Day-8 (P-05) सियँ जयमाल राम उर मेली ॥ मोरारी बापू जी ॥ मानस अमृत-2 ॥ राम कथा 660 @03/05/2008 कलानौर

जय सियाराम जय जय सियाराम
Manas Amrit-।। Part. 05 Vol.08 Morari Bapu. Ram Katha 660 @03/05/2008 सत जीन्दा कल्याणा आश्रम कलानौर
श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई। कही सो प्रगट होति किन भाई॥ (सुंदर काण्ड)
प्रभु बचनामृत सुनि न अघाऊॅ। तनु पुलकित मन अति हरषाऊॅ।। (उत्तर काण्ड)
जय सियाराम जय जय सियाराम
जय श्री सत जीन्दा कल्याणा जी सहाय
03 मई शनिवार 2008 अष्टम् दिन. भाग 05
👉श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
👉जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥
👉आइए हनुमंत विराजीऐ. कथा कहुँ मति अनूसार,
प्रेम साहित गाद्दी धरू. पधारिए पवन कुमार।
सियावर रामचंद्र के जय,
रघुकुल रामचंद्र की जय ,
पवनसुत हनुमान के जय,
उमापति महादेव के जय,
बोलो भाई सब संतन के जय।
👉लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
👉मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।- रामरक्षास्तोत्रम्
👉 ब्रह्मलीन पुज्य पाद परम श्रद्धेय मंहन्त श्री जमना दास जी की हार्दिक इच्छा थी कि विश्व विख्यात श्रीराम कथा वाचक श्री मुरारी बापू जी अपने मुखारविंद से श्री सत जीन्दा कल्याणा आश्रम कलानौर - रोहतक (हरियाणा) में व्यासपीठ से श्रीराम कथा के माध्यम से ज्ञानोपदेश कर जनता का मार्ग दर्शन करें ।
✍️नो दिवसीय (26 अप्रैल 2008 से 4 मई 2008) श्री मुरारी बापू जी की श्रीराम कथा का परम श्रद्धेय मंहन्त श्री हेमन्त दास जी ने अथक प्रयासों से मानस अमृत।। का आयोजन करवाया और ब्रह्मलीन पुज्य पाद परम श्रद्धेय मंहन्त श्री जमना दास जी के संकल्प को उनकी 17वी पुण्यस्मृति में मंहन्त श्री हरि दास जी की पुण्य स्मृति में आयोजन किया गया।
✍️03 मई 2008 शनिवार को श्री राम कथा के आठवें दिन पंचम भाग में व्यासपीठ से मोरारी बापू जी ने सीता स्वयंवर में धनुषभंग
✍️तेहि छन राम मध्य धनु तोरा। भरे भुवन धुनि घोर कठोरा॥4॥
भावार्थ:-लेते, चढ़ाते और जोर से खींचते हुए किसी ने नहीं लखा (अर्थात ये तीनों काम इतनी फुर्ती से हुए कि धनुष को कब उठाया, कब चढ़ाया और कब खींचा, इसका किसी को पता नहीं लगा), सबने श्री रामजी को (धनुष खींचे) खड़े देखा। उसी क्षण श्री रामजी ने धनुष को बीच से तोड़ डाला। भयंकर कठोर ध्वनि से (सब) लोक भर गए॥4॥
छन्द :
* भे भुवन घोर कठोर रव रबि बाजि तजि मारगु चले।
चिक्करहिं दिग्गज डोल महि अहि कोल कूरुम कलमले॥
सुर असुर मुनि कर कान दीन्हें सकल बिकल बिचारहीं।
कोदंड खंडेउ राम तुलसी जयति बचन उचारहीं॥
भावार्थ:-घोर, कठोर शब्द से (सब) लोक भर गए, सूर्य के घोड़े मार्ग छोड़कर चलने लगे। दिग्गज चिग्घाड़ने लगे, धरती डोलने लगी, शेष, वाराह और कच्छप कलमला उठे। देवता, राक्षस और मुनि कानों पर हाथ रखकर सब व्याकुल होकर विचारने लगे। तुलसीदासजी कहते हैं (जब सब को निश्चय हो गया कि) श्री रामजी ने धनुष को तोड़ डाला, तब सब 'श्री रामचन्द्र की जय' बोलने लगे।
