इमाम बाड़ा गुफरांमआब की शामे ग़रीबां पूरी दुनिया में मशहूर है | Imambara Gufran Ma'ab | Lucknow |

Ойын-сауық

Channel- Sunil Batta Films
Documentary- Imambara Gufran Ma'ab , Lucknow
Produced & Directed by Sunil Batta, Voice- Navneet Mishra, Camera-Chandreshwar Singh Shanti, Production- Dhruv Prakesh, Camera Asst.- Runak Pal, Kuldeep Shukla,
Synopsis-
इमामबाड़ा गुफरांमआब
इस्लामी फ़न्ने तामीर में मस्जिदों और मक़बरों के बाद इमामबाड़ों का एक अहेम मुक़ाम है अगर इमाम बाड़ों की आराइश और रौनक़ देखना है तो मुहरर्रम के महीने में देखिये। साल के ग्यारह महीने तो उनके आराम का ज़माना है। मुहरर्रम का चांद नज़र आते ही उनकी रौनक़ो अज़मत अना असर छोड़ने लगती है।
इमामबाड़ा गुफरांमआब सब्जी मंडी के मशरिक़ में वाके़ है। इमामबाड़ा गुफरांमआब 1227 हिजरी मुताबिक 1812 ईसवी में मौलाना सैय्यद दिलदार अली साहब ने बनवाया था, जो हिन्दुस्तान में इमामिया मज़हब के पहले मुजतहिद थे। गुफरांमआब लक़ब बाद वफात हुआ। सैय्यद दिलदार अली साहब ने 1227 हिजरी में ज़मीन लेकर इमामबाड़ा बनवाया। इससे पहले लखनऊ में इमामबाड़ा आसिफी के एलावा दो इमामबाड़े और बने थे। एक इमामबाड़ा आग़ा अबू ताबिल जो कि हुसैनगंज में बाग़ आइना बीबी में वाके़ था लेकिन अब उस का नामो निशान भी बाक़ी नहीं रहा। दूसरा इमामबाड़ा आग़ा बाक़र ख़ां का था जो आज भी अपनी आन बान शान के साथ कायम है।
मौलाना दिलदार अली नक़वी उर्फ गुफरांमआब की विलादत 1166 हिजरी मुताबिक 1952 ईस्वी की शबे जुमा, नसीराबाद जिला़ रायबरेली के एक ज़ेराअत पेशा घराने में हुई।
आसिफुद्दौला ने जो मस्जिद और इमामबाड़ा बनवाया उसे तो मरहूम के हुस्नों नीयत ने तारीख़ी तामीर का दर्जा बख़शा और वह आज तक ज़ियारत गाह ख़लाएक़ है। इमामबाड़ा गुफरांमहाब ख़ुद मौलाना दिलदार अली ने लखनऊ में तामीर किया जो उनके वफाती लक़ब गुफरां मआब के इमामबाड़े का नाम से मशहूर है जो गुज़िश्ता कुछ बर्सों से अज़ सरे नौ तामीर हुआ है और हुनुज़ यह सिलसिला अभी जारी है। मौलाना दिलदार अली गुफरां मआब ने अपने वसीयत नामें में इमामबाड़े में तलबा को क़ियाम की सहुलत देने की निहायत ताकीद की हैं। इस इमाम बाड़े की ज़मीन में लातादाद अहले इल्म और कमाले अतिब्बा, ज़ाकिर, वाइज़ और उलामाए किराम ज़ेरे ज़मीन महवे ख़वाब हैं।
मशहूर शायर सफी लखनऊ, अज़ीज़ लखनवी, महशर और मेंहदी हुसैन ‘नासिर’ वग़ैरा मशाहीरे क़ौम ने अपनी नज़्मों में इस इमाम बाड़े का तआरूफ किया है। तारीख़ी और अदबी दुनिया में भी यह इमाम बाड़ा बहुत मशहूर है।
इमाम बाड़ा गुफरांमआब ज़माने क़दीम से मक़बूल ख़ासो आम है। हर जुमेरात को अक़ीदतमंद मर्द औरतों का तांता बंधा रहता है। शाम को हज़ारों का मजमा होता है। हदीस किसा कि तिलावत और हज़रत अली की शान में मुनाजात होती हैं और तबरर्रूक का दस्तरख़्वान भी बिछाया जाता है। औरतों की मस्लिस और मर्दों की मज्लिस दोनों का एहतिमाम होता है। अशरए मुहरर्म में शानदार और मख़सूस अंदाज़ की मज्लिसें उसकी गहमा गहमी में चार चांद लगा देती है। नौहा और मातम का सिलसिला भी इस इमामबाड़े में जारी रहता है।
यहां की अज़ादारी की ख़ास बात यह है कि यहां पर हर साल 29 के चांद के हिसाब से मज्लिसें होती हैं और यह सिलसिला 14 मुर्हरम तक बड़े ज़ोरो शोर के साथ चलता रहता है। नौहा और मातमों का सिलसिला बड़ी शिद्दत के साथ के साथ पहले से 10 मुहर्रम तक जारी रहता है। तारीख़ 6-7-8-9 को अलम और शबीह उठाए जाते हैं।
यहां की दस मुहर्रम की शामे ग़रीबां पूरी दुनिया में बहुत मशहूर है जोकि इसी इमामबाड़ा की ईजाद है। 11 मुहर्रम को यौमे जै़नब मनाया जाता है। 12 मुहर्रम को यौमे अब्बास की मस्लिसें मंअक़िद की जाती हैं। 13 और 14 की तारीखों में देसे की मजालिस का एहतिमाम होता है।
साल के आम दिनों में भी लोग अपनी मुरादें पूरी होने पर यहां पर मजालिस करवाते हैं। मन्नत के मिंम्बर चढ़ाते हैं, अपने मरहूमीन की याद में और उनके ईसालो सवाब के लिए आवाम यहां पर बरसी की मज्लिस और देसे की मज्लिसें की करते हैं जिसको लखनऊ के मशहूरो फारूफ उलामाए किराम खि़ताब फरमाते हैं।
इमामबाड़ा गुफरांमआब के मुतावल्ली हमेशा से ही मुल्क के नामवर उलामाए किराम रहे हैं। मौलाना कलबे हुसैन साहब मरहूम, मौलाना सैय्यद कल्बे आबिद मरहूम माज़ी में इमामबाड़े के मुतावल्ली रह चुके हैं जोकि शेहरए आफाक़ शोहरत के मालिक है।
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Пікірлер: 9

