गुरुओं, संप्रदायों और अंधविश्वासों की दौड़ में अरिहंत कहां ? Aacharya Vimalsagarsuriji

• कहने को जैनधर्म परम उपकारी अरिहंत प्रभु का साधना पथ है. यह आत्म कल्याणकारी धर्म-दर्शन है, लेकिन आधुनिक युग में यहां गुरुओं, संप्रदायों और अंधविश्वासों के नाम की दौड़ लगी है.
• ऐसा लगता है जैसे समाज के कुएं में ही किसी ने भांग डाल दी है. बड़े-बड़े साधु भगवंत, श्रीमंत और पढ़े-लिखे विद्वान भी इस दौड़ और होड़ में बहुत आगे निकल चले हैं. अरिहंत प्रभु कहीं पीछे छूट गये हैं. चूंकि धर्म-परंपरा उनकी है, इसलिए थोड़ा उनका नामोल्लेख कर दिया जाता है, बाकी सारा समय गुरुओं और संप्रदायों के महिमागान तथा अंध मान्यताओं के पोषण में व्यतीत होता है. सम्यग्दर्शन दांव पर लगा है.
• ज्यादातर लोगों को शायद यह लगने लगा हैं कि गुरुओं, संप्रदायों और इधर-उधर की मिथ्या मान्यताओं के बिना अपनी नैया पार नहीं लगेगी. उनको भवपार उतरने की चिंता नहीं हैं, उन्हें फिक्र हैं इहलौकिक वर्चश्व और सफलताओं की.
• हालांकि सभी साधु भगवंत और श्रावक ऐसे नहीं हैं. हजारों-हजारों इसके अपवाद हैं. वे वास्तव में प्रणम्य हैं. पर उनकी बातें इस दुनिया के लोभी, लालचु, मतलबी भक्तों के गले नहीं उतरती !
• आप कौन हैं ? कैसे हैं ? कितने पानी में हैं ? स्वयं निष्पक्ष चिंतन कीजिये. अगर आंखें खुलें तो सही मार्ग पर गति कीजिये. सौभाग्य के द्वार आपके लिए खुले हैं !
- आचार्य श्री विमलसागरसूरीश्वरजी महाराज साहब
JAGO
Jain Activists Global Organization
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It is a generous campaign dedicated to Lord Mahavireer's principle in the name of Revolutionary, Versatile & Vigorous Preacher Aacharya Shree Vimalsagarsuriji.
It is Purely Sacred, Perceptional & Intellectual effort to bring one’s attention on life values ​​in the form of Religious Integrity, Social Intimacy, National Pride, Human Values, Spiritual Supremacy,
Non Violence, Good Faith, Vegetarianism, Indian Culture, Karma Theory & much more.
It Emphasizes on Awakening the Youth, Prospering Women Welfare, Promoting Communal Harmony, Maintaining Cultural Pride & Enhancing Jain Ideology.
क्रांतिकारी-ओजस्वी प्रवचनकार आचार्य श्री विमलसागरसूरिजी महाराज के प्रवचन और विविध आयोजन भगवान महावीरस्वामी के सिद्धांतों को समर्पित सर्व हितकारी अभियान हैं.
यह जैनधर्म, अध्यात्म, समाज, संस्कृति, राष्ट्रीयता, अहिंसा, नैतिकता, सुसंस्कार, शाकाहार, सद्भावना, आहार विज्ञान, कर्मवाद और मानवता की सेवा का पावन पुरुषार्थ है.
सकारात्मक सोच, युवा जागरण, कन्या उत्कर्ष, साम्प्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव इसके सार्थक माईल स्टोन हैं.

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