No video

शिव किसका ध्यान करते है | शिव तत्व विस्तृत | मुक्ति व भक्ति कौन देता |शिव तत्त्व क्या है |

श्री महादेव, किसका ध्यान पूजा करते हैं और मुक्ति और भक्ति कौन देता है, इस वीडियो में तार्किक वैज्ञानिक आधार पर उत्तर दिया गया है|
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
#amoghlilaprabhu#iskcon#swamivivekananda#ishafoundation#myashraya#amoghlilaprabhu#bhajanmarg#tilak#ayodhya#sandeepmaheshwari#bageshwardham#aniruddhacharyaji#acharyaprashant#sadhanpath#myashraya#vrindavanrasmahima#Shrihitradhakripa#bageshwardhamsarkar
Amogh lila Prabhu On Shiva
Iskcon Motivational speech
Iskcon Motivation Video
why lord Shiva throat is Blue Nilkantha ll HG AmoghaLlila Prabhu | iskcon Bhakti Shiva
(legal Disclaimer)
इस चैनल का उद्देश, जाति, व्यक्ति, धर्म, आस्था, मजहब, मत पंथ सम्प्रदाय, की भावनाएं आहत नहीं हैं। सनातन वैदिक धर्म संस्कृति पर मिथ्या आक्षेपो के प्रमाण सहित निवारण, अंधकार से सम्पूर्ण लोगों निकालना, प्रकाश के तरफ ले जाना, क्रियात्मक धारणा विश्वास, समाज, में भी विश्लेषण, पाखंड, कुरीतियो, भेद, छुटकारे से मुक्ति करना संबंधित है। संविधान का स्तम्भ इस दायित्व की आज्ञा है।
(Copyright Disclaimer)
Copyright Disclaimer under Section 107 of the copyright act 1976, allowance is made for fair use for purposes such as criticism, comment, news reporting, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favour of fair use.
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬
भगवान श्री कृष्ण तथा भगवान विष्णु के अनुसार
कैवल्यमुक्तिदाता केवल महादेव
नाहं संसार मग्रानां साक्षात् संसार मोचकः ।
ब्रह्मादि देवाश्चान् येऽपि नैव नैव संसार मोचकाः ॥
अहं ब्रह्मादि देवाश्च प्रसादात् तस्य शूलिनः ।
प्रणा ड्यैव हि संसार मोचका नात्र संशयः ॥
नाम तश्चार्थ तश्चापि महादेव महेश्वरः ।
तदन्ये केवलं देवा महादेवा न तेऽनघ ॥
महादेवं विना यो मां भजते श्रद्धया सह ।
नास्ति तस्य विनिर्मोक्षः संसाराज जन्मकोटिभिः ॥
स्कन्दमहापुराणान्तर्गत सूतसंहिता यज्ञवैभवखण्डके २५ वें अध्याय
भगवान विष्णु सत्यसंध को कहते हैं'हे सत्यसंध संसारमग्न जनोंको मैं संसारसे साक्षात् मुक्ति नहीं दे सकता। इसी प्रकार अन्य ब्रह्मादि देव भी साक्षात् संसारमोचक नहीं हैं। मैं विष्णु और ब्रह्मादि अन्य देव त्रिशूलधारी
महादेवके प्रसादसे उनकी आज्ञा प्राप्त करने के पश्चात ही शिवआज्ञा के द्वारा शिव आज्ञा का संपादन करते हुए संसारमोचक हो सकते हैं अर्थात किसी को मोक्ष दे सकते हैं, इसमें संशय नहीं है। हे अनघ- निष्पाप ! नामसे और अर्थसे महेश्वर ही महादेव हैं, और वाकी हम सब देव कहलाते हैं, महादेव नहीं। जो पुरुष महादेवको छोड़कर मुझ् विष्णु का भजन श्रद्धासे करता है उसका कोटि जन्म होनेपर भी संसारसे कदापि मोक्ष नहीं होगा, क्योंकि कैवल्यमुक्ति देनेवाले केवल महादेव ही हैं।' इस प्रकार श्रीमुखसे स्पष्ट निर्देश करते हुए भगवान श्रीकृष्णने सुदामाको कैवल्यमुक्तिकी प्राप्ति के लिये शिवभक्ति- रूप उपायका उपदेश दिया और सुदामाने श्रीकेदारेश्वरके आराधनके द्वारा स्वात्मसाक्षात्काररूप कैवल्यमुक्ति प्राप्त की ।
मय्येव सकलं जातं मयि सर्वं प्रतिष्ठितम् ॥ मयि सर्वं लयं याति तद्ब्रह्माद्वयमस्स्म्यहम् ॥
यह सब वस्तु मुझहीसे उत्पन्न है और मुझही में प्रतिष्ठित है और अन्तमें मुझमें ही लय होजाती है मैं ही अद्वय परब्रह्म हूंँ।।
श्री शिवगीता पद्म उपरिभागे पुराण 6.52
[रुद्र कोटि संहिता 42. 15]
सर्वे रुद्रं भजनत्येव रुद्रः कंचिद्भजेन्न हि। स्वात्मना भक्तवत्सल्याद्भजत्येव कदाचन ॥15।।
सभी रुद्रका भजन करते हैं, किंतु रुद्र किसीका भजन नहीं करते, कभी-कभी भक्तवत्सलतावश वे अपने-आप अपने भक्तोंका भजन करते हैं ॥ १५॥
अर्थात विष्णु राम कृष्ण राधा सीता लक्ष्मी सरस्वती आदि।
[पद्म महापुराण 5.114.247]
शंकरउवाच ॥ ॥
ध्यायेन किंचित् गोविंदननमस्येहकिंचन ॥ ॥ नोपास्येकंचनहरेनजपिष्येह किंचन ॥
किंतुनास्ति कजंतूनांप्रवृत्त्यर्थमिदंमया ॥ दर्शनीयहरेते स्युरन्यथापापकारिणः ॥ तस्माल्लोकोपकारार्थमिदं सर्वंकृतंमया ॥ ओमित्युक्त्वाहरिरथतंन त्वासमतिष्ठत ॥
भगवान श्री विष्णु के पूछने पर भगवान शंकर कहते हैं कि हे गोविंद ना मैं किसी का ध्यान करता हूं ना किसी को नमस्कार करता हूं ना ही किसी का उपासना करता हूं और ना ही किसी का जाप करता हूं..
किंतु नास्तिक प्राणियों को उचित राह दिखाने के लिए मैं ऐसे लीला करता रहता हूं। । लोक पापी और नास्तिक ना हो जावें....मुझे देखकर सब लोग किसी न किसी की उपासना करते रहते हैं...
लोगों के उपकार के लिए ही मैं यह सब कुछ करता हूं । भगवान शंकर की यह सत्यता को जानकर भगवान विष्णु अति आनंद मैं गदगद होकर भगवान शिव का स्तवन करने लगे।
पद्म पुराण पाताल खंड अध्याय - 114 श्लोक संख्या 147, 148, 149, 150,151, 1521
▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

Пікірлер: 41

    Келесі