं देता बहुत दुःख की बात इस से क्या हो सकती है । इसी लिए उत्तराखंड की लोक संस्कृति विलुप्त होती रही ।

  • @ajayajjunegi4004
    @ajayajjunegi40046 жыл бұрын

    Syd hum log beech me kahin batak gye the but Syd hum logo ko ehsaan ho rha h ki wahi din sbse acche the or mujhe khushi h iss baat ki ki hum dobara apne culture ko jinda rkhne ka prayas kr rhe h.. Jay uttarakhand

  • @gaversingh5837
    @gaversingh58374 жыл бұрын

    बहुत ही सुन्दर लोक गीत व मनमोहक लोक संगीत व नृत्य । यह कला व संस्कृति सदैव रहे ।धन्यवाद

  • @shahdinesh3924
    @shahdinesh3924 Жыл бұрын

    बहुत सुंदर मनमोहक हमारे उत्तराखंड की संस्कृति जो आज बिलुप्ती की कगार पर है इस संस्कृति को बचाने का प्रयास कर देना चाहिए

  • @Malasi_gr_vlogs
    @Malasi_gr_vlogs5 жыл бұрын

    जब हम छोटे थे तब यह बादी नृत्य होता था आज उसकी जगह डी जे ने ले लिया है हमारी संस्कृति धीरे धीरे लुप्त होती जा रही है

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