जोगेसर धुंधलीमल अर गरीबनाथ रो श्राप
जोगेसर धुंधलीमल अर गरीबनाथ रो श्राप🚩🚩🚩
लेखक एवं स्वर: दीपसिंह भाटी 'दीप'
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ग़रीब नाथ जी रा गुरु धुंधली नाथ जी और धुंधली नाथ जी रा गुरु धोरम नाथ जी
जया माँ माँ इच्छा करणी बहू सुंदर प्रस्तुति है आपकी
जय श्री कृष्णा हुक्म भाभा श्री
जय श्री कृष्ण जी हुक्म श्री मान काको सा दिपसिह जी मीठी मीठी बातें बहुत सुन्दर बढ़िया हैं जी घणो घणो आभार करता हूँ जी हुक्म 👏👏
आपरीबाताबहुतसु्दरहै
बहुत सांगोपांग बातपोश 🤝❤🤝 म्हारै गुरूदेव श्री चरणो में शीश निमाऊ 👏👏
घणी खम्मा कविराज जय माता जी अद्भुत है सा राम राम
कड़ो बगस कंठी बगसी,माठी बगसी मोर।दियो दियो जेह़े भाराणी,क्रोड़ी धज केकोंण।।
बहुत ही सुन्दर बातपोस
जय श्री हुकुम भाटी साहब 🙏
वाह वाह दीप सिंह जी भाटी साहब बहुत ही सांगपोंग बातपोस हुक्म 👌👌
बहुत ही सुन्दर
jai ho
वाह वाह वाह दीपसिंह भाटी साहब आपरी बातों रो डंको जोरदार स्वागतम
अति सुन्दर एवं शानदार हुक्म
रंग हे दीप सा हुकमने। भानु प्रताप सिंह सेतरावा।
जय श्री कृष्णा हुक्म 🙏
आज री बात भी बहुत सुंदर है।
❤❤❤❤❤
जय आईजी रीसा