✍️प्रभु श्री राम जी ने मध्यकाल में मध्य दिवस (गुरूवार) को मध्य समय में मध्य उम्र में मध्य वाले राम ने धनुषभंग किया।
✍️ तीन धनुष शारंग, पिनाक, गाण्डीव
शारंग (Sharang)
भगवान विश्वकर्मा ने दो दैवीय धनुष तैयार किए। जिनमें एक का नाम शारंग तथा दूसरे का नाम पिनाक था। उन्होंने शारंग भगवान विष्णु को तथा पिनाक भगवान शिव को दिया था ।
बचपन में मां सीता ने अपनी बहनों के साथ खेलते समय अनजाने में वहां रखा शिवधनुष उठा लिया, जिसे राज्य में और कोई भी नहीं उठा सकता था। इस घटना को जनक ने देखा और उन्होंने सीता के स्वयंवर के लिए इस घटना को पृष्ठभूमि के रूप में बनाने का फैसला किया।
✍️पिनाक (Pinaka) : यह सबसे शक्तिशाली धनुष था। संपूर्ण धर्म, योग और विद्याओं की शुरुआत भगवान शंकर से होती है और उसका अंत भी उन्हीं पर होता है। भगवान शंकर ने इस धनुष से त्रिपुरासुर को मारा था। त्रिपुरासुर अर्थात तीन महाशक्तिशाली और ब्रह्मा से अमरता का वरदान प्राप्त असुर।
✍️गाण्डीव (Gandiv)
महाभारत के महायुद्ध में अर्जुन ने गांडीव धनुष से कौरवों की व‌िशाल सेना को पराज‌ित करके व‌िजय हास‌िल की। इस धनुष के कारण ही उन द‌िनों सभी अर्जुन को महान धनुर्धर मानते थे।
कोदंड (Kodanda) : ✍️ बहुत कम लोगों को मालूम है कि भगवान श्री राम के धनुष का नाम कोदंड था
एक बार समुद्र पार करने का जब कोई मार्ग नहीं समझ में आया तो भगवान श्रीराम ने समुद्र को अपने तीर से सुखाने की सोची और उन्होंने तरकश से अपना तीर निकाला था
✍️देखि राम रिपु दल चलि आवा। बिहसी कठिन कोदण्ड चढ़ावा।।
अर्थात शत्रुओं की सेना को निकट आते देखकर श्रीरामचंद्रजी ने हंसकर कठिन धनुष कोदंड को चढ़ाया।
✍️जयमाला पहनाना, परशुराम का आगमन
👉सियँ जयमाल राम उर मेली॥
✍️मीनी हरिद्वार कलानौर की सिद्ध गुरूगद्दीयों के सभी महापुरष भी अपना आशीर्वाद देने पधारे !!
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#Saturday 26th April 2008 to #Sunday 4th May 2008
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#Organised_By
Shri Jinda Sahib Dharmarth Trust (Regd)
(Shri Sat Jinda Kalyana Aashram)
#Venue
Shri Sat Jinda Kalyana Aashram
#Kalanaur - Rohtak (Hariyana)
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Пікірлер: 6

  • @ArunKrishnashastrigMaharaj
    @ArunKrishnashastrigMaharaj4 ай бұрын

    अद्भुत

  • @Sourabbh_sharma
    @Sourabbh_sharma9 ай бұрын

    Siya war Ram Chand ki jai...❤

  • @cppandey6623
    @cppandey662311 ай бұрын

    Cp pandey Jay siya ram sadar Charano me pranam hai prabhuji

  • @ShanviArora3110
    @ShanviArora31103 жыл бұрын

    JAI Siya Ram

  • @ShanDang07
    @ShanDang073 жыл бұрын

    Jai Siya Ram Jai Jai Siya Ram

  • @khanakthakkar3708
    @khanakthakkar3708 Жыл бұрын

    Sitaram

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