  • @alizainkazmi4372
    @alizainkazmi43723 жыл бұрын

    Mashallah

  • @hyderhassan210
    @hyderhassan2102 жыл бұрын

    Mashallah sab. May Allah bless you. Thnx a lot for sharing the video

  • @qamarabbas-mz2qk
    @qamarabbas-mz2qk2 жыл бұрын

    Jazakallah

  • @shadabmirza58
    @shadabmirza583 жыл бұрын

    zbrdst video... narrator ki awaz behadd purasar

  • @shiaislamicvideosdrkalbesi1294
    @shiaislamicvideosdrkalbesi12944 жыл бұрын

    Imambade Ghuframaab ki tameer e nau Dr Kalbe Sadiq sb ne ki . 52 makano ko khali kara ker is waqt ki khoobsurat imarat banwai . Students ke liye Raushni Hostel banwaya , Khoobsurat Gate banwae . Najaiz 52 makanat ko khali karwa ker campus ko bahut barha diya . Salon mehnat karke apne jadd ke banae imambade ko nai shakl di aur tameer jub mukammal ho gai to hat gae aur college wa schools banwane lage . Jaise Unity College , MU College , UMS , Hiza , UITC aur sabse barh ker TMT ki buniyad dali .

  • @SunilBattaFilms

    @SunilBattaFilms

    4 жыл бұрын

    Wah wah💐💐Janab mai khud Param Adarniye Dr Kali Sadik Sahab ki dil se izzat karta hu🙏🙏🙏🙏Maine jab yeh video banaye toh sab se pehle Dr Sahab ji se samay le kar unko dekhhaye the🙏aur unka aashirwad maanga tha💐 tab unhone mujhko gale se lagaya tha🙏🙏🙏🙏

  • @SunilBattaFilms

    @SunilBattaFilms

    4 жыл бұрын

    Dr Sahab jaisa samay ka paband aur sidhant aur adarsho par chalne wala insaan maine doosra nahi dekha🙏koi bhi insaan unko dekh sun kar bahut kuch seekh sakta hai💐Bhagwan unko lambi umar de🙏aur unka saaya hum sab par hamesha bana rahe💐yahi parwardigar se dua hai🙏🙏🙏🙏

  • @babeynaqvi

    @babeynaqvi

    4 жыл бұрын

    Wah...

  • @SunilBattaFilms

    @SunilBattaFilms

    4 жыл бұрын

    @@babeynaqvi Shukriya🙏🙏🙏🙏

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