Ep. 222_अध्याय 15 _पुरुषोत्तम की प्राप्ति
Ойын-сауық
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🌹एपिसोड 222,सोमवार 8 जुलाई में आदरणीय नितिन जी
ने प्रभु के पूर्व विदित ज्ञान पर पुन: संक्षिप्त प्रकाश डाल कर हमें आगे का ज्ञान समझाया हैं,जैसे प्रभु ने बताया कि कैसे हम तीनों गुणों से ऊपर उठकर गुणातीत बन परम पुरूष प्रभु को पा सकते हैं?
🌹तो इसके लिए श्रीहरि हमें बताते हैं कि यह जगत एक उल्टे अश्वत्थ(पीपल)वृक्ष के सदृश है जिसकी जड़ें मुझसे उत्पत्ति के कारण ऊपर की ओर और शाखाएँ नीचे की ओर हैं व वेद जिनमें समग्र जगत की कार्यप्रणाली का ज्ञान मैंने संलग्न कर रखा है,वे इस वृक्ष के पत्ते हैं।यह जगत पूर्णतया भौतिक है,जब जीवात्मा इसमें प्रवेश करती है तो वह इसमें ही भोगों की आसक्ति के कारण कर्मानुसार लोकों में वास पाती है।लेकिन जो वेद-शास्त्रों पर विश्वास रखकर इस वृक्ष की संरचना को जानकर,मुझे पाने का प्रयास करता है,जो मुझे सर्व जगत की उत्पत्ति का कारण मानता है,वह ही सही मायने में ज्ञानी है।
🌹आगे प्रभु बताते हैं कि इस वृक्ष रूपी जगत की शाखाएँ ऊपर-नीचे सब ओर फैली हुई हैं यानि यह वृक्ष मेरी रचना की अथाह विविधता लिए हुए है और सब तीन गुणों से संचालित है और इन्हीं संरचनात्मक शाखाओं से इंद्रिय विषय रूपी कोंपलें निकलती जाती हैं इस वृक्ष को विस्तार देने के लिए यानि मनुष्य में यहाँ आकर देहाभिमान में इस नश्वर संसार में आसक्ति के कारण और भी इच्छाएं आगे जग जाती हैं और वह उनको पूरा करने के लिए सकाम कर्म करता जाता है जो अच्छे-बूरे का मिश्रण होते हैं और यह वृक्ष यूँ और भी बड़ा होता जाता है,हम यूँ भी कह सकते हैं कि हरेक मनुष्य का अपने कर्मों और ज्ञान के आधार पर अपना अलग-अलग वृक्ष होता है और इस वृक्ष की जड़ें नीचे की तरफ होने के कारण भी वे कर्मानुसार मनुष्य को इस जगत में बांधे रखती हैं।
🌹आगे प्रभु ने समझाया कि इस नश्वर जगत रूपी वृक्ष के आदि,अंत और आधार को जान पाना सरल नहीं,कोई इसका अनुभव कर ही नहीं सकता।मात्र शास्त्र सम्मत आचरण,यथार्थ ज्ञान को मानकर वैराग्य विकसित कर ही कोई इससे उबर सकता है।
🌹फिर मनुष्य को चाहिए कि इस वृक्ष की संरचना को जानकर अपने शाश्वत घर लौटने के लिए प्रयासरत हो जाए,जहां से फिर कभी उसको इस भूल-भूलैया वाले वृक्ष रूपी नश्वर जगत में लौटना नहीं पड़ता और यह सब तभी संभव है जब वह अनादिकाल से सर्व ब्रह्मांडों के रचेता,संरक्षक,पालक व विनाशक परम पुरूष भगवान की शरण गहता है।
हरि-हरि बोल जी-2
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गोलोक एक्सप्रेस (आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए एक ऑनलाइन मंच) के सुबह के सत्संग में
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Jai shree karishna beautiful satsang thanks Nitin ji shat shat naman apko hari hari bol ji 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Hari Hari bol Beautiful devine satsang Thamks for sharing
Jai shree krishna divine satsung thanks 🙏🙏🙏🙏🙏
Hari Hari bol ji beautiful divine satsang Nitin ji thanks for sharing jai shree Radhe Krishna 🙏🙏 Jai sachidanand ji 🙏🙏 Jai shree Ram ji 🙏🙏
Beautiful divine Satsung thanku Nitin ji 🙏🙏🌹🌹 Beautiful bhajan Khushi beta 🙏🙏🌹🌹🌹
Bahut hi sunder satsang so many learnings thank you so much golok express Hari bol ji
Jai shree krishna. Wonderful satsang. Thanku so much nitin ji for beautiful learning. Beautiful bhajan kushi beta. 🙏🙏🙏👌👌👌
Hare Krishna hare Krishna Krishna Krishna hare hare hare Ram hare Ram Ram Ram hare hare.... Shrimad Bhagwat Gita ki Jai ho...... Hari Hari bol ji...
HRI HRI bol ji 🙏🙏❤️❤️❤️
❤️❤️👏👏🌹🌹🙏🙏💐💐
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare 🙏🙏
Hari hari bbolg
जय श्री कृष्णा,आज का सत्संग भी बहुत ही प्यारा आज हमने समझा की आध्यात्मिक पेड़ और भौतिक पेड़ दोनों में फर्कहै भौतिक जगत का पेड़ जड़ नीचे शाखाएं ऊपर और आध्यात्मिक पेड़ शाखाएं नीचे जड़ ऊपर अपनी इच्छाओं को हमे भौतिक नाही आध्यात्मिक बनानी है भौतिक पेड़ की शाखों को हमने अपनी नहीं देना है आध्यात्मिक जड़ के पेड़ को हमें पानी देना है और आध्यात्मिक वृक्ष को जानने का ही हमें प्रयास करना है जय श्री कृष्णा घर घर मंदिर हर मन मंदिर हरि हरि बोल 🙏🙏❣️❣️
Hari bol ji Very beautifully explained nitin bhaiya 😇😇 प्रभु की शरण ग्रहण कर वैराग्य के माध्यम से ही इस पेड़ को काटा जा सकता हैं