घर बैठे दुनिया की सबसे पुरानी सिन्धु घाटी की सभ्यता का लाइव विडियो देखिये || Sindhu Ghati Dabhyta
आज हम दोनो बहुत खुश हैं क्योंकि आज हमे अपने सोने की चिड़िया (भारत) का एक ऐतिहासिक जगह देखने का मौका मिला। हम मौजूद हैं अहमदाबाद के लोथल में और यह है सिन्धु घाटी की सभ्यता का एक बहुत खुबसूरत शहर हडप्पा का शहर इस शहर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण बन्दरगाह जो कि दुनिया का पहला बन्दरगाह है।
लोथल (गुजराती: લોથલ), प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर है। लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना यह शहर भारत के राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है और इसकी खोज सन 1954 में हुई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस शहर की खुदाई 13 फ़रवरी 1955 से लेकर 19 मई 1956 के मध्य की थी। लोथल, अहमदाबाद जिले के धोलका तालुका के गाँव सरागवाला के निकट स्थित है। अहमदाबाद-भावनगर रेलवे लाइन के स्टेशन लोथल भुरखी से यह दक्षिण पूर्व दिशा में 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोथल अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और धोलका शहरों से पक्की सड़क द्वारा जुड़ा है जिनमें से सबसे करीबी शहर धोलका और बगोदरा हैं।लोथल को मिनी हडप्पा के नाम से भी जाना जाता है।
लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय इसके आसपास का कच्छ का मरुस्थल, अरब सागर का एक हिस्सा था। प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था जहाँ से मोती, जवाहरात और कीमती गहने पश्चिम एशिया और अफ्रीका के सुदूर कोनों तक भेजे जाते थे। मनकों को बनाने की तकनीक और उपकरणों का समुचित विकास हो चुका था और यहाँ का धातु विज्ञान पिछले 4000 साल से भी अधिक से समय की कसौटी पर खरा उतरा था।
1961 में भारतीय पुराततव सर्वेक्षण ने खुदाई का कार्य फिर से शुरू किया और टीले के पूर्वी और पश्चिमी पक्षों की खुदाई के दौरान उन वाहिकाओं और नालों को खोद निकाला जो नदी के द्वारा गोदी से जुड़े थे। प्रमुख खोजों में एक टीला, एक नगर, एक बाज़ार स्थल और एक गोदी शामिल है। उत्खनन स्थल के पास ही एक पुरात्तत्व संग्रहालय स्थित हैं जिसमें सिंधु घाटी से प्राप्त वस्तुएं प्रदर्शित की गयी हैं। यह सिंधु सभ्यता का पतन नगर (बंदरगाह) था
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हमारी सभ्यता को दिखाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏🙏जय भीम
हमारे पूर्वजों की भूमि को नमन।
हमारे पुरखों की विरासत है आज भी बता रही है हम भारत के मूलनिवासी है ऐसे महान क्रांतिकारी महापुरुषों को हार्दिक शुभकामनाएं कोटि कोटि अभिनंदन है कोटि कोटि अभिनंदन है जय भीम जय भारत जय संविधान
हमारे पूर्वजों की प्राचीन सभ्यता को देखकर खुशी भी हो रही है और दुखी भी हूं दिखाने के लिए धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
बहुत बहुत धन्यवाद रविराज बुद्ध जी जो आपके माध्यम से हम अपने इतिहास का दर्शन कर पाये। और सच कहा आपने कि हमारा समाज सो रहा, लोग बाबा साहेब के दिये हुए अधिकारों का तो फायदा ले रहे हैं पर समाज के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं। सब दारू ताड़ी में मस्त हैं। बहुत बढ़िया,,
रवि राज बौद्ध जी आपने सिंधु घाटी सभ्यता दिखाए अपने पूर्वजों का आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
शानदार अद्भुत हम बहुजन समाज का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता
भाईसाहब हमे भी अपने सिंधु सभ्यता के पुरातत्विक प्रमाण दिखाकर हम सभी पर आपने बहुत उपकार किया है
Apki wajah se hme bhi lothal dekhne ko mil gya thanks bhai 👍👌
आज आपने वो विडियो दिखा दिया जिसको देखने की आशा लिए ३०साल से जी रहा हूं।कितना धन्यवाद दूं।इसी तरह कालीबंगा धौलावीरा रोपड मांडा हड़प्पा मोहनजोदड़ो सुरकोदडा।के स्थलों को दिखाइये।
बहुतही आच्छा, जम्बुदीप, भारतका सिविलाईज्ड सिटी, हम दुनियाके आगे थे..!!..आपको खुब खुब धन्यवाद.....नमोबुद्धाय, जयभीम..🙏🌹
जय भीम, जय विज्ञान, जय संविधान, बहुत ही अच्छी व सच्ची जानकारी हेतु आभार sir जी ,बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut khusi hui ye sab dekhker. Sabhi aik ho jao. Aage badho. , Jai Bheem Namo Budhay.
जय भीम नमो बुद्धाय जय संविधान
बहुत सिख मिली रविराज भाई थैंक यू भाई 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जय भीम नमो बुध्दाय ,, अगर भारत में अंग्रेज़ों का आगमन नहीं होता तो बहुजन समाज को अब तक मनूवादी कौम और मुगल अब तक सम्पूर्ण विनाश कर चुके होते,, अंग्रेजों ने ही भारत में कानून की नींव रखी और अम्बेडकर जी ने बहुजन समाज को कानून नामक हथियार देकर सर्व श्रेष्ठ जीवन दिया है ,,
bahut achha lga video dekhkar hum ja to nahi sakte aap jaise logo ki wajh se ghr baithe hi dekh pa rhe h 🙏🏻🙏🏻Jay bhim jay samvidhan 📓📓🙏🏻🙏🏻
अत्यंत खुशी हुआ ये नज़ारा देख के।
Jai bheem namoh buddhay 🙏🙏❤️❤️
Yah sab dikhane ke liye aapka बहुत-बहुत dhanyvad