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History of Devta Bakraalu देवता बकरालू का इतिहास

बकरालू देवता जी (दलगांव) का जन्म रामपुर में दलोग नामक स्थान पर हुआ बताया जाता है। एक भेड़पालक अपनी भेड़ बकरियों को दलोग के जंगल में चराया करता था। उसने देखा कि एक बकरी हमेशा एक चट्टान के नीचे चरने जाती है, तो वो उत्सुकतावश उस चट्टान के पास गया। उसने देखा कि एक मुहरा वहां पर उपस्थित है जिसकी नाक बकरी द्वारा चाटने पर सपाट हो गई है। वो उस मुहरे को अपने गांव ले आया तथा गांव वालों को दिखाया। गांव वालों ने उन्हें देवता के रूप में स्वीकार कर लिया तथा बकरी द्वारा खोजे जाने के कारण उनका नाम बकरालू पड़ गया।
देवता जी का एक देवी जी के साथ प्रेम सम्बन्ध हो गया जो कि विवाहित थी। इसलिए देवता जी किसी ऐसे स्थान की तलाश में थे जहां वो शांतिपूर्वक रह सकें। वो जगह उन्हें रोहरू में स्पैल वैली में दलगांव में मिली। दलगांव वासी
अकटनगा देवता को मानते थे लेकिन बकरालू देवता जी की शक्ति से प्रभावित होकर उन्होंने बकरालू देवता जी को मानना शुरू कर दिया तथा बकरालू देवता जी स्पैल वैली के प्रमुख देवता जी बन गए।
इसके बाद देवता जी दलोग, रामपुर गए तथा देवी को साथ चलने को कहा। देवी ने कहा कि अगर मुझे आप अपने जामन (रथ) में सबसे उपर रखेंगे तो मैं आपके साथ चलूंगी। देवता जी ने ऐसा करने का वचन दिया तथा देवी उनके साथ आ गईं तथा आज भी देवी बकरालू देवता जी के रथ में सबसे उपर विराजमान हैं।
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Пікірлер: 1

  • @Dum_b
    @Dum_b3 ай бұрын

    It is not real story of Devta Bakralu